बेतिया : स्वास्थ्य विभाग भले ही अस्पतालों में व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा करती हो लेकिन सच तो यह है कि आज भी अस्पतालों की स्थिति ठीक नहीं है. बेतिया में इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक प्राथमिक उपचार भी करना मुनासिब नहीं समझते और थोड़ा सा भी गंभीर मामला आने पर मरीजों को ड्राइवर व एम्बुलेंस अटेंडेंट के भरोसे रेफर कर देते हैं. लिहाजा मरीज समेत उनके परिजनों को काफी परेशानी होती है.
दवा के अभाव में मरीज कर दिए जाते हैं रेफर
सरकार वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व को पर्यटन स्थल के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने के लिए तमाम व्यवस्थाएं कर रही है. लेकिन पर्यटकों और स्थानीय लोगों की इलाज के लिए बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने में अब तक नाकाम साबित हुई है. दरअसल, इंडो-नेपाल सीमा स्थित वाल्मीकिनगर उप स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का इस कदर अभाव है कि मरीजों को बिना प्राथमिक उपचार के ही रेफरल अस्पताल रेफर कर दिया जाता है.
प्राथमिक उपचार के अभाव में गई एक मरीज की जान
दवा नहीं होने की बात कह उपस्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों ने बुधवार को एक मरीज को बिना प्राथमिक उपचार किए रेफर कर दिया. जिससे उसकी रास्ते में ही मौत हो गई. बेतिया निवासी सुफियान कैसर के परिजनों ने बताया कि बुधवार की सुबह नशे की हालत में कैसर को उपस्वास्थ्य केंद्र वाल्मीकिनगर लाया गया. जहां मरीज को न तो किसी तरह का इंजेक्शन दिया गया और ना ही कोई प्राथमिक उपचार किया गया. सीधे एम्बुलेंस से उसे रेफरल अस्पताल रेफर कर दिया गया और ऑक्सीजन भी नहीं लगाई गई. लिहाजा मरीज ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल पहुंच जमकर हंगामा किया.
प्रभारी चिकित्सक ने कहा मरीज की हालत थी बेहतर
वहीं इन सभी मामलों पर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक संजय कुमार ने बताया कि मरीज को जब पुलिस हॉस्पिटल में लेकर आई थी तो उस समय स्थिति ठीक थी. इसलिए कोई प्राथमिक उपचार नहीं किया गया. जिसको लेकर परिजनों ने आरोप लगाया कि यदि मरीज की हालत नाजुक नहीं थी तो उसे रेफर क्यों किया गया. जबकि एम्बुलेंस अटेंडेंट व उसके चालक का कहना है कि डॉक्टरों ने ऑक्सीजन चढ़ाने की सलाह ही नहीं दी थी लिहाजा उन्होंने बिना ऑक्सीजन लगाए मरीज को रेफरल अस्पताल ले जाया जा रहा था.
पर्यटन नगरी में भी स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अस्पताल में एमबीबीएस चिकित्सक, एएनएम व आयुष चिकित्सकों की फेहरिस्त है. बावजूद इसके एक्सरे रूम, बलगम जांच केंद्र पर ताला लटका रहता है. इसके अलावा दवाएं उपलब्ध नहीं रहती हैं. नतीजतन किसी भी तरह के सीरियस मरीज को तुरंत रेफर कर दिया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि पर्यटन नगरी में भारी संख्या में पर्यटक आते हैं यदि उनके साथ किसी तरह की कैजुअल्टी हो जाए तो बेहतर इलाज के लिए 60 किमी का सफर तय करना पड़ता है.