पं.चंपारण: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को नियमित खाना मिले, इसके लिए मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन सरकार की ये महात्कांक्षी योजना शिक्षकों के कारनामे के वजह से दम तोड़ती नजर आ रही है. ताजा मामला जिला मुख्यालय बेतिया के रानीपुर रमपुरवा पंचायत के टीकछापर स्कुल का है. जहां विद्यालय कि प्रधानाध्यापिका के शिक्षक पति रात के अंधेरे में विद्यालय से मीड-डे-मील का चावल चुराते रंगे हाथ पकड़े गए. जिसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें पकड़ कर बंधक बना लिया.
ग्रामीणों ने किया उग्र प्रदर्शन
बताया जा रहा है प्रधानाध्यापिका के शिक्षक पति का ये कारनामा उजागर होने के बाद गांव के मुखिया ने स्थानीय स्तर पर मामले को सुलझाने की हर संभव कोशीश की. लेकिन स्थानीय लोग आरोपी शिक्षक पर कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे. जिसके बाद लोगों ने उग्र विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया.
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प्रधानाध्यापिका ने हाथ जोड़कर मांगी माफी
इधर मामला बिगड़ते देख विद्यालय कि प्रधानाध्यापिका शैलजा पांडे मौके पर पहुंच कर उग्र लोगों को समझाने में जुट गई. उन्होंने अपने पति के इस कारनामे पर हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती को माफ किया जाए. आगे से इस तरह की कोई गलती नहीं होगी.
जांच पड़ताल में जुटे पदाधिकारी
मामला संज्ञान में आने के बाद जांच को स्कूल में पहुंचे एमडीएम प्रभारी मो. एकरवानीक ने बताया कि मामला बेहद गंभीर और संवेदनशील है. फिलहाल मामले की जांच पड़ताल चल रही है. जांच के बाद दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
क्या है मिड-डे-मील?
मिड-डे-मील मतलब मध्याह्न भोजन योजना भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके तहत देश के प्राथमिक-लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किया जाता है. इस योजना का उद्देश्य विद्यालयों में छात्रों का नामांकन बढ़ाने और उपस्थिति को लेकर किया गया था.
मेन्यू के अनुसार भोजन परोसने का है नियम
गौरतलब है कि मध्याह्न भोजन के तहत जारी नियमों के अनुसार विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन मेन्यू के अनुसार दिए जाने से लेकर भोजन परोसने तक की व्यवस्था दी गई है. विद्यालय में माता समितियां गठित है. बच्चों को खाना परोसने से पहले रसोइयां, माता समिति के सदस्य और शिक्षक द्वारा खाने को चखने की व्यवस्था शामिल है. लेकिन ये सभी नियम सरकारी कागजों तक ही सीमित हैं.