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देश की सेवा करना चाहती हैं बेतिया की आदिवासी बेटियां, कद और वजन बन रहा रोड़ा

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Published : Mar 8, 2022, 8:29 AM IST

बेतिया की थारू आदिवासी बहुल क्षेत्र की लड़किया पुलिस और आर्मी में जाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहीं (Tribal Girls Practicing For Selection In Police and Army) हैं. लेकिन कम हाइट और वजन की वजह से इनका चयन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में इन बेटियों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट....

देश की सेवा करना चाहती हैं आदिवासी क्षेत्र की लड़कियां
देश की सेवा करना चाहती हैं आदिवासी क्षेत्र की लड़कियां

पश्चिमी चंपारण (बेतिया): बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया में पहाड़ों की तलहटियों की रहने वाली लड़कियों के सपने भी पहाड़ों की तरह मजबूत हैं. नरकटियागंज के गौनाहा क्षेत्र के थारू आदिवासी बहुल (Bettiah Tribal Girls) क्षेत्र की लड़कियां पुलिस और आर्मी में चयन के लिए कड़ी मेहनत कर रहीं हैं. लेकिन घंटों मैदान में पसीना बहाने के बावजूद कम वजन और हाइट की वजह से इनका फिजिकल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में देश की सेवा करने की चाहत रखने वाली इन बेटियों ने सरकार से मदद की अपील की.

ये भी पढ़ें- बिहार की बेटी जाह्नवी ने बढ़ाया भारत का मान, गर्ल अप ग्रांट अवॉर्ड की दौड़ में तीसरी बार हुईं शामिल

कम वजन और हाइट की वजह से नहीं हो रहा चयन: बता दें कि थारू बहुल इलाके की लड़कियां हाइट में थोड़े सी छोटी होती हैं और इनका वजन भी कम होता है. लेकिन इनके सपने बहुत बड़ें हैं, ये देश की सेवा करना चाहती हैं. इसी को लेकर नरकटियागंज के मैदान में दर्जनों लड़किया प्रतिदिन पसीना बहाती हैं. पुलिस और आर्मी में चयन के लिए कड़ी मेहनत करती हैं. दौड़, जम्प, गोला फेंकना नियमित रूप से करती हैं. ये लड़कियां दौड़ हर बार निकाल लेती हैं, लेकिन वजन में मात्र सौ या दो सौ ग्राम कम अधिक होने पर इन्हें बाहर कर दिया जा रहा हैं. जिससे इनके सपने टूट जा रहे हैं.

'कई साल से तैयारी कर रही हूं. लेकिन वजन कम या ज्यादा होने पर हमारा चयन नहीं हो पा रहा है. सरकार से अपील करना चाहूंगी कि इस विषय पर कोई कदम उठाया जाए जिससे हमारी मेहनत कामयाब हो सके. सरकार प्रोत्साहित करती है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन यहां हमारा अधिकार पूरा नहीं हो पा रहा'. - संजना कुमारी, अभ्यर्थी

'हम लोग ग्रामीण क्षेत्र से हैं. गांव से निकलना बहुत मुश्किल होता, कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कड़ी मेहनत के बावजूद सौ, दो सौ ग्राम वजन कम होने की वजह से चयन नहीं हो पा रहा है. सरकार से अपील करना चाहूंगी की इस मुद्दे पर सरकार कोई पहल करे'. - उमा कुमारी, अभ्यर्थी

'लड़कियों का उत्थान किया जा रहा है तो यहां क्यों लड़कियों को दबाया जा रहा है, पहाड़ी क्षेत्र की लड़कियों का हाईट कम होता इसलिए जब सेंट्रल की सरकार में ST लड़कियों के लिए 150 CM हाइट होता है तो बिहार में क्यों नहीं 150 है'.- पुनिता कुमारी, अभ्यर्थी

ये भी पढ़ें- महिला दिवस स्पेशल: पगडंडियों पर चलकर 'पद्मश्री' सम्मान तक पहुंची किसान चाची, हजारों महिलाओं की बदल रहीं तकदीर

बेतिया की बेटियों ने सरकार से मदद की लगाई गुहार: वहीं, आदिवासी बहुल क्षेत्र की बेटियां अब सरकार से गुहार लगा रही हैं. सरकार इनके मुद्दों पर ध्यान दें और इनके सपनों को उड़ान देने में मदद करें. पुलिस और आर्मी में जाने के लिए कई सालों से मेहनत कर रहीं इन लड़कियों ने अब सरकार से इस विषय में ठोस पहल की मांग की है. जिससे इन्हें अपनी मंजिल मिल सके.


