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बेतिया: अस्पताल में पोस्टमार्टम भवन बनकर है तैयार, 2 साल से संसाधानों का इंतजार

जिले के बगहा स्थित कमलनाथ तिवारी अनुमंडलीय अस्पताल में दो वर्ष पहले पोस्टमार्टम भवन बनकर तैयार है. लेकिन उपकरणों और संसाधनों के अभाव में आज तक उद्घाटन का इंतजार कर रहा है.

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Published : Jun 28, 2019, 9:34 PM IST

बेतिया

बेतिया: चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत के मामला ने पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का पोल खोल दिया है. प्रदेश के कई जिलों में स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली का आंसू बहा रहा है. जिले के अनुमंडलीय अस्पताल में दो वर्ष पहले पोस्टमार्टम भवन बनकर तैयार है. लेकिन अभी तक उद्घाटन का इंतजार कर रहा है. इससे पीड़ितों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मामला जिले के बगहा स्थित कमलनाथ तिवारी अनुमंडलीय अस्पताल का है. बताया जा रहा है कि इस अस्पताल में लाखों के लागत से दो वर्ष पहले एक पोस्टमार्टम भवन का निर्माण हुआ था. लेकिन इसमें मेडिकल उपकरण और संसाधनों के अभाव में आज तक यह भवन के रूप में ही अस्पताल में शोभा बढ़ा रहा है.

पोस्टमार्टम के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है
इस अस्पताल के एक छोटा से कमरे में पोस्टमार्टम किया जाता है. इसमें एक बार में सिर्फ एक ही शव का पोस्टमार्टम हो पाता है. इससे यहां शवों को पोस्टमार्टम के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. इस अस्पताल में पोस्टमार्टम करने के लिए कोई कर्मी तक नहीं है. यहां प्राइवेट कर्मी के भरोसे शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है.

अस्पताल उपाधीक्षक ए के अग्रवाल का बयान

यहां उपकरणों और संसाधनों का अभाव है
इस मामले को लेकर अस्पताल उपाधीक्षक ए के अग्रवाल का कहना है कि इस नये भवन में पोस्टमार्टम करने के लिए कोई भी संसधान की व्यवस्था नहीं किया गया है. इस भवन में न बिजली, न पानी और न शव को ठंडा करने वाला यंत्र की यहां व्यवस्था किया गया है. इसमें पोस्टमार्टम करने वाला मेडिकल यंत्र भी नहीं है. यह पोस्टमार्टम भवन उपकरणों और संसाधनों के अभाव में ही अधर में लटका हुआ है.

बेतिया: चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत के मामला ने पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का पोल खोल दिया है. प्रदेश के कई जिलों में स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली का आंसू बहा रहा है. जिले के अनुमंडलीय अस्पताल में दो वर्ष पहले पोस्टमार्टम भवन बनकर तैयार है. लेकिन अभी तक उद्घाटन का इंतजार कर रहा है. इससे पीड़ितों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मामला जिले के बगहा स्थित कमलनाथ तिवारी अनुमंडलीय अस्पताल का है. बताया जा रहा है कि इस अस्पताल में लाखों के लागत से दो वर्ष पहले एक पोस्टमार्टम भवन का निर्माण हुआ था. लेकिन इसमें मेडिकल उपकरण और संसाधनों के अभाव में आज तक यह भवन के रूप में ही अस्पताल में शोभा बढ़ा रहा है.

पोस्टमार्टम के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है
इस अस्पताल के एक छोटा से कमरे में पोस्टमार्टम किया जाता है. इसमें एक बार में सिर्फ एक ही शव का पोस्टमार्टम हो पाता है. इससे यहां शवों को पोस्टमार्टम के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. इस अस्पताल में पोस्टमार्टम करने के लिए कोई कर्मी तक नहीं है. यहां प्राइवेट कर्मी के भरोसे शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है.

अस्पताल उपाधीक्षक ए के अग्रवाल का बयान

यहां उपकरणों और संसाधनों का अभाव है
इस मामले को लेकर अस्पताल उपाधीक्षक ए के अग्रवाल का कहना है कि इस नये भवन में पोस्टमार्टम करने के लिए कोई भी संसधान की व्यवस्था नहीं किया गया है. इस भवन में न बिजली, न पानी और न शव को ठंडा करने वाला यंत्र की यहां व्यवस्था किया गया है. इसमें पोस्टमार्टम करने वाला मेडिकल यंत्र भी नहीं है. यह पोस्टमार्टम भवन उपकरणों और संसाधनों के अभाव में ही अधर में लटका हुआ है.

Intro:बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में दो वर्ष पूर्व से पोस्टमार्टम भवन बनकर तैयार है, लेकिन उद्घाटन के अभाव में अब यह जर्जर होता जा रहा। लाखों की लागत से बनकर तैयार इस पोस्टमार्टम भवन का उद्घाटन इसलिए नही हो सका है क्योंकि सरकार पोस्टमार्टम कक्ष में उपयोग होने वाले उपकरण व संसाधनों की व्यवस्था नही कर पाई है।


Body:बगहा अनुमंडल स्थित कमलनाथ तिवारी अनुमंडलीय अस्पताल सुविधा व संसाधनों के मामले में बहुत ही पिछड़ा हुआ है। हालात ये हैं कि इस अस्पताल में पोस्टमार्टम रूम के नाम पर महज एक छोटा सा कमरा है जिसमे मुश्किल से एक समय मे एक ही शव का पोस्टमार्टम हो सकता है ऐसे में कई दफा शव रखने की जगह नही होने की वजह से शवों को घण्टों बाहर रखना पड़ता है। यहीं नही इस अस्पताल में पोस्टमार्टम करने के लिए कर्मी भी नही है। प्राइवेट कर्मी के भरोसे शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है। बाइट- नरसिंह राम, चौकीदार। बानगी यह है कि सरकार ने इस समस्या को देखते हुए दो वर्ष पूर्व ही पोस्टमार्टम के लिए अलग से शानदार भवन का निर्माण करवाया। लाखों रुपये खर्च कर पोस्टमार्टम भवन तो बना दिया गया लेकिन इसमें प्रयोग होने वाले उपकरणों व संसाधनों के इंतेजाम पर ग्रहण लग गया। अब हालत यह है कि नवनिर्मित भवन उद्घाटन के अभाव में जीर्ण शीर्ण अवस्था मे पहुचता जा रहा। लेकिन फिर भी सरकार व विभाग का ध्यान इस तरफ नही है। बाइट- ए के अग्रवाल, अस्पताल उपाधीक्षक।


Conclusion:दो वर्ष पूर्व निर्मित पोस्टमार्टम भवन का संसाधनों व उपकरणों के अभाव में उद्घाटन न होना सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। कहने में कोई अतिशयोक्ति नही की लाखों करोड़ों खर्च कर बनवाये गए इस पोस्टमॉर्टम भवन को अब एक ऐसे रहनुमा की तलाश है जो समय रहते इसके दुर्दशा की बानगी और इसके महत्व को समझ जाए नही तो भवन को खंडहर होते शायद देर न लगे।
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