बगहाः लम्बे समय से बीमार चल रहे एक बुजुर्ग की मौत के बाद उन्हें कंधा देने वाला कोई नहीं मिला. लिहाजा पुत्र ने ठेले पर शव की अंतिम यात्रा निकाली और दाह संस्कार किया. बताया जाता है कि उनकी मृत्यु सामान्य तरीके से हुई थी. बावजूद इसके इलाके में कोई भी कंधा देने को तैयार नहीं हुआ.
पड़ोसियों ने कंधा देने से फेरा मुंह
कोरोना का खौफ लोगों पर इस कदर हावी हो गया है कि मानवीय संवेदनाएं भी इंसान को घर की दहलीज लांघने से रोक रही है. ऐसा ही एक घटना नगर के गुदरी बाजार में देखने को मिली. जहां 60 वर्ष के मुन्ना गुप्ता की मृत्यु हो गई. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. इसके बाद परिजनों ने अर्थी सजाई और अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक संसाधन जुटाए. लेकिन जब अंतिम यात्रा के लिए कंधा देने की बारी आई तो पड़ोसियों ने मुंह फेर लिया.
ठेले पर निकली अंतिम यात्रा
बेबस परिवार के लोग पड़ोसियों से आग्रह करते रहे कि इनकी मौत सामान्य तरीके से हुई है बावजूद कोई आगे नहीं आया. नतीजतन दोपहर बाद परिजनों ने एक ठेला पर शव को लादा और दीनदयालनगर घाट पहुंचे. जहां उन्होंने शव का दाह संस्कार किया. हालांकि ठेले पर लदे मुन्ना गुप्ता के शव को देख लोग उनके परलोक में सद्गति की दुआ करते जरूर नजर आए.
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कोरोना के भय ने इंसानियत भी छीनी
परिजनों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने कोरोना से मौत की आशंका पर शव को कंधा देने और जलाने से मना किया. जब कोई आगे नहीं आया तो किसी तरह से अंत्येष्टि हुई. कोरोना काल में ऐसा पहली दफा देखने को मिल रहा है कि श्राद्ध कर्म जैसे कर्मकांड बिना पुरोहित के ही सम्पन्न हो रहे हैं.