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पश्चिमी चंपारण (बेतिया): बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया में पहाड़ों की तलहटियों की रहने वाली लड़कियों के सपने भी पहाड़ों की तरह मजबूत हैं. नरकटियागंज के गौनाहा क्षेत्र के थारू आदिवासी बहुल (Bettiah Tribal Girls) क्षेत्र की लड़कियां पुलिस और आर्मी में चयन के लिए कड़ी मेहनत कर रहीं हैं. लेकिन घंटों मैदान में पसीना बहाने के बावजूद कम वजन और हाइट की वजह से इनका फिजिकल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में देश की सेवा करने की चाहत रखने वाली इन बेटियों ने सरकार से मदद की अपील की.

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कम वजन और हाइट की वजह से नहीं हो रहा चयन: बता दें कि थारू बहुल इलाके की लड़कियां हाइट में थोड़े सी छोटी होती हैं और इनका वजन भी कम होता है. लेकिन इनके सपने बहुत बड़ें हैं, ये देश की सेवा करना चाहती हैं. इसी को लेकर नरकटियागंज के मैदान में दर्जनों लड़किया प्रतिदिन पसीना बहाती हैं. पुलिस और आर्मी में चयन के लिए कड़ी मेहनत करती हैं. दौड़, जम्प, गोला फेंकना नियमित रूप से करती हैं. ये लड़कियां दौड़ हर बार निकाल लेती हैं, लेकिन वजन में मात्र सौ या दो सौ ग्राम कम अधिक होने पर इन्हें बाहर कर दिया जा रहा हैं. जिससे इनके सपने टूट जा रहे हैं.

'कई साल से तैयारी कर रही हूं. लेकिन वजन कम या ज्यादा होने पर हमारा चयन नहीं हो पा रहा है. सरकार से अपील करना चाहूंगी कि इस विषय पर कोई कदम उठाया जाए जिससे हमारी मेहनत कामयाब हो सके. सरकार प्रोत्साहित करती है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन यहां हमारा अधिकार पूरा नहीं हो पा रहा'. - संजना कुमारी, अभ्यर्थी

'हम लोग ग्रामीण क्षेत्र से हैं. गांव से निकलना बहुत मुश्किल होता, कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कड़ी मेहनत के बावजूद सौ, दो सौ ग्राम वजन कम होने की वजह से चयन नहीं हो पा रहा है. सरकार से अपील करना चाहूंगी की इस मुद्दे पर सरकार कोई पहल करे'. - उमा कुमारी, अभ्यर्थी

'लड़कियों का उत्थान किया जा रहा है तो यहां क्यों लड़कियों को दबाया जा रहा है, पहाड़ी क्षेत्र की लड़कियों का हाईट कम होता इसलिए जब सेंट्रल की सरकार में ST लड़कियों के लिए 150 CM हाइट होता है तो बिहार में क्यों नहीं 150 है'.- पुनिता कुमारी, अभ्यर्थी

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बेतिया की बेटियों ने सरकार से मदद की लगाई गुहार: वहीं, आदिवासी बहुल क्षेत्र की बेटियां अब सरकार से गुहार लगा रही हैं. सरकार इनके मुद्दों पर ध्यान दें और इनके सपनों को उड़ान देने में मदद करें. पुलिस और आर्मी में जाने के लिए कई सालों से मेहनत कर रहीं इन लड़कियों ने अब सरकार से इस विषय में ठोस पहल की मांग की है. जिससे इन्हें अपनी मंजिल मिल सके.


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