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बेतिया: बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने दिया आवेदन - बेतिया बाजार में अतिक्रमण

बेतिया में बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने सीओ को आवेदन दिया है. सीओ ने कहा कि 28 सितंबर को कार्रवाई की जायेगी.

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अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग
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Published : Sep 20, 2020, 3:54 PM IST

बेतिया (वाल्मीकिनगर): मधुबनी बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर प्रखंड के दर्जनों ग्रामीणों ने अंचलाधिकारी को आवेदन देकर अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की है. पिछले एक वर्ष से अधिकारियों के केवल आश्वासन देने से नाराज ग्रामीणों ने सीओ को चेतावनी दी कि अगर जल्द इस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, तो वे लोग आंदोलन करने पर विवश हो जाएंगे.

सरकारी है बाजार की भूमि
ग्रामीण अभय मिश्रा, गोविंद यादव, श्याम बिहारी पांडेय, हरेंद्र यादव, अवधेश शर्मा आदि लोगों ने बताया कि मधुबनी बाजार की भूमि सरकारी है. जो एक एकड़ में फैली है. यह करीब सौ वर्ष पुराना बाजार है.

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि दो दशक पूर्व इस बाजार का सरकारी टेंडर होता था. जिसकी राशि राजस्व विभाग को जाती थी. लेकिन समय के साथ दबंगता पूर्वक स्थानीय लोगों ने धीरे-धीरे जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है. वर्तमान में बाजार का अस्तित्व समाप्त हो गया है. वहीं कुछ बची खुची दुकानें हैं. जो बाजार की विरासत को संभाले हुए हैं.

अस्तित्व बचाने की लड़ाई
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मधुबनी बाजार से अतिक्रमण हटाने और इसके अस्तित्व को बचाने की लड़ाई पिछले तीन वर्षों से जारी है. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण आज तक यह सरकारी बाजार अतिक्रमण मुक्त नहीं हो सका.

क्या कहते हैं सीओ
इस मामले में मधुबनी सीओ रंजीत कुमार ने बताया कि बाजार की भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर गांव के लोगों ने पूर्व में आवेदन दिया था. जिसके आलोक में कार्रवाई करते हुए बाजार की भूमि को पैमाइश करायी गयी है. कुछ लोगों को नोटिस भी किया गया था. लेकिन करोना संकट के कारण कार्य मे रुकावट हो गई. 28 सितंबर को बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराया जायेगा.

बेतिया (वाल्मीकिनगर): मधुबनी बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर प्रखंड के दर्जनों ग्रामीणों ने अंचलाधिकारी को आवेदन देकर अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की है. पिछले एक वर्ष से अधिकारियों के केवल आश्वासन देने से नाराज ग्रामीणों ने सीओ को चेतावनी दी कि अगर जल्द इस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, तो वे लोग आंदोलन करने पर विवश हो जाएंगे.

सरकारी है बाजार की भूमि
ग्रामीण अभय मिश्रा, गोविंद यादव, श्याम बिहारी पांडेय, हरेंद्र यादव, अवधेश शर्मा आदि लोगों ने बताया कि मधुबनी बाजार की भूमि सरकारी है. जो एक एकड़ में फैली है. यह करीब सौ वर्ष पुराना बाजार है.

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि दो दशक पूर्व इस बाजार का सरकारी टेंडर होता था. जिसकी राशि राजस्व विभाग को जाती थी. लेकिन समय के साथ दबंगता पूर्वक स्थानीय लोगों ने धीरे-धीरे जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है. वर्तमान में बाजार का अस्तित्व समाप्त हो गया है. वहीं कुछ बची खुची दुकानें हैं. जो बाजार की विरासत को संभाले हुए हैं.

अस्तित्व बचाने की लड़ाई
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मधुबनी बाजार से अतिक्रमण हटाने और इसके अस्तित्व को बचाने की लड़ाई पिछले तीन वर्षों से जारी है. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण आज तक यह सरकारी बाजार अतिक्रमण मुक्त नहीं हो सका.

क्या कहते हैं सीओ
इस मामले में मधुबनी सीओ रंजीत कुमार ने बताया कि बाजार की भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर गांव के लोगों ने पूर्व में आवेदन दिया था. जिसके आलोक में कार्रवाई करते हुए बाजार की भूमि को पैमाइश करायी गयी है. कुछ लोगों को नोटिस भी किया गया था. लेकिन करोना संकट के कारण कार्य मे रुकावट हो गई. 28 सितंबर को बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराया जायेगा.

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