ETV Bharat / state

'किसी भी गांव में पैदल चलकर दिखा दें', प्रशांत किशोर की नीतीश को खुली चुनौती

Bihar Politics प्रशांत किशोर बिहार की 3,500 किलोमीटर लंबी जन सुराज पदयात्रा पर हैं. पूर्वी चंपारण के चकिया में प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में नीतीश जी की जो समाधान यात्रा है. लेकिन प्रशासनिक काम को वह यात्रा का नाम दे रहे हैं. प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो अपने पसंद के किसी भी गांव में पैदल चलकर दिखा दें. पढ़ें पूरी खबर

Prashant Kishor
Prashant Kishor
author img

By

Published : Jan 4, 2023, 7:41 PM IST

मोतिहारी : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'समाधान यात्रा' पर तंज कसा (Nitish Kumar Samadhan Yatra) है. जन सुराज यात्रा के 95वें दिन प्रशांत किशोर ने पूर्वी चंपारण के चकिया में कहा कि 'अगर उनमें हिम्मत है तो अपनी ही पसंद के किसी एक गांव में सरकारी अमले के साथ भी पैदल चलकर दिखा दें'. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रस्तावित यात्रा उनकी 14वीं यात्रा है. वे प्रशासनिक काम को यात्रा का नाम दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें - बिहार में नेताओं की यात्राओं से चढ़ा सियासी पारा, 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा साधने की तैयारी

''प्रशासनिक काम को वह (नीतीश कुमार) यात्रा का नाम दे रहे हैं. नीतीश कुमार एक दिन पश्चिम चंपारण जिला में रुकेंगे. जिसमें कुछ सरकारी अफसरों और चुनिंदा लोगों से मिलेंगे. अगले दिन मोतिहारी और शिवहर होते हुए सीतामढ़ी जाएंगे. इस यात्रा का जनता से कोई सरोकार नहीं है. नीतीश कुमार उन्हीं अफसरों से मिलेंगे, जिनसे वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पटना से बात करते हैं.'' - प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार

'इसे आप यात्रा कैसे बोल सकते हैं?' : प्रशांत किशोर ने कहा कि, मुझे तो जितने लोग मिल रहे हैं. वह बता रहे हैं कि नीतीश कुमार के आने से पहले प्रशासन द्वारा लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि क्या बोलना है, क्या नहीं बोलना है. पटना से किसी दूसरे जिलों में उड़ कर आना और फिर रात में पटना चले जाना इसे आप यात्रा कैसे बोल सकते हैं?

प्रशांत किशोर की नीतीश को खुली चुनौती : मुख्यमंत्री का सरकारी बंगले से निकल जाने को यात्रा नहीं कहा जा सकता है. मैं नीतीश कुमार को चुनौती देता हूं कि अगर हिम्मत है तो अपने पसंद के हीं किसी एक गांव में सरकारी अमले के साथ भी पैदल चलकर दिखा दें. उन्होंने कहा कि सर्किट हाउस में बैठ कर सिर्फ समीक्षा बैठक हो सकती है.

'समय रहते रिटायर हो जाएं नीतीश.. इसी में भलाई' : प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार अब उम्र के इस पड़ाव पर सामाजिक, राजनीतिक तौर पर अकेले पड़ गए हैं. जहां वह इस आशा में हैं कि किसी तरह जनता की आंखों में धूल झोंक कर वोट हासिल कर लें और सत्ता में बने रहें. नीतीश कुमार को मालूम है कि इस बार अंतिम है, इसके बाद उनके लिए कुछ नहीं बचा है. समय रहते रिटायर हो जाएं. इसी में उनकी भलाई है.

किसानों की समस्या पर बोले प्रशांत किशोर: किसानों की समस्याओं पर प्रशांत किशोर ने कहा कि आज किसानों की सबसे बड़ी समस्या खाद-बीज की अनुपलब्धता और कालाबाजारी है. यूरिया की कालाबाजारी इस हद तक है कि सुबह चार बजे से महिलाओं को लाइन में लगना पड़ता है, उसके बावजूद उन्हें यूरिया नहीं उपलब्ध हो पाता. ठंड के मौसम की सुबह-सुबह लंबी-लंबी लाइन को देखकर हालात समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि यूरिया कालाबाजारी के नेटवर्क से बिहार का यूरिया नेपाल शिफ्ट हो रहा है, जिसकी वजह से बिहार के किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है.

'बिहार में पलायन और बेरोजगारी..सबसे बड़ी समस्या' : आखिर में पदयात्रा के अबतक के अपने अनुभव को साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में अबतक जो सबसे बड़ी समस्या निकल कर आई है. वह बेरोजगारी और भयावह पलायन है. यह बात तो पटना में बैठकर भी कही जा सकती है. लेकिन पदयात्रा के दौरान जब हम गांव से गुजर रहे हैं तब इसका अनुभव हो रहा है.

