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बेतिया में बाढ़: नदी के बढ़ते जलस्तर और कटाव से सहमे ग्रामीण, जग कर बिता रहे पूरी रात

बेतिया के बरवा सेमरा गांव के ग्रामीण नदी के बढ़ते जलस्तर और कटाव से सहमे हुए हैं. जिसकी वजह से लोग जग कर पूरी रात बिता रहे हैं. पढ़ें रिपोर्ट...

flood in bettiah
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Published : Jun 17, 2021, 4:59 PM IST

बेतिया: बिहार के बेतिया में लगातार हो रही बारिश (Rain in Bettiah) के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ (Level of River Increased) गया है. गंडक बराज (Gandak Barrage) से छोड़े गए पानी अब तेजी से मझौलिया, नौतन, योगापट्टी प्रखंडों तक पहुंच रहा है. नदियों के बढ़ते जलस्तर और कटाव के कारण मझौलिया प्रखंड के बरवा सेमरा पंचायत के सेमरा गांव के वार्ड नंबर 4 में हरिजन टोली के ग्रामीण डरे व सहमे हुए हैं.

ये भी पढ़ें: बेतिया: पानी में डूबी सड़क को ट्रैक्टर-ट्रॉली से पार कर रहे लोग, जान से हो रहा खिलवाड़

4 वर्षों से हो रहा कटाव
ग्रामीणों का कहना है कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. जिसे लेकर डर लगा रहता है. रात भर हम सोते नहीं हैं. न जाने कब बाढ़ का पानी गांव में घुस जाए और हमारा घर कटाव की भेंट चढ़ जाए. मझौलिया प्रखंड के बरवा सेमरा पंचायत का सेमरा गांव वार्ड नंबर 4 में हर साल (Flood in Bettiah) बाढ़ तबाही लेकर आती है. 4 वर्षों से लगातार कटाव हो रहा है. लेकिन पक्के ठोकर का निर्माण नहीं हुआ.

देखें रिपोर्ट

चचरी के सहारे करते हैं आवागमन
ग्रामीणों का कहना है कि 2017 में जो तटबंध पर ठोकर का निर्माण हुआ था, उसके बाद आज तक यहां पर ठोकर का निर्माण नहीं हुआ. ऐसे में जब भी बाढ़ आता है, तो हम खुद अपने आप को बचाने का उपाय लगाते हैं. चचरी के सहारे गांव में जाते हैं. गांव में छोटे-छोटे बच्चे हैं. रात भर जग कर रात गुजारनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें: बाढ़ तो आनी ही है... सरकार नहीं 'घरौंदा' पर है भरोसा! पीड़ितों का दर्द सुन आप दहल जाएंगे

गंडक नदी का जलस्तर बढ़ा
ग्रामीणों ने बताया कि जिस तरह बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर बढ़ रहा है और जितनी तेजी से कटाव कर रहा है, हमारा घर इस कटाव की भेंट चढ़ जाएगा. उनका कहना है कि कोई अधिकारी इनकी सुध लेने तक नहीं आते. बढ़ते जलस्तर के कारण लोग डरे और सहमे हुए हैं. बता दें कि हर साल मानसून के वक्त मझौलिया प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं.

flood in bettiah
कटाव से सहमे ग्रामीण

पक्के ठोकर का नहीं हुआ निर्माण
हर साल बाढ़ मझौलिया प्रखंड में तबाही लेकर आती है. इसके बावजूद नदियों के किनारे पक्के ठोकर का निर्माण नहीं किया जाता है. अधिकारी, जनप्रतिनिधि सिर्फ मॉनसून के समय तटबंध का निरीक्षण करते हैं और चले जाते हैं. अगर मानसून से पहले तटबंध पर पक्के ठोकर का निर्माण हो जाता तो शायद मझौलिया प्रखंड के लोगों को बाढ़ की विभीषिका नहीं झेलनी पड़ती.

ये भी पढ़ें: नेपाल में बाढ़, तीन भारतीय समेत 20 से ज्यादा लोग लापता

निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात
बता दें कि पश्चिम चंपारण के बगहा में वाल्मीकिनगर गंडक बराज से लगातार पानी डिस्चार्ज होने से निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. इंडो-नेपाल सीमा के तराई क्षेत्र चकदहवा में 4 फीट बाढ़ का पानी बह रहा है. बगहा के बांसगांव औसानी हरहा नदी में बोलोरो गाड़ी बह गई है. गण्डक नदी में लगातार हो रही जलवृद्धि की वजह से निचले इलाकों में भी बाढ़ आ गई है.

