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पश्चिमी चंपारण: गंडक में कटान से बाढ़ की चपेट में कई गांव, नदी में विलीन हो चुके हैं कई घर

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Published : Sep 22, 2019, 5:13 PM IST

एक सप्ताह पहले गंडक नदी और पीपी तटबंध के बीच की दूरी तकरीबन 100 फीट की थी. लेकिन कटाव इतना तेज हुआ कि गंडक नदी की धारा पीपी तटबन्ध के किनारे पहुंच चुकी है. पिछले 3 दिनों से गंडक नदी की धारा ने अपनी दिशा बदल ली है और लगातार उसका तेज स्ट्रीम पीपी तटबन्ध पर ही दबाव बना रहा है.

गंडक नदी के कटान से बाढ़ की चपेट में कई गांव

पश्चिमी चंपारण: बिहार-यूपी सीमा पर गंडक नदी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी है. दोनो राज्यों के कई गांव पानी में विलीन हो चुके हैं. इस वजह से इलाके के लोग दहशत में पलायन के साथ-साथ रात को जागने के लिए मजबूर हैं.

पीपी तटबंध के किनारे बसे ठकराहा प्रखंड के धुमनगर गांव के15 परिवारों का घर महज तीनों दिनों में पानी में विलीन हो गया. वहीं, दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के अमवा खास इलाके के तकरीबन 30 परिवारों का घर नदी के पानी में डूब गया, लेकिन अब तक दोनों राज्यों की सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं. सरकार के इस रवैये से नाराज उत्तरप्रदेश के तमकुही राज के विधायक दो दिनों से लगातार धरने पर बैठे हैं.

पश्चिमी चंपारण
जानकारी देते तमकुही राज के विधायक

'सरकार नहीं है गंभीर'
तमकुही राज के विधायक सह उत्तरप्रदेश सदन में कांग्रेस के नेता अजय कुमार ने कहा कि प्रशासन लोगों की सुरक्षा कार्यों में देरी कर रहा है. उन्होंने कहा कि आलाधिकारियों सहित मुख्यमंत्री तक को लिखित में सूचना दी गई थी. सदन में भी इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई. इस वजह से आज बिहार-यूपी के हजारों परिवारों पर आफत बनी हुई है. यहां के लोग दहशत में पलायन करने को मजबूर हैं.

गंडक नदी के कटान से बाढ़ की चपेट में कई गांव

ग्रामीणों ने प्रशासन पर लगाया आरोप
मौके पर मौजूद ग्रामीणों का कहना है कि गंडक नदी के कटान के बारे में प्रशासन को लिखित, मोबाइल कॉल और व्हाट्सएप्प कई तरीकों से जानकारी दी गई, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. गांव के लोगों ने कहा कि अब कटाव भयंकर रूप ले चुका है. तो प्रशासन आग लगने पर कुंआ खोदने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते सरकार ने ध्यान दिया होता तो आज दर्जनों लोगों के घर और खेत सही-सलामत होते.

पश्चिमी चंपारण
गंडक नदी में कटान से बाढ़ की चपेट में कई गांव

तटबन्ध पर बन रहा है दबाव
बता दें कि एक सप्ताह पहले गंडक नदी और पीपी तटबंध के बीच की दूरी तकरीबन 100 फीट की थी. लेकिन कटाव इतना तेज हुआ कि गंडक नदी की धारा पीपी तटबन्ध के किनारे पहुंच चुकी है. पिछले 3 दिनों से गंडक नदी की धारा ने अपनी दिशा बदल ली है और लगातार उसका तेज स्ट्रीम पीपी तटबंध पर ही दबाव बना रहा है. जिससे इलाके के लोगों में भय का माहौल है.

पश्चिमी चंपारण: बिहार-यूपी सीमा पर गंडक नदी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी है. दोनो राज्यों के कई गांव पानी में विलीन हो चुके हैं. इस वजह से इलाके के लोग दहशत में पलायन के साथ-साथ रात को जागने के लिए मजबूर हैं.

पीपी तटबंध के किनारे बसे ठकराहा प्रखंड के धुमनगर गांव के15 परिवारों का घर महज तीनों दिनों में पानी में विलीन हो गया. वहीं, दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के अमवा खास इलाके के तकरीबन 30 परिवारों का घर नदी के पानी में डूब गया, लेकिन अब तक दोनों राज्यों की सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं. सरकार के इस रवैये से नाराज उत्तरप्रदेश के तमकुही राज के विधायक दो दिनों से लगातार धरने पर बैठे हैं.

पश्चिमी चंपारण
जानकारी देते तमकुही राज के विधायक

'सरकार नहीं है गंभीर'
तमकुही राज के विधायक सह उत्तरप्रदेश सदन में कांग्रेस के नेता अजय कुमार ने कहा कि प्रशासन लोगों की सुरक्षा कार्यों में देरी कर रहा है. उन्होंने कहा कि आलाधिकारियों सहित मुख्यमंत्री तक को लिखित में सूचना दी गई थी. सदन में भी इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई. इस वजह से आज बिहार-यूपी के हजारों परिवारों पर आफत बनी हुई है. यहां के लोग दहशत में पलायन करने को मजबूर हैं.