बता दें कि प्रशांत किशोर पदयात्रा के माध्यम से अबतक 1100 किमी से अधिक चल चुके हैं. पदयात्रा पश्चिम चंपारण जिला स्थित भितिहरवा गांधी आश्रम से 2 अक्तूबर को शुरू हुई थी. जो पश्चिम चंपारण और शिवहर जिले से गुजरते हुए अभी पूर्वी चंपारण जिले में है. पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी में 8 जनवरी को जन सुराज पदयात्रा का जिला अधिवेशन भी होना है. इसके बाद पदयात्रा गोपालगंज जिले में प्रवेश करेगी.

मोतिहारी : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'समाधान यात्रा' पर तंज कसा (Nitish Kumar Samadhan Yatra) है. जन सुराज यात्रा के 95वें दिन प्रशांत किशोर ने पूर्वी चंपारण के चकिया में कहा कि 'अगर उनमें हिम्मत है तो अपनी ही पसंद के किसी एक गांव में सरकारी अमले के साथ भी पैदल चलकर दिखा दें'. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रस्तावित यात्रा उनकी 14वीं यात्रा है. वे प्रशासनिक काम को यात्रा का नाम दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें - बिहार में नेताओं की यात्राओं से चढ़ा सियासी पारा, 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा साधने की तैयारी

''प्रशासनिक काम को वह (नीतीश कुमार) यात्रा का नाम दे रहे हैं. नीतीश कुमार एक दिन पश्चिम चंपारण जिला में रुकेंगे. जिसमें कुछ सरकारी अफसरों और चुनिंदा लोगों से मिलेंगे. अगले दिन मोतिहारी और शिवहर होते हुए सीतामढ़ी जाएंगे. इस यात्रा का जनता से कोई सरोकार नहीं है. नीतीश कुमार उन्हीं अफसरों से मिलेंगे, जिनसे वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पटना से बात करते हैं.'' - प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार

'इसे आप यात्रा कैसे बोल सकते हैं?' : प्रशांत किशोर ने कहा कि, मुझे तो जितने लोग मिल रहे हैं. वह बता रहे हैं कि नीतीश कुमार के आने से पहले प्रशासन द्वारा लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि क्या बोलना है, क्या नहीं बोलना है. पटना से किसी दूसरे जिलों में उड़ कर आना और फिर रात में पटना चले जाना इसे आप यात्रा कैसे बोल सकते हैं?

प्रशांत किशोर की नीतीश को खुली चुनौती : मुख्यमंत्री का सरकारी बंगले से निकल जाने को यात्रा नहीं कहा जा सकता है. मैं नीतीश कुमार को चुनौती देता हूं कि अगर हिम्मत है तो अपने पसंद के हीं किसी एक गांव में सरकारी अमले के साथ भी पैदल चलकर दिखा दें. उन्होंने कहा कि सर्किट हाउस में बैठ कर सिर्फ समीक्षा बैठक हो सकती है.

'समय रहते रिटायर हो जाएं नीतीश.. इसी में भलाई' : प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार अब उम्र के इस पड़ाव पर सामाजिक, राजनीतिक तौर पर अकेले पड़ गए हैं. जहां वह इस आशा में हैं कि किसी तरह जनता की आंखों में धूल झोंक कर वोट हासिल कर लें और सत्ता में बने रहें. नीतीश कुमार को मालूम है कि इस बार अंतिम है, इसके बाद उनके लिए कुछ नहीं बचा है. समय रहते रिटायर हो जाएं. इसी में उनकी भलाई है.

किसानों की समस्या पर बोले प्रशांत किशोर: किसानों की समस्याओं पर प्रशांत किशोर ने कहा कि आज किसानों की सबसे बड़ी समस्या खाद-बीज की अनुपलब्धता और कालाबाजारी है. यूरिया की कालाबाजारी इस हद तक है कि सुबह चार बजे से महिलाओं को लाइन में लगना पड़ता है, उसके बावजूद उन्हें यूरिया नहीं उपलब्ध हो पाता. ठंड के मौसम की सुबह-सुबह लंबी-लंबी लाइन को देखकर हालात समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि यूरिया कालाबाजारी के नेटवर्क से बिहार का यूरिया नेपाल शिफ्ट हो रहा है, जिसकी वजह से बिहार के किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है.

'बिहार में पलायन और बेरोजगारी..सबसे बड़ी समस्या' : आखिर में पदयात्रा के अबतक के अपने अनुभव को साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में अबतक जो सबसे बड़ी समस्या निकल कर आई है. वह बेरोजगारी और भयावह पलायन है. यह बात तो पटना में बैठकर भी कही जा सकती है. लेकिन पदयात्रा के दौरान जब हम गांव से गुजर रहे हैं तब इसका अनुभव हो रहा है.

बता दें कि प्रशांत किशोर पदयात्रा के माध्यम से अबतक 1100 किमी से अधिक चल चुके हैं. पदयात्रा पश्चिम चंपारण जिला स्थित भितिहरवा गांधी आश्रम से 2 अक्तूबर को शुरू हुई थी. जो पश्चिम चंपारण और शिवहर जिले से गुजरते हुए अभी पूर्वी चंपारण जिले में है. पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी में 8 जनवरी को जन सुराज पदयात्रा का जिला अधिवेशन भी होना है. इसके बाद पदयात्रा गोपालगंज जिले में प्रवेश करेगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.