प्रशासन ने दी थी सूचना
गंडक दियारा पार के पिपरासी प्रखंड अंतर्गत सेमरा लबेदहा आदि जगहों में बाढ़ से लोग काफी प्रभावित हुए हैं. प्रशासन ने सबको सुरक्षित स्थानों पर जाने की सूचना पूर्व में ही दे दी थी. गंडक नदी के बढ़ रहे जलस्तर के कारण कई इलाके जलमग्न होने के साथ ही कई तटबंधों पर खतरा मंडरा रहा है.

गंडक, कोसी, बागमती, कमला बलान का बढ़ता जलस्तर डराने वाला है. गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा समेत 9 जिलों में बाढ़ की आशंका है.

बेतिया: बिहार के बेतिया में लगातार हो रही बारिश (Rain in Bettiah) के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ (Level of River Increased) गया है. गंडक बराज (Gandak Barrage) से छोड़े गए पानी अब तेजी से मझौलिया, नौतन, योगापट्टी प्रखंडों तक पहुंच रहा है. नदियों के बढ़ते जलस्तर और कटाव के कारण मझौलिया प्रखंड के बरवा सेमरा पंचायत के सेमरा गांव के वार्ड नंबर 4 में हरिजन टोली के ग्रामीण डरे व सहमे हुए हैं.

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4 वर्षों से हो रहा कटाव
ग्रामीणों का कहना है कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. जिसे लेकर डर लगा रहता है. रात भर हम सोते नहीं हैं. न जाने कब बाढ़ का पानी गांव में घुस जाए और हमारा घर कटाव की भेंट चढ़ जाए. मझौलिया प्रखंड के बरवा सेमरा पंचायत का सेमरा गांव वार्ड नंबर 4 में हर साल (Flood in Bettiah) बाढ़ तबाही लेकर आती है. 4 वर्षों से लगातार कटाव हो रहा है. लेकिन पक्के ठोकर का निर्माण नहीं हुआ.

देखें रिपोर्ट

चचरी के सहारे करते हैं आवागमन
ग्रामीणों का कहना है कि 2017 में जो तटबंध पर ठोकर का निर्माण हुआ था, उसके बाद आज तक यहां पर ठोकर का निर्माण नहीं हुआ. ऐसे में जब भी बाढ़ आता है, तो हम खुद अपने आप को बचाने का उपाय लगाते हैं. चचरी के सहारे गांव में जाते हैं. गांव में छोटे-छोटे बच्चे हैं. रात भर जग कर रात गुजारनी पड़ती है.

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गंडक नदी का जलस्तर बढ़ा
ग्रामीणों ने बताया कि जिस तरह बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर बढ़ रहा है और जितनी तेजी से कटाव कर रहा है, हमारा घर इस कटाव की भेंट चढ़ जाएगा. उनका कहना है कि कोई अधिकारी इनकी सुध लेने तक नहीं आते. बढ़ते जलस्तर के कारण लोग डरे और सहमे हुए हैं. बता दें कि हर साल मानसून के वक्त मझौलिया प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं.

flood in bettiah
कटाव से सहमे ग्रामीण

पक्के ठोकर का नहीं हुआ निर्माण
हर साल बाढ़ मझौलिया प्रखंड में तबाही लेकर आती है. इसके बावजूद नदियों के किनारे पक्के ठोकर का निर्माण नहीं किया जाता है. अधिकारी, जनप्रतिनिधि सिर्फ मॉनसून के समय तटबंध का निरीक्षण करते हैं और चले जाते हैं. अगर मानसून से पहले तटबंध पर पक्के ठोकर का निर्माण हो जाता तो शायद मझौलिया प्रखंड के लोगों को बाढ़ की विभीषिका नहीं झेलनी पड़ती.

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निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात
बता दें कि पश्चिम चंपारण के बगहा में वाल्मीकिनगर गंडक बराज से लगातार पानी डिस्चार्ज होने से निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. इंडो-नेपाल सीमा के तराई क्षेत्र चकदहवा में 4 फीट बाढ़ का पानी बह रहा है. बगहा के बांसगांव औसानी हरहा नदी में बोलोरो गाड़ी बह गई है. गण्डक नदी में लगातार हो रही जलवृद्धि की वजह से निचले इलाकों में भी बाढ़ आ गई है.

प्रशासन ने दी थी सूचना
गंडक दियारा पार के पिपरासी प्रखंड अंतर्गत सेमरा लबेदहा आदि जगहों में बाढ़ से लोग काफी प्रभावित हुए हैं. प्रशासन ने सबको सुरक्षित स्थानों पर जाने की सूचना पूर्व में ही दे दी थी. गंडक नदी के बढ़ रहे जलस्तर के कारण कई इलाके जलमग्न होने के साथ ही कई तटबंधों पर खतरा मंडरा रहा है.

गंडक, कोसी, बागमती, कमला बलान का बढ़ता जलस्तर डराने वाला है. गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा समेत 9 जिलों में बाढ़ की आशंका है.

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