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बिहार-यूपी सीमा का वो गांव.. 3 विधायक बदले पर नहीं बदली गांव की सूरत, चचरी ही सहारा

बिहार-यूपी सीमा से सटे सिसवां गांव की सरोकार पड़ोसी राज्यों से काफी ज्यादा है. गांव में अच्छी शिक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण सैकड़ों बच्चे रोज यूपी नदी पार कर जाते थे, जिनसे उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. लेकिन गांव के ही एक शख्स ने नदी पर चचरी का पुल बना दिया, जिससे समस्याएं थोड़ी कम तो हुई लेकिन खत्म (Demand for bridge construction over river in Siswa village) नहीं हुई.

चचरी पुल के सहारे नदी पार करते ग्रामीण
चचरी पुल के सहारे नदी पार करते ग्रामीण
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Published : Feb 22, 2022, 5:09 PM IST

बगहाः बिहार-यूपी सीमा से सटे एक ऐसा गांव (Siswan village At Bihar UP border) जहां से जान जोखिम में डालकर दर्जनों बच्चे पढ़ाई करने रोज उत्तर प्रदेश जाते हैं और फिर वापस आते हैं. दरअसल, पठन-पाठन के लिए इन्हें एक नदी पार कर उस पार जाना होता है, जिसमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जब नदी पर पुल निर्माण करवाने का जनप्रतिनिधियों के वादे धरे के धरे रह गए तो गांव के ही एक शख्स शमशुद्दीन ने नदी पर चचरी का पुल (Shamshuddin built chachri bridge on river) बना दिया. अब बेफिक्र होकर लोग नदी को पार करते हैं.

इसे भी पढ़ें- विकास की ऐसी रफ्तार देखी है क्या? जिस पुल को 2018 में बनना था.. 4 साल बाद भी अधूरा

यहां समस्याएं कम तो हुई मगर खत्म नहीं

दरअसल, ये कहानी वर्षों से उपेक्षित बगहा के बिहार यूपी सीमा से सटे बरवा पंचायत अंतर्गत सिसवा गांव की है. यह गांव आज भी समाज के मुख्य धारा से दूर है. गांव से होकर एक नदी बहती है. नदी के एक तरफ बिहार है और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश. आसपास के कई गावों के लोग पढ़ने के लिए उत्तर प्रदेश जाते हैं. लेकिन इसमें उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. सबसे बड़ी समस्या नदी को पार करना था, जिसे गांव के ही शमशुद्दीन के बुलंद हौसले के कारण दूर किया जा सका.

इसे भी पढ़ें- मटियामेट विकास के दावेः दशकों से बदहाली की आंसू रो रहा बेतिया का यह पुल, गुजरने से सिहर जाएगा रूह

शमशुद्दीन ने नदी पर चचरी का पुल बना दिया. अब इस पुल के जरिए गांव के करीब 200 बच्चे पढ़ने के लिए उस पार जाते हैं और फिर वापस आते हैं. शमशुद्दीन बताते हैं कि 20 साल पहले जब उन्होंने इस पुल बनाया था तब गांव में स्कूल नहीं थे. अच्छी पढ़ाई नहीं होती थी. लिहाजा बच्चे पढ़ने के लिए यूपी के प्राइवेट स्कूल जाते हैं. हर साल वे बरसात के मौसम में इस चचरी के पुल का निर्माण करते हैं, जिससे बच्चे आसानी से इस पार से उस पार होते हैं.

ग्रामीण कहते हैं कि उनकी जरुरतें और समस्याएं पड़ोसी राज्य से जुड़ी हुई है. लेकिन, दोनों राज्यों के बीच आवाजाही के पर्याप्त और खास साधन नहीं हैं. कई बार जनप्रतिनिधियों से इस नदी पर पुल और पक्की सड़क बनाने की मांग की गई लेकिन अब तक नहीं बन सका है. वे बताते हैं कि पुल की मांग करते हुए तीन विधायकों बैजनाथ महतो, राजेश सिंह और धीरेंद्र प्रताप सिंह का कार्यकाल गुजर गया, लेकिन अब तक भसोरा के सिवा कुछ नहीं मिला है. एक बार फिर स्थानीय विधायक ने पुल निर्माण का भरोसा दिलाया है, लेकिन ग्रामीणों को समस्याओं से निजात कब मिलेगी ये कहा नहीं जा सकता है.

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बगहाः बिहार-यूपी सीमा से सटे एक ऐसा गांव (Siswan village At Bihar UP border) जहां से जान जोखिम में डालकर दर्जनों बच्चे पढ़ाई करने रोज उत्तर प्रदेश जाते हैं और फिर वापस आते हैं. दरअसल, पठन-पाठन के लिए इन्हें एक नदी पार कर उस पार जाना होता है, जिसमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जब नदी पर पुल निर्माण करवाने का जनप्रतिनिधियों के वादे धरे के धरे रह गए तो गांव के ही एक शख्स शमशुद्दीन ने नदी पर चचरी का पुल (Shamshuddin built chachri bridge on river) बना दिया. अब बेफिक्र होकर लोग नदी को पार करते हैं.

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यहां समस्याएं कम तो हुई मगर खत्म नहीं

दरअसल, ये कहानी वर्षों से उपेक्षित बगहा के बिहार यूपी सीमा से सटे बरवा पंचायत अंतर्गत सिसवा गांव की है. यह गांव आज भी समाज के मुख्य धारा से दूर है. गांव से होकर एक नदी बहती है. नदी के एक तरफ बिहार है और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश. आसपास के कई गावों के लोग पढ़ने के लिए उत्तर प्रदेश जाते हैं. लेकिन इसमें उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. सबसे बड़ी समस्या नदी को पार करना था, जिसे गांव के ही शमशुद्दीन के बुलंद हौसले के कारण दूर किया जा सका.

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शमशुद्दीन ने नदी पर चचरी का पुल बना दिया. अब इस पुल के जरिए गांव के करीब 200 बच्चे पढ़ने के लिए उस पार जाते हैं और फिर वापस आते हैं. शमशुद्दीन बताते हैं कि 20 साल पहले जब उन्होंने इस पुल बनाया था तब गांव में स्कूल नहीं थे. अच्छी पढ़ाई नहीं होती थी. लिहाजा बच्चे पढ़ने के लिए यूपी के प्राइवेट स्कूल जाते हैं. हर साल वे बरसात के मौसम में इस चचरी के पुल का निर्माण करते हैं, जिससे बच्चे आसानी से इस पार से उस पार होते हैं.

ग्रामीण कहते हैं कि उनकी जरुरतें और समस्याएं पड़ोसी राज्य से जुड़ी हुई है. लेकिन, दोनों राज्यों के बीच आवाजाही के पर्याप्त और खास साधन नहीं हैं. कई बार जनप्रतिनिधियों से इस नदी पर पुल और पक्की सड़क बनाने की मांग की गई लेकिन अब तक नहीं बन सका है. वे बताते हैं कि पुल की मांग करते हुए तीन विधायकों बैजनाथ महतो, राजेश सिंह और धीरेंद्र प्रताप सिंह का कार्यकाल गुजर गया, लेकिन अब तक भसोरा के सिवा कुछ नहीं मिला है. एक बार फिर स्थानीय विधायक ने पुल निर्माण का भरोसा दिलाया है, लेकिन ग्रामीणों को समस्याओं से निजात कब मिलेगी ये कहा नहीं जा सकता है.

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