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देख रहे हो विनोद..! कैसे सीएम नीतीश के आने से पहले सबकुछ चकचकाया जा रहा है - घटिया निर्माण और बाल मजदूरी

बगहा जिला प्रशासन को जैसे ही सूचना मिली कि सात निश्चय योजना का निरीक्षण (Saat Nischay Yojna) कर सीएम नीतीश दरुआबारी गांव से यात्रा की शुरूआत करेंगे तो प्रशासन ने 'कागजों पर चमक रहे गांव' को जमीन पर चकचकाना शुरू कर दिया. महज कुछ दिन में ही 7 निश्चय की योजनाओं को धरातल पर उतारा जाने लगा. पश्चिम चंपारण से आई ये स्पेशल रिपोर्ट पढ़ें-

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दरुआबारी गांव से बिहार यात्रा
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Published : Jan 3, 2023, 10:03 PM IST

Updated : Jan 3, 2023, 10:13 PM IST

देखिए नीतीश के निरीक्षण से पहले दरुआबारी का हाल

बगहा: 5 जनवरी 2023 को सीएम नीतीश कुमार बगहा के दरुआबारी गांव से बिहार यात्रा की शुरूआत करने जा रहे हैं. उनके आने की सूचना पर जिला प्रशासन गांव को आनन-फानन में चमकाने लगा है. जहां सड़क नहीं थीं, वहां पर इंटरलॉकिंग ईंटों (Paver Block) को बिछाकर झटपट रोड तैयार की जा रही है. गांव के कुओं, पोखरों और सरकारी भवनों का रंग-रोगन किया जा रहा है. पूरा प्रशासनिक अमला युद्ध स्तर पर जुटा हुआ है. गांव वाले तेजी से चल रहे निर्माण कार्य को लीपा-पोती बता रहे हैं.

ये भी पढ़ें- क्या बिहार की राजनीति में फिर होंगे बड़े बदलाव..! JDU और RJD के इन विवादों से बढ़ी आशंका

घटिया निर्माण और बाल मजदूरी का आरोप: गांव में काम इतनी तेजी से चल रहा है कि मजदूर तक समय से नहीं मिल पाए. गांव वालों ने घटिया सामाग्री से निर्माण का भी आरोप लगाया. यही नहीं गांव में चल रहे काम को पूरा करने के लिए बच्चों से काम कराया जा रहा है. अचानक हो रहे विकास कार्यों के बारे में पूछे जाने पर लोगों का कहना है कि जो विकास आज दिख रहा है, वह रातों-रात किये जा रहे कार्य हैं. पहले यहां पर कुछ भी नहीं था. मुख्यमंत्री के आने की सूचना पर अधिकारी और कर्मचारी दिन रात एक-कर काम कर रहे हैं.

आनन-फानन में पूरे हो रहे अधूरे पड़े काम: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आने की सूचना पर दरुआबारी गांव के गली–नली, जल–नल, शौचालय का निर्माण और प्रधानमंत्री आवास योजना को रातों-रात पूरा कराया जा रहा है. वहीं पहले से आधे-अधूरे नल-जल काम को भी पूरा कराने में पूरा महकमा कैम्प कर रहा है. धूमिल पड़े स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों की पेटिंग कराई जा रही है. कम समय में सामान उपलब्ध नहीं हो पाने के चलते घटिया सामाग्री का भी इस्तेमाल हो रहा है, साथ ही बाल मजदूरी भी करवाई जा रही है.

निरीक्षण के चंद घंटे पहले पोखर का जीर्णोद्धार: तय कार्यक्रम के मुताबिक इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 'जल-जीवन-हरियाली' के कार्यों का जायजा लेंगे. यहां थारू आदिवासी बहुल दलित बस्ती में लोगों से रूबरू होंगे. इस दौरान सीएम ऐतिहासिक दलदलिया पोखरा का भी निरीक्षण करेंगे. मुआयने की सूचना जैसे ही प्रशासन तक पहुंची गांव की सूरत बदली जाने लगी. आल्हा उदल के जमाने का ऐतिहासिक धरोहर दलदली पोखरे का जीर्णोद्धार कर उसे सजाया जाने लगा है.

