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बेतिया: बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़, स्कूल के शिक्षक मोबाइल में हैं मशगूल - बेतिया जिलाधिकारी न्यूज

तीन साल से सामुदायिक भवन में चल रहे इस स्कूल को अपनी जमीन तक नहीं मिली है. जिस भवन में स्कूल चल रहा है, वह भी पूरी तरह से खंडहर बन चुका है.

भवन निर्माण
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Published : Sep 4, 2019, 11:42 PM IST

बेतिया: जिले के नौतन प्रखंड में स्थित राजकीय प्राथमिक रहीमपुर विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन है. यह स्कूल सामुदायिक भवन में चल रहा है. इसमें लगभग 129 बच्चे हैं. बच्चे इस जर्जर भवन में अपनी जान जोखिम में डालकर आने को मजबूर हैं.

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वीडियो देखने में मशगूल है शिक्षक

तीन साल से सामुदायिक भवन में चल रहे इस स्कूल को भवन निर्माण के लिए अभी तक जमीन नहीं मिली है. जिस भवन में स्कूल चल रहा वो भी पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी है. सुबह शिक्षक आकर हाजिरी लगते है, और फिर समय पूरा होने वह अपने घर चले जाते है. बच्चे को पढ़ाने-लिखाने से इन्हें कोई मतलब नहीं होता है.

जल्द किया जाएगा भवन निमार्ण

इस स्कूल में संचालित रसोई का भी हाल बेहाल है. यहां जैसे-तैसे खाना बनता है, ताकि बच्चों को भोजन मिल सके. लेकिन इस स्कूल की बदहाली को देखने वाला कोई नहीं है. इस बदहाली पर स्कूल के प्रभारी ने बताया कि विद्यालय तीन साल से भूमिहीन है. इसके लिए जमीन अभी देखा गया है, और जल्द ही भवन निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा.

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टूटे फर्श पर बैठने को मजबूर है बच्चे

वीडियो देखने में लगे हैं शिक्षक

यहां के शिक्षक अपने आप में मशगूल रहते हैं. कक्षा में बैठे बच्चों से इन्हें कोई मतलब नहीं होता है. उन्हें पढ़ाने के बजाए वह अपने मोबाइल में वीडियो देखते रहते हैं. जब उनसे पूछा गया कि स्कूल की हालत इतनी खराब है. तो उन्होंने भी स्कूल के प्रभारी की तरह रटा-रटाया बयान दे दिया.

स्कूल का नहीं है अपना भवन

भवन की समस्या को लेकर कोई भी व्यक्ति जिलाधिकारी मिलने को तैयार नहीं है. अपनी बदहाली पर रोते इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक पढ़ाई होती है. स्कूल की इस समस्या पर न तो जिला शिक्षा पदाधिकारी का ध्यान है और न ही डीएम का. ऐसे में इस जर्जर भवन में छात्र अपना जान जोखिम में डालकर स्कूल आने को मजबूर हैं.

बेतिया: जिले के नौतन प्रखंड में स्थित राजकीय प्राथमिक रहीमपुर विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन है. यह स्कूल सामुदायिक भवन में चल रहा है. इसमें लगभग 129 बच्चे हैं. बच्चे इस जर्जर भवन में अपनी जान जोखिम में डालकर आने को मजबूर हैं.

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वीडियो देखने में मशगूल है शिक्षक

तीन साल से सामुदायिक भवन में चल रहे इस स्कूल को भवन निर्माण के लिए अभी तक जमीन नहीं मिली है. जिस भवन में स्कूल चल रहा वो भी पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी है. सुबह शिक्षक आकर हाजिरी लगते है, और फिर समय पूरा होने वह अपने घर चले जाते है. बच्चे को पढ़ाने-लिखाने से इन्हें कोई मतलब नहीं होता है.

जल्द किया जाएगा भवन निमार्ण

इस स्कूल में संचालित रसोई का भी हाल बेहाल है. यहां जैसे-तैसे खाना बनता है, ताकि बच्चों को भोजन मिल सके. लेकिन इस स्कूल की बदहाली को देखने वाला कोई नहीं है. इस बदहाली पर स्कूल के प्रभारी ने बताया कि विद्यालय तीन साल से भूमिहीन है. इसके लिए जमीन अभी देखा गया है, और जल्द ही भवन निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा.