गंडक नदी के कटान से बाढ़ की चपेट में कई गांव

ग्रामीणों ने प्रशासन पर लगाया आरोप
मौके पर मौजूद ग्रामीणों का कहना है कि गंडक नदी के कटान के बारे में प्रशासन को लिखित, मोबाइल कॉल और व्हाट्सएप्प कई तरीकों से जानकारी दी गई, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. गांव के लोगों ने कहा कि अब कटाव भयंकर रूप ले चुका है. तो प्रशासन आग लगने पर कुंआ खोदने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते सरकार ने ध्यान दिया होता तो आज दर्जनों लोगों के घर और खेत सही-सलामत होते.

पश्चिमी चंपारण
गंडक नदी में कटान से बाढ़ की चपेट में कई गांव

तटबन्ध पर बन रहा है दबाव
बता दें कि एक सप्ताह पहले गंडक नदी और पीपी तटबंध के बीच की दूरी तकरीबन 100 फीट की थी. लेकिन कटाव इतना तेज हुआ कि गंडक नदी की धारा पीपी तटबन्ध के किनारे पहुंच चुकी है. पिछले 3 दिनों से गंडक नदी की धारा ने अपनी दिशा बदल ली है और लगातार उसका तेज स्ट्रीम पीपी तटबंध पर ही दबाव बना रहा है. जिससे इलाके के लोगों में भय का माहौल है.

Intro:बिहार यूपी सीमा पर गण्डक नदी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी है।अब तक दोनो प्रदेशों के दर्जनों गांव सहित ग्रामीणों के सैकड़ो एकड़ फसल नदी की धारा में विलीन हो चुकी है। यूपी व बिहार के लोग दहशत में पलायन के साथ साथ रतजग्गा कर रहे हैं वही उत्तरप्रदेश के तमकुही राज के विधायक दो दिनों से लगातार यूपी व बिहार सरकार के उदासीनता की वजह से धरना पर बैठे हैं। ग्राउंड जीरो से ईटीवी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...


Body:बता दें कि लगातार हुई बारिश के बाद गंडक नदी का जलस्तर चार दिन पूर्व 2 लाख क्यूसेक के ऊपर तक चला गया था। अब जैसे जैसे गण्डक नदी का जलस्तर कम होता जा रहा वैसे वैसे बूढ़ी गण्डक अपना रौद्र रूप दिख रही। महज 3 दिन के भीतर पीपी तटबंध के किनारे बसे बिहार स्थित ठकराहा प्रखण्ड के धुमनगर के 15 परिवारों का घर व सैकड़ो एकड़ फसल गण्डक ने अपने आगोश में लील लिया है। वही दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के अमवा खास इलाके का भी तकरीबन 30 लोहों का घर इस नदी के धारा में समाहित हो गया है।
यही वजह है कि सरकारी उदासीनता से नाराज उत्तरप्रदेश के तमकुही राज के विधायक सह उत्तरप्रदेश सदन में कांग्रेस के नेता अजय कुमार लल्लू पीपी तटबंध पर दो दिनों से धरना पर बैठ रहे हैं। बिहार व यूपी के ग्रामीण भी पूरे रात विधायक के साथ बैठ रतजग्गा कर रहे है। विधायक जी का आरोप है कि आलाधिकारियों सहित मुख्यमंत्री तक को लिखित रूप में सूचना दी गई थी यहां तक कि सदन में भी इस मुद्दे को उठाया गया था लेकिन सरकार ने संजीदगी नही दिखाई, जिसका नतीजा है कि आज बिहार यूपी के हजारों परिवारों पर आफत आ पड़ी है और पीपी तटबन्ध कटने के कगार पर पहुच गया है। साथ ही लोग दहशत में पलायन को मजबूर हैं।
वही मौके पर मौजूद ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को लिखित, मोबाइल और व्हाट्सएप्प कई तरीकों से अवगत कराया गया लेकिन प्रशासन ने इसे सीरियस नही लिया अब जब कटाव भयंकर रूप ले चुका है तो प्रशासन आग लगने पर कुंवा खोदने का काम कर रहा। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि समय रहते सरकार ने ध्यान दिया होता तो आज दर्जनों लोगों के घर और खेत नही कटे होते और लोग दहशत में नही जीते।


Conclusion:बता दें कि एक सप्ताह पूर्व गण्डक नदी पीपी तटबन्ध से तकरीबन 100 फ़ीट की दूरी पर थी लेकिन कटाव इतना तेज हो रहा कि गण्डक की धारा पीपी तटबन्ध के किनारे पहुच चुकी है। विगत 3 दिनों से गण्डक नदी की धारा ने अपना दिशा बदल लिया है और लगातार उसका तेज स्ट्रीम पीपी तटबन्ध पर ही दबाव बना रहा है। ऐसे में कहने में कोई अतिशयोक्ति नही की प्रशासन द्वारा आग लगने पर द्रुत गति से कराया जा रहा कार्य ऊंट के मुंह मे जीरा के मुताबिक है।
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