पश्चिमी चंपारण: बिहार-यूपी सीमा पर गंडक नदी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी है. दोनो राज्यों के कई गांव पानी में विलीन हो चुके हैं. इस वजह से इलाके के लोग दहशत में पलायन के साथ-साथ रात को जागने के लिए मजबूर हैं.
पीपी तटबंध के किनारे बसे ठकराहा प्रखंड के धुमनगर गांव के15 परिवारों का घर महज तीनों दिनों में पानी में विलीन हो गया. वहीं, दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के अमवा खास इलाके के तकरीबन 30 परिवारों का घर नदी के पानी में डूब गया, लेकिन अब तक दोनों राज्यों की सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं. सरकार के इस रवैये से नाराज उत्तरप्रदेश के तमकुही राज के विधायक दो दिनों से लगातार धरने पर बैठे हैं.
'सरकार नहीं है गंभीर'
तमकुही राज के विधायक सह उत्तरप्रदेश सदन में कांग्रेस के नेता अजय कुमार ने कहा कि प्रशासन लोगों की सुरक्षा कार्यों में देरी कर रहा है. उन्होंने कहा कि आलाधिकारियों सहित मुख्यमंत्री तक को लिखित में सूचना दी गई थी. सदन में भी इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई. इस वजह से आज बिहार-यूपी के हजारों परिवारों पर आफत बनी हुई है. यहां के लोग दहशत में पलायन करने को मजबूर हैं.
ग्रामीणों ने प्रशासन पर लगाया आरोप
मौके पर मौजूद ग्रामीणों का कहना है कि गंडक नदी के कटान के बारे में प्रशासन को लिखित, मोबाइल कॉल और व्हाट्सएप्प कई तरीकों से जानकारी दी गई, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. गांव के लोगों ने कहा कि अब कटाव भयंकर रूप ले चुका है. तो प्रशासन आग लगने पर कुंआ खोदने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते सरकार ने ध्यान दिया होता तो आज दर्जनों लोगों के घर और खेत सही-सलामत होते.
तटबन्ध पर बन रहा है दबाव
बता दें कि एक सप्ताह पहले गंडक नदी और पीपी तटबंध के बीच की दूरी तकरीबन 100 फीट की थी. लेकिन कटाव इतना तेज हुआ कि गंडक नदी की धारा पीपी तटबन्ध के किनारे पहुंच चुकी है. पिछले 3 दिनों से गंडक नदी की धारा ने अपनी दिशा बदल ली है और लगातार उसका तेज स्ट्रीम पीपी तटबंध पर ही दबाव बना रहा है. जिससे इलाके के लोगों में भय का माहौल है.