बेतिया(वाल्मीकिनगर): जिले के गंडक पार के प्रखंडों में विधायक निधि से निर्माण हुआ चबूतरा हाथी के दांत साबित हो रहा है. निर्माण के छः माह बाद ही चबूतरे जर्जर हो गए हैं जो अब किसी काम के नहीं रह गए हैं. इस तरह जिस उद्देश्य के लिए चबूतरा का निर्माण कराया गया, वह उद्देश्य पूरा न हो सका. इस तरह सरकार के करोड़ों रुपये अनियमितता के भेंट चढ़ गया. इसको लेकर आम लोगों में आक्रोश है.
दो प्रकार के प्राकलन से हो रहा चबूतरा निर्माण
विधायक निधि से 4 लाख 30 हजार और 3 लाख 27 हजार की लागत से दो तरह के चबूतरों का निर्माण कराया जा रहा है. इसमें विधायक के अनुसंशा पर कार्य का आवंटन किया जाता है. इस चबूतरे की लागत अधिक इसलिए किया गया था कि चबूतरे में आठ पायलिंग के साथ टायल्स लगाए जाएंगे, लेकिन विभागीय मिली भगत के कारण गुणता विहीन चबूतरा के निर्माण के कारण सभी चबूतरे छः माह में ही जर्जर हो गए. उनके टायल्स भी उखड़ गए हैं. इस तरह से लोगों को बैठने और सार्वजिक कार्य के लिए बनवाये गए चबूतरे केवल दिखावे के लिए ही रह गए हैं.
ग्रामीणों ने जताया आक्रोश
वहीं चुनाव के नजदीक आता देख पिछले एक सप्ताह में दर्जनों चबूतरों का शिलान्यास विधायक निधि से लगातार हो रहा है. पिपरासी प्रखंड के श्रीपतनगर, चिरवाहिया मोड़, चंकुहवा आदि स्थानों पर निर्माण हुए चबूतरों के टायल्स उखड़ गए हैं. इस कारण अब ये किसी काम के नहीं रहे. ग्रामीण उमेश प्रसाद, प्रयाग कुशवाहा, कबीर यादव, समसुद्दीन अंसारी, गया प्रसाद आदि ने बताया की जहा करोड़ो रूपये खर्च कर चबूतरा का निर्माण हो रहा है. वही इन पैसों का इस्तेमाल किसानों के हित मे किया गया होता तो वर्तमान में बाढ़ व बरसात से बर्बाद हुए किसानों को राहत मिलती.