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मटियामेट विकास के दावेः दशकों से बदहाली की आंसू रो रहा बेतिया का यह पुल, गुजरने से सिहर जाएगा रूह

बेतिया से बहने वाली पंडई नदी के टेढ़ा घाट पर बना पुल जर्जर अवस्था (Tedha Ghat Bridge In Bad Condition) में है. करीब 20 साल से चुनावी एजेंडे में यह पुल है, लेकिन चुनाव बाद इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया है. मांगें पूरी नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है.

Tedha Ghat Bridge On Pandai River
Tedha Ghat Bridge On Pandai River
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Published : Feb 19, 2022, 11:01 PM IST

बेतियाः नरकटियागंज के पंडई नदी के टेढ़ा घाट पर बना पुल (Tedha Ghat Bridge On Pandai River) आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पुल के जर्जर हालत के कारण आए दिन पर इसपर सड़क दुर्घटनाएं होते रहती हैं. ग्रामीण जनप्रतिधियों (People Demand To Construct Tedha Ghat Bridge) से लेकर अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं, लेकिन कई दशक बीत जाने के बाद भी इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका है.

इसे भी पढ़ें- मसौढ़ी: खंडहर में तब्दील हो रहा है पशु अस्पताल, यहां ढाई साल से मवेशियों का इलाज है बंद

दशकों से क्यों नहीं बन पाया यह पुल?

ग्रामीण कहते हैं कि चुनाव के समय लोगों को लुभाने के लिए नेता आते हैं और विकास के बड़े-बड़े दावे करते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद वादे सिर्फ चुनावी जुमले बनकर रह जाते हैं. दर्जनों गांवों को आपस में जोड़ने वाले इस पुल के निर्माण नहीं होने से लोगों में आक्रोश है. बार-बार आवेदन, गुहार लगाने के बाद भी इसके जीर्णोद्धार नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

इसे भी पढ़ें- कई साल से नहीं खुला मसौढ़ी का बैरीचक प्राथमिक स्कूल, जंग खा रहे ताले

ग्रामीण बताते हैं कि मुख्य मार्ग पर बने जर्जर स्क्रू पाइप पुल का आलम ये है कि यह कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना को दावत दे सकती है. वो बताते हैं कि पिछले 20 सालों से चुनावी एजेंडे में यह पुल रहा तो लेकिन किसी ने इसके निर्माण या जीर्णोद्धार में दिलचस्पी नहीं दिखाई. लोगों ने जल्द से जल्द इसके जीर्णोद्धार की मांग की है. कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है तो वे चरणबद्ध आंदोलन करेंगे.

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बेतियाः नरकटियागंज के पंडई नदी के टेढ़ा घाट पर बना पुल (Tedha Ghat Bridge On Pandai River) आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पुल के जर्जर हालत के कारण आए दिन पर इसपर सड़क दुर्घटनाएं होते रहती हैं. ग्रामीण जनप्रतिधियों (People Demand To Construct Tedha Ghat Bridge) से लेकर अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं, लेकिन कई दशक बीत जाने के बाद भी इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका है.

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दशकों से क्यों नहीं बन पाया यह पुल?

ग्रामीण कहते हैं कि चुनाव के समय लोगों को लुभाने के लिए नेता आते हैं और विकास के बड़े-बड़े दावे करते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद वादे सिर्फ चुनावी जुमले बनकर रह जाते हैं. दर्जनों गांवों को आपस में जोड़ने वाले इस पुल के निर्माण नहीं होने से लोगों में आक्रोश है. बार-बार आवेदन, गुहार लगाने के बाद भी इसके जीर्णोद्धार नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

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ग्रामीण बताते हैं कि मुख्य मार्ग पर बने जर्जर स्क्रू पाइप पुल का आलम ये है कि यह कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना को दावत दे सकती है. वो बताते हैं कि पिछले 20 सालों से चुनावी एजेंडे में यह पुल रहा तो लेकिन किसी ने इसके निर्माण या जीर्णोद्धार में दिलचस्पी नहीं दिखाई. लोगों ने जल्द से जल्द इसके जीर्णोद्धार की मांग की है. कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है तो वे चरणबद्ध आंदोलन करेंगे.

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