बगहा: बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) दो दिवसीय वाल्मीकीनगर के दौरे पर आने वाले हैं. उनका आगमन 21 और 22 मई को संभावित है. लिहाजा वाल्मीकिनगर में प्रशासनिक तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू कर दी गई है. ठाड़ी गांव में सरकारी भवनों का रंग रोगन किया जा रहा है. इसके अलावा नाला निर्माण कार्य में भी तेजी लाई गई है. इतना हीं नहीं इलाके में लगे बिजली के खंभों की तस्वीर भी बदली जा रही है. संभावना है कि राज्यपाल वाल्मीकिनगर पहुंचने के बाद यहां की खूबसूरती का दीदार करेंगे. इसके अलावा धार्मिक स्थलों का भ्रमण करने के साथ जंगल सफारी का भी लुफ्त उठाएंगे. बताया जा रहा है की राज्यपाल आदिवासी बहुल इलाकों का भ्रमण करेंगे और विकास कार्यों का भी जायजा लेंगे.
21 मई से शुरू होगा दौरा: यहीं वजह है की गांव के ग्रामीणों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं जैसे वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन ,जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र, शौचालय सुविधा, नल जल सुविधा, कन्या विवाह सहायता राशि, प्रधानमंत्री आवास योजना, राशन कार्ड की उपलब्धता आदि तमाम सुविधाओं का डाटा संग्रहित किया जा रहा है. इस बाबत मौके पर मौजूद वाल्मीकिनगर पंचायत के उप मुखिया रवि प्रकाश गुप्ता एवं सरकारी सुविधाओं के सर्वे में लगे संदेश राम ने बताया कि प्रखंड कार्यालय के निर्देशानुसार घर-घर उपलब्ध सुविधाओं का सर्वे किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण जन सुविधाओं से वंचित न रहे उन्हें सुविधाओं का लाभ उपलब्ध कराया जा सके. महामहिम का वाल्मीकिनगर दौरा 21 मई से शुरू हो रहा है जिसे लेकर वाल्मीकिनगर की जनता उनका तहे दिल से स्वागत करने के लिए तैयार है.
"प्रखंड कार्यालय के निर्देशानुसार घर-घर उपलब्ध सुविधाओं का सर्वे किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण जन सुविधाओं से वंचित न रहे उन्हें सुविधाओं का लाभ उपलब्ध कराया जा सके. महामहिम का वाल्मीकिनगर दौरा 21 मई से शुरू हो रहा है जिसे लेकर वाल्मीकिनगर की जनता उनका तहे दिल से स्वागत करने के लिए तैयार है."-रवि प्रकाश गुप्ता, उप मुखिया
राज्यपाल का होगा पहला दौरा: बता दें कि वाल्मीकिनगर में किसी भी राज्यपाल का यह पहला दौरा होगा. हालांकि इसके पूर्व जब वाल्मीकीनगर का नाम भैंसलोटन था तब 28 अप्रैल 1963 को बिहार के तत्कालीन राज्यपाल अनंत स्यानम आयंगार तत्कालीन भैंसालोन में गंडक बराज का निरीक्षण करने आए थे. इस क्रम में राज्यपाल के साथ भारत और नेपाल के अनेक उच्चाधिकारी भी मौजूद थे. जिनके साथ उन्होंने वाल्मीकि आश्रम का भ्रमण किया था. महर्षि वाल्मीकि के आश्रम का दर्शन करने के बाद राज्यपाल इतना प्रभावित हुए की उन्होंने उसी यात्रा के बाद 20 अगस्त 1963 को घोषण कर दी थी कि 14 जनवरी 1964 से 'भैंसालोटन' का नाम वाल्मीकिनगर कर दिया जाएगा. तब से इंडो नेपाल सीमा पर बसे भैंसालोटन का नाम वाल्मीकिनगर हो गया.