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टूटे फर्श पर बैठने को मजबूर है बच्चे

वीडियो देखने में लगे हैं शिक्षक

यहां के शिक्षक अपने आप में मशगूल रहते हैं. कक्षा में बैठे बच्चों से इन्हें कोई मतलब नहीं होता है. उन्हें पढ़ाने के बजाए वह अपने मोबाइल में वीडियो देखते रहते हैं. जब उनसे पूछा गया कि स्कूल की हालत इतनी खराब है. तो उन्होंने भी स्कूल के प्रभारी की तरह रटा-रटाया बयान दे दिया.

स्कूल का नहीं है अपना भवन

भवन की समस्या को लेकर कोई भी व्यक्ति जिलाधिकारी मिलने को तैयार नहीं है. अपनी बदहाली पर रोते इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक पढ़ाई होती है. स्कूल की इस समस्या पर न तो जिला शिक्षा पदाधिकारी का ध्यान है और न ही डीएम का. ऐसे में इस जर्जर भवन में छात्र अपना जान जोखिम में डालकर स्कूल आने को मजबूर हैं.

Intro:यह नौतन प्रखंड के खड्डा पंचायत के वार्ड नंबर 7 में स्थित राजकीय प्राथमिक रहीमपुर विद्यालय है, जो भूमिहीन है और अभी सामुदायिक भवन में चल रहा है, इस स्कूल में कुल 129 बच्चे हैं, तीन सालों से इस सामुदायिक भवन में चल रहे इस स्कूल को अपनी जमीन तक नहीं मिली, इस भवन की तस्वीर को आप को देख लीजिए कि कितनी जर्जर हो चुकी है, स्कूल के फर्स को देख लीजिए और इन बच्चों को देख लीजिए, फर्स ऐसा कि बच्चे ठीक से बैठ भी नहीं सकते, लेकिन स्कूल के शिक्षक को क्या ? वह बड़े मजे से कुर्सी पर बैठ मोबाइल में वीडियो देखने में मशगूल है, इन्हें क्या लेना, बच्चे स्कूल में आते तो हैं, हाजिरी तो लगती है और फिर समय पूरा होगा तो वह अपने घर चले जाएंगे।


अब जरा इस स्कूल में संचालित इस रसोई को देख लीजिए जैसे तैसे खाना तो बन ही जाता है, ताकि बच्चों को भोजन मिल सके, लेकिन इस स्कूल की बदहाली को देखने वाला कोई नहीं है, जब स्कूल के बदहाली पर स्कूल के प्रभारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्कूल 3 सालों से भूमिहीन है, इसके लिए जमीन अभी देखा गया है लेकिन अभी बात नहीं बनी है, जल्दी ही स्कूल का अपना भवन होगा।

बाइट- राजेश कुमार, स्कूल प्रभारी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय


Body:अब जरा स्कूल के सहायक शिक्षक को देख लीजिए, यह शिक्षक महोदय अपने आप में मशगूल हैं, बच्चों को उनके हाल पर छोड़ खुद मोबाइल में वीडियो देखने में लग गए हैं, मानो मास्टर साहब बच्चों का प्रोजेक्ट देख रहे हो, जब उनसे पूछा गया कि स्कूल की हालत इतनी खराब है,तो उन्होंने भी स्कूल के प्रभारी की तरह रटा-रटाया बयान दिया,यह स्कूल भूमिहीन है।

बाइट- मो.नईम, सहायक शिक्षक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय


Conclusion:इस स्कूल के भूमिहीन होने का रोना तो हर कोई रो रहा है लेकिन इसके बारे में जिला अधिकारी ने मिलने के लिए कोई तैयार नहीं है, अपनी बदहाली पर रोता इस स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक पढ़ाई होती है और कुल 129 बच्चे हैं, लेकिन इस स्कूल पर ना तो जिला शिक्षा पदाधिकारी का ध्यान है और ना ही जिला पदाधिकारी का, ऐसे में इस जर्जर भवन में बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल आने को मजबूर है।

जितेंद्र कुमार गुप्ता, ईटीवी भारत, बेतिया
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