''मुख्यमंत्री का कार्यक्रम तो यहां हमेशा होता है, लेकिन रंग रोगन के सिवाय कुछ नहीं होता. कैनाल में करोड़ों रुपए खर्च किया है मुख्यमंत्री ने. वो आकर यहां देखें कि उसका क्या हाल है. नंदी पोखरा का क्या हाल है? आज दरुआबारी पोखरा का जीर्णोद्धार हो रहा है. उसका भी यही हश्र होने वाला है, लीपा-पोती के अलावा कोई काम नहीं होगा.''- वीरेंद्र सिंह, स्थानीय बुजुर्ग

गांव वालों ने उठाए सवाल: स्थानीय लोगों ने सवाल उठाते हुए पूछा कि जब-जब मुख्यमंत्री आते हैं तभी क्यों जन कल्याणकारी योजनाओं का काम जोर पकड़ता है? क्योंकि इसके पहले भी जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत नंदी पोखरा का जीर्णोद्धार हुआ था. लेकिन, उसकी हालत आज भी दयनीय है. साथ ही पुरानी नहर में सीएम ने बोट सफारी का उद्घाटन किया उसके बाद से ही वह बंद पड़ा है.


ईटीवी भारत से बोले मनरेगा के अधिकारी: इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने मनरेगा तकनीकी विभाग के अधिकारी नागेन्द्र प्रसाद से पूछा तो उन्होंने बिना लाग-लपेट के कहा कि ये उनकी मजबूरी है कि दो नंबर की ईंटों से काम कराना पड़ रहा है, क्योंकि काम को तय समय में कराने के लिए उपलब्ध सामान पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. यही नहीं उन्होंने बताया कि मजदूर नहीं मिलने की वजह से बालमजदूरी करवायी जा रही है.

''मुख्यमंत्री जी का यहां आगमन है. सब दो नंबर की ईंट को निकलवाकर फ्रेश ईंट लगवा रहे हैं. जब एक नंबर की सामाग्री नहीं उपलब्ध हो पा रही है तो हमें मजबूरन जैसा भी सामान मिल रहा है लगाना पड़ रहा है. मजदूर नहीं मिलने के चलते जल्दी काम के लिए इनको भी (बाल मजदूरों को) लगाया जा रहा है''- नागेन्द्र प्रसाद, मनरेगा तकनीकी विभाग


जबकि महागठबंधन के राजद नेता का कहना है कि प्रशासन जिस जगह को चिन्हित करता है, प्राथमिकता देता है उसी जगह पर विकास कार्य को अमलीजामा पहनाया जाता है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सीएम के आने पर ही ये कार्य तेजगति से क्यों होते हैं. सतत विकास कार्यक्रम के तहत सभी इलाकों को इस तरह दुलहन की तरह सजाने का प्रारूप क्यों नही तैयार किया जाता?

''प्रशासन के लोग गांव को सलेक्ट करते हैं. मुख्यमंत्री का जहां प्रोग्राम रहता है उसको अधिकारी टॉप प्रमुखता देते हैं. प्रशासन को भी उसपर काम करना पड़ता है. जब कोई काम तेजी से होता है तो उसमें कुछ न कुछ त्रुटियां तो होती हैं.'' - महेंद्र भारती, राजद कार्यकर्ता

देखिए नीतीश के निरीक्षण से पहले दरुआबारी का हाल

बगहा: 5 जनवरी 2023 को सीएम नीतीश कुमार बगहा के दरुआबारी गांव से बिहार यात्रा की शुरूआत करने जा रहे हैं. उनके आने की सूचना पर जिला प्रशासन गांव को आनन-फानन में चमकाने लगा है. जहां सड़क नहीं थीं, वहां पर इंटरलॉकिंग ईंटों (Paver Block) को बिछाकर झटपट रोड तैयार की जा रही है. गांव के कुओं, पोखरों और सरकारी भवनों का रंग-रोगन किया जा रहा है. पूरा प्रशासनिक अमला युद्ध स्तर पर जुटा हुआ है. गांव वाले तेजी से चल रहे निर्माण कार्य को लीपा-पोती बता रहे हैं.

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घटिया निर्माण और बाल मजदूरी का आरोप: गांव में काम इतनी तेजी से चल रहा है कि मजदूर तक समय से नहीं मिल पाए. गांव वालों ने घटिया सामाग्री से निर्माण का भी आरोप लगाया. यही नहीं गांव में चल रहे काम को पूरा करने के लिए बच्चों से काम कराया जा रहा है. अचानक हो रहे विकास कार्यों के बारे में पूछे जाने पर लोगों का कहना है कि जो विकास आज दिख रहा है, वह रातों-रात किये जा रहे कार्य हैं. पहले यहां पर कुछ भी नहीं था. मुख्यमंत्री के आने की सूचना पर अधिकारी और कर्मचारी दिन रात एक-कर काम कर रहे हैं.

