बेतिया: बिहार के बेतिया में रेलवे गुमटी की मांग जोर शोर से उठने लगी है. पूरा मामला पश्चिमी चंपारण जिले के लौरिया विधानसभा के धमौरा पंचायत बारी टोला, लक्षणोता का है. यहां के ग्रामीण साठी-चनपटिया के मध्य में रेल गुमटी की मांग कर रहे हैं, लेकिन लोगों को बजाय आश्वासन के कुछ नहीं मिल रहा.
रेलवे गुमटी नहीं होने से लोगों को परेशानी: लोगों ने बताया कि यहां रेलवे गुमटी नहीं होने के कारण ग्रामीणों को अपने गांव 10 से 15 किलोमीटर का चक्कर काटकर जाना पड़ता है. चुनाव के वक्त जनप्रतिनिधि इनसे रेलवे गुमटी बनाने का वादा तो जरूर करते हैं लेकिन चुनाव खत्म होते ही वादे भी खत्म हो जाते हैं. स्थानीय लोगों की मांग है कि रेलवे गुमटी के निर्माण हो जाने से उन्हें गांव में आने-जाने में काफी सहूलियत मिलेगी.
विभाग को लिखा जा चुका है पत्र: बता दें कि रेलवे गुमटी की मांग को लेकर पूर्व सांसद सतीश चंद्र दुबे ने भी विभाग को पत्र लिखा था. उन्होंने पत्र में बताया था कि ट्रैक के दोनों तरफ घनी आबादी रहती है. अगर यह समपार बन जाता तो पंचायत के लोगों का आवागमन होता. जिसपर रेलवे अधिकारियों ने आश्वासन भी दिया. लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी अभी तक रेल गुमटी का निर्माण नहीं हुआ. जिससे यहां के लोगों में रोष है.
15-20 गांव जाने का एकमात्र रास्ता: स्थानीय लोगों का कहना है कि 15 से 20 गांव को यह रास्ता जोड़ती है. लौरिया विधानसभा के धमौरा पंचायत के लछनावता, बारी टोला, चानबरवा, लछनावता, कालाबरवा, वृंदावन, रामपरसवना, परसवना, धोबीनिका और दूसरी तरफ चनपटिया से बेतिया जिला मुख्यालय जाने वाला एक मात्रा रास्ता है. नहीं तो गांव से जिला मुख्यालय जाने के लिए 20 किलोमीटर चक्कर काट के जाना पड़ता है.
जान जोखिम में डाल कर आवागमन करते हैं ग्रामीण: इसको लेकर स्थानीय निवासी अरमान ने बताया कि 'बाढ़ के समय सबसे ज्यादा परेशानी होती है. जब बाढ़ आ जाता है तो नदी पार करके हमें आना जाना पड़ता है. दूसरे रास्ते से अगर आते हैं तो 20 किलोमीटर चक्कर काटना पड़ता है. बच्चों को भी 8 से 10 किलोमिटर का चक्कर काट कर आना पड़ता है, जिससे उन्हें परेशानी होती है, वहीं मरीजों को लाने लेजाने में भी काफी वक्त लग जाता है.'
"प्रखंड व जिला जाने के लिए 20 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. डीएमआर भी आए हुए थे. उनसे पूर्व सांसद ने मुलाकात की और पत्र दिया था. इसके बाद अधिकारी निरीक्षण भी करने आए लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकला और जो जनप्रतिनिधि हैं उन्होंने कभी प्रयास ही नहीं किया. हमें काफी परेशानी होती है."- सुधीर तिवारी, स्थानीय निवासी
पिछले विधानसभा में हुआ था वोट बहिष्कार: स्थानीय लोगों की मानें तो पिछले विधानसभा में लोगों ने वोट का बहिष्कार भी किया था. जिसके बाद जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि आप वोट दीजिए, चुनाव के बाद हम इसका समाधान कर देंगे. लेकिन अभी तक इसका काम पूरा नहीं हुआ. बच्चे रेलवे ट्रैर वाली लाइन को पार करके पढ़ने जाते हैं. क्योंकि यह रास्ता नजदीक है. इससे उनपर जान का खतरा भी बना रहता है.
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