बेतिया (नरकटियागंज): आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. पेट्रोल और डीजल के भाव में लगातार महंगाई की आग भड़क रही हैं. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो मुश्किलों से निजात पाने के लिए देसी जुगाड़ ढूंढ़ते रहते हैं. बिहार के बेतिया जिले के लोकेश ने जुगाड़ लगाकर पुराने बच्चों की साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदल दिया. जुगाड़ से बनी ई-साइकिल को देखने के लिए लोगों को तांता लगा हुआ है.
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बैट्री साइकिल बनाने का आइडिया कैसे आया? : बेतिया जिले के नरकटियागंज शहर के वार्ड संख्या एक में पुरानी बाजार निवासी रामपूजन शर्मा के बेटे लोकेश कुमार शर्मा (25) जम्मू कश्मीर में रहकर कारपेंटर का काम करते है. लोकेश जब भी छुट्टियों में अपने घर नरकटियागंज आते थे, तो बाजार आने जाने के लिए बाइक का इस्तेमाल करते थे. ऐसे में बाइक में पेट्रोल भरवाने में काफी पैसा खर्च होता था. तभी लोकेश को एक आइडिया सूझा कि क्यों न बैट्री से चलने वाली साइकिल बनाई जाय.
कबाड़ से बनाई साइकिल, इन चीजों का इस्तेमाल किया : इस बार लोकेश होली के मौके पर नरकटियागंज अपने गांव आए थे. उन्होंने सबसे पहले घर में कबाड़ हो चुकी एक साइकिल से शुरुआत की. ई-साइकिल तैयार करने के लिए मोटर और बैट्री भी खरीदी. फिर दोनों को साइकिल में लगा दिया. बैट्री मोटर को करंट देती है और मोटर से बाइक के पहिये घूमते है. साइकिल में एक पैटी, ब्रशलेस डीसी मोटर एवं स्विच कंट्रोलर की मदद से साइकिल को बैट्री चलित बनाया है. इसके अलावा कबाड़ से कुछ सामान लाकर साइकिल को एसेंबल किया है. कुछ इस तरह से एक हफ्ते की कड़ी मेहनत के बाद साइकिल बनकर तैयार हो गई.
एक चार्ज में 25 KM चलने वाली साइकिल तैयार : लोकेश ने बताया कि ''इस अनोखे प्रयास में करीब 14 हजार रुपये खर्च हुए है. यह साइकिल एक चार्ज में 20-25 किलोमीटर तक दौड़ती है. 4 से 5 घंटे में यह चार्ज हो जाता है. साथ ही ये साइकिल दो व्यक्तियों का भार लेकर भी करीब 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. साइकिल को चार्ज करने में 4 से 5 रुपये का खर्चा आता है. साइकिल पर दो लोग आराम से बैठ सकते है.''
जम्मू कश्मीर में कारपेंटर का काम करने है लोकेश : लोकेश ने कहा कि इस साइकिल को वह आगे चलकर अधिक भार उठा सकने वाली साइकिल के रूप में तैयार करेगा. फिलहाल विभिन्न कंपनियों की बैट्री चलित साइकिल मार्केट में है, जिसकी कीमत 35-40 हजार रुपये है. बता दें कि लोकेश शर्मा (25) ने प्लस टू उच्च विद्यालय से 10वीं तक की पढ़ाई की. परिवार चलाने और खुद कुछ करने की चाह में जम्मू कश्मीर चले गए और वहां रहकर कारपेंटर का काम सीखा. अब वह कश्मीर रहकर ही कारपेंटर का काम करता है.