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बेतिया: 24 घंटे ड्यूटी करने में हो रही थी समस्या, पुलिस ने चेक पोस्ट पर बनाई झोपड़ी

बेतिया में चेकपोस्ट कतकी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने खुद से ही झोपड़ी बना ली. पुलिसकर्मियों को यहां संसाधनों की कमी के कारण ड्यूटी करने में परेशानी हो रही थी.

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Published : May 3, 2020, 5:30 PM IST

बेतिया: पिपरासी थानाक्षेत्र के क्षेत्र में एकमात्र स्थाई चेकपोस्ट कतकी पर संसाधनों की कमी के कारण 24 घंटे ड्यूटी नहीं हो पाती थी. कोरोना बीमारी को लेकर 24 घंटे की ड्यूटी निभाने में पुलिसकर्मियों को काफी दिक्कत हो रही थी. जिसे देख खुद ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने चेकपोस्ट पर फूस की झोपड़ी बना डाली.

24 घंटे रहती है ड्यूटी
पिपरासी एएसआई राधेश्याम सिंह और विश्वजीत पंडित एएसआई ने बताया कि चेकपोस्ट से 500 मीटर दूरी पर दूसरे गांव में एक सामुदायिक भवन में सभी लोग रहते हैं. वर्तमान में चेकपोस्ट पर मात्र 7 पुलिस बल ही तैनात है. इस तरह 24 घंटे ड्यूटी नहीं हो पाती थी. चेकपोस्ट पर बैठने और रहने की व्यवस्था नहीं होने के कारण जवानों को धूप, बारिश और ठंड में चेकपोस्ट छोड़ कर रहना पड़ता था. जवानों के चेकपोस्ट पर नहीं रहने के वक्त बिना रोकटोक लोग आवागमन करते थे. इसको लेकर चेकपोस्ट पर झोपड़ी बनाने की पहल की गई.

चार वर्ष पहले लगा था बैरियर
पिपरासी थानाध्यक्ष संजय कुमार यादव ने कहा कि चेकपोस्ट पर बैरियर चार वर्ष पूर्व ही लग गया था. लेकिन वहां रहने और बैठने के लिए संसाधनों की व्यवस्था के लिए कोई मद नहीं होने के कारण निर्माण नहीं हो पाया. वर्तमान में कोरोना ड्यूटी में अधिक सतर्कता को देखते हुए पुलिस ने झोपड़ी बना ली.

बेतिया: पिपरासी थानाक्षेत्र के क्षेत्र में एकमात्र स्थाई चेकपोस्ट कतकी पर संसाधनों की कमी के कारण 24 घंटे ड्यूटी नहीं हो पाती थी. कोरोना बीमारी को लेकर 24 घंटे की ड्यूटी निभाने में पुलिसकर्मियों को काफी दिक्कत हो रही थी. जिसे देख खुद ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने चेकपोस्ट पर फूस की झोपड़ी बना डाली.

24 घंटे रहती है ड्यूटी
पिपरासी एएसआई राधेश्याम सिंह और विश्वजीत पंडित एएसआई ने बताया कि चेकपोस्ट से 500 मीटर दूरी पर दूसरे गांव में एक सामुदायिक भवन में सभी लोग रहते हैं. वर्तमान में चेकपोस्ट पर मात्र 7 पुलिस बल ही तैनात है. इस तरह 24 घंटे ड्यूटी नहीं हो पाती थी. चेकपोस्ट पर बैठने और रहने की व्यवस्था नहीं होने के कारण जवानों को धूप, बारिश और ठंड में चेकपोस्ट छोड़ कर रहना पड़ता था. जवानों के चेकपोस्ट पर नहीं रहने के वक्त बिना रोकटोक लोग आवागमन करते थे. इसको लेकर चेकपोस्ट पर झोपड़ी बनाने की पहल की गई.

चार वर्ष पहले लगा था बैरियर
पिपरासी थानाध्यक्ष संजय कुमार यादव ने कहा कि चेकपोस्ट पर बैरियर चार वर्ष पूर्व ही लग गया था. लेकिन वहां रहने और बैठने के लिए संसाधनों की व्यवस्था के लिए कोई मद नहीं होने के कारण निर्माण नहीं हो पाया. वर्तमान में कोरोना ड्यूटी में अधिक सतर्कता को देखते हुए पुलिस ने झोपड़ी बना ली.

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