आनन-फानन में पूरे हो रहे अधूरे पड़े काम: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आने की सूचना पर दरुआबारी गांव के गली–नली, जल–नल, शौचालय का निर्माण और प्रधानमंत्री आवास योजना को रातों-रात पूरा कराया जा रहा है. वहीं पहले से आधे-अधूरे नल-जल काम को भी पूरा कराने में पूरा महकमा कैम्प कर रहा है. धूमिल पड़े स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों की पेटिंग कराई जा रही है. कम समय में सामान उपलब्ध नहीं हो पाने के चलते घटिया सामाग्री का भी इस्तेमाल हो रहा है, साथ ही बाल मजदूरी भी करवाई जा रही है.

निरीक्षण के चंद घंटे पहले पोखर का जीर्णोद्धार: तय कार्यक्रम के मुताबिक इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 'जल-जीवन-हरियाली' के कार्यों का जायजा लेंगे. यहां थारू आदिवासी बहुल दलित बस्ती में लोगों से रूबरू होंगे. इस दौरान सीएम ऐतिहासिक दलदलिया पोखरा का भी निरीक्षण करेंगे. मुआयने की सूचना जैसे ही प्रशासन तक पहुंची गांव की सूरत बदली जाने लगी. आल्हा उदल के जमाने का ऐतिहासिक धरोहर दलदली पोखरे का जीर्णोद्धार कर उसे सजाया जाने लगा है.

''मुख्यमंत्री का कार्यक्रम तो यहां हमेशा होता है, लेकिन रंग रोगन के सिवाय कुछ नहीं होता. कैनाल में करोड़ों रुपए खर्च किया है मुख्यमंत्री ने. वो आकर यहां देखें कि उसका क्या हाल है. नंदी पोखरा का क्या हाल है? आज दरुआबारी पोखरा का जीर्णोद्धार हो रहा है. उसका भी यही हश्र होने वाला है, लीपा-पोती के अलावा कोई काम नहीं होगा.''- वीरेंद्र सिंह, स्थानीय बुजुर्ग

गांव वालों ने उठाए सवाल: स्थानीय लोगों ने सवाल उठाते हुए पूछा कि जब-जब मुख्यमंत्री आते हैं तभी क्यों जन कल्याणकारी योजनाओं का काम जोर पकड़ता है? क्योंकि इसके पहले भी जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत नंदी पोखरा का जीर्णोद्धार हुआ था. लेकिन, उसकी हालत आज भी दयनीय है. साथ ही पुरानी नहर में सीएम ने बोट सफारी का उद्घाटन किया उसके बाद से ही वह बंद पड़ा है.


ईटीवी भारत से बोले मनरेगा के अधिकारी: इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने मनरेगा तकनीकी विभाग के अधिकारी नागेन्द्र प्रसाद से पूछा तो उन्होंने बिना लाग-लपेट के कहा कि ये उनकी मजबूरी है कि दो नंबर की ईंटों से काम कराना पड़ रहा है, क्योंकि काम को तय समय में कराने के लिए उपलब्ध सामान पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. यही नहीं उन्होंने बताया कि मजदूर नहीं मिलने की वजह से बालमजदूरी करवायी जा रही है.

''मुख्यमंत्री जी का यहां आगमन है. सब दो नंबर की ईंट को निकलवाकर फ्रेश ईंट लगवा रहे हैं. जब एक नंबर की सामाग्री नहीं उपलब्ध हो पा रही है तो हमें मजबूरन जैसा भी सामान मिल रहा है लगाना पड़ रहा है. मजदूर नहीं मिलने के चलते जल्दी काम के लिए इनको भी (बाल मजदूरों को) लगाया जा रहा है''- नागेन्द्र प्रसाद, मनरेगा तकनीकी विभाग


जबकि महागठबंधन के राजद नेता का कहना है कि प्रशासन जिस जगह को चिन्हित करता है, प्राथमिकता देता है उसी जगह पर विकास कार्य को अमलीजामा पहनाया जाता है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सीएम के आने पर ही ये कार्य तेजगति से क्यों होते हैं. सतत विकास कार्यक्रम के तहत सभी इलाकों को इस तरह दुलहन की तरह सजाने का प्रारूप क्यों नही तैयार किया जाता?

''प्रशासन के लोग गांव को सलेक्ट करते हैं. मुख्यमंत्री का जहां प्रोग्राम रहता है उसको अधिकारी टॉप प्रमुखता देते हैं. प्रशासन को भी उसपर काम करना पड़ता है. जब कोई काम तेजी से होता है तो उसमें कुछ न कुछ त्रुटियां तो होती हैं.'' - महेंद्र भारती, राजद कार्यकर्ता

Last Updated : Jan 3, 2023, 10:13 PM IST
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