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बाबा क्रिस्टो के सहारे दिन काट रहे हैं सैकड़ों कुष्ठ रोगी, सरकार बेपरवाह

कुष्ट रोगियों का कहना है कि वे लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भूमिका तो बखूबी निभाते हैं पर सरकार ने आजतक उन्हें कुछ नहीं दिया है. साथ ही यहां फैला गन्दगी का अम्बार भी यहां के बदहाली की गाथा खुद बयां करता है.

बदहाल स्थिति में कुष्ठ रोगी
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Published : Apr 21, 2019, 1:56 PM IST

बेतिया: जिले के बगहा अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत भैरोगंज बाजार के कपरधिका स्थित कुष्ठ आश्रम अपनी बदहाली पर रो रहा है. बीमारी की वजह से तमाम रोगियों को उनके घरवालों ने घर से निकाल दिया है. आलम यह है कि इस कुष्ठ आश्रम में रहने वाले सैकड़ों कुष्ठ रोगी बाबा की दवा और दुआ पर निर्भर हैं.
वहीं, सरकार ने भी आज तक इनके दर्द पर मरहम लगाने की जहमत नहीं उठाई है. दुर्दशा यह है कि कुष्ठरोगी परिवार के सदस्य अपने पेट के लिए दिनभर भीख मांगने को मजबूर हैं. ये लोग चटाई पर सोकर अपना जीवन गुजारने को विवश हैं.

क्रिस्टो ही सरकार, क्रिस्टो ही भगवान
कपरधिका में बसे इन कुष्ठ रोगियों के लिए बाबा क्रिस्टो दास ही इनके भगवान और सरकार दोनों हैं. दरअसल इन कुष्ठ रोगियों ने फादर क्रिस्टो को बाबा क्रिस्टो दास की उपाधि दी हुई है.

आपबीती सुनाते कुष्ठरोगी

कौन हैं क्रिस्टो ?
क्रिस्टो एक विदेशी हैं. जिनका एनएलआर फॉउंडेशन नामक एनजीओ संचालित होता है. यह संस्था लम्बे समय से चंपारण के कुष्ठ रोगियों की देखभाल करता आ रहा है. इस संस्था ने ही कुष्ठ रोगियों के लिए आशियाना बनवाया है, जिसमें सैकड़ों कुष्ठ रोगी रहते हैं. वे सुबह से शाम तक भीख मांगकर अपना रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं और शाम को फाउंडेशन की ओर से बनवाए टीना शेड में सो जाते हैं.

बदहाली में जीने को मजबूर
आश्रम का नजारा देख सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन कुष्ठ रोगियों के जीवन मे दर्द और बदहाली के सिवा कुछ भी मयस्सर नहीं है. सिर ढ़कने के लिए घर तो है पर बिस्तर नदारद है. साथ ही यहां फैला गन्दगी का अम्बार भी यहां के बदहाली की गाथा खुद बयां करता है.

नेताओं से खासे नाराज
कुष्ट रोगियों का कहना है कि वे लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भूमिका तो बखूबी निभाते हैं पर सरकार ने आजतक उन्हें कुछ नहीं दिया है. इन सभी कुष्ट रोगियों का एक ही मांग है कि उन्हें इंदिरा आवास व वृद्धा पेंशन जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए.

बेतिया: जिले के बगहा अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत भैरोगंज बाजार के कपरधिका स्थित कुष्ठ आश्रम अपनी बदहाली पर रो रहा है. बीमारी की वजह से तमाम रोगियों को उनके घरवालों ने घर से निकाल दिया है. आलम यह है कि इस कुष्ठ आश्रम में रहने वाले सैकड़ों कुष्ठ रोगी बाबा की दवा और दुआ पर निर्भर हैं.
वहीं, सरकार ने भी आज तक इनके दर्द पर मरहम लगाने की जहमत नहीं उठाई है. दुर्दशा यह है कि कुष्ठरोगी परिवार के सदस्य अपने पेट के लिए दिनभर भीख मांगने को मजबूर हैं. ये लोग चटाई पर सोकर अपना जीवन गुजारने को विवश हैं.

क्रिस्टो ही सरकार, क्रिस्टो ही भगवान
कपरधिका में बसे इन कुष्ठ रोगियों के लिए बाबा क्रिस्टो दास ही इनके भगवान और सरकार दोनों हैं. दरअसल इन कुष्ठ रोगियों ने फादर क्रिस्टो को बाबा क्रिस्टो दास की उपाधि दी हुई है.

आपबीती सुनाते कुष्ठरोगी

कौन हैं क्रिस्टो ?
क्रिस्टो एक विदेशी हैं. जिनका एनएलआर फॉउंडेशन नामक एनजीओ संचालित होता है. यह संस्था लम्बे समय से चंपारण के कुष्ठ रोगियों की देखभाल करता आ रहा है. इस संस्था ने ही कुष्ठ रोगियों के लिए आशियाना बनवाया है, जिसमें सैकड़ों कुष्ठ रोगी रहते हैं. वे सुबह से शाम तक भीख मांगकर अपना रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं और शाम को फाउंडेशन की ओर से बनवाए टीना शेड में सो जाते हैं.

बदहाली में जीने को मजबूर
आश्रम का नजारा देख सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन कुष्ठ रोगियों के जीवन मे दर्द और बदहाली के सिवा कुछ भी मयस्सर नहीं है. सिर ढ़कने के लिए घर तो है पर बिस्तर नदारद है. साथ ही यहां फैला गन्दगी का अम्बार भी यहां के बदहाली की गाथा खुद बयां करता है.

नेताओं से खासे नाराज
कुष्ट रोगियों का कहना है कि वे लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भूमिका तो बखूबी निभाते हैं पर सरकार ने आजतक उन्हें कुछ नहीं दिया है. इन सभी कुष्ट रोगियों का एक ही मांग है कि उन्हें इंदिरा आवास व वृद्धा पेंशन जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए.

Intro:बगहा अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत भैरोगंज बाजार के कपरधिका स्थित कुष्ठ आश्रम अपने बदहाली का रोना रो रहा। इस कुष्ठ आश्रम में रहने वाले सैकड़ों कुष्ठ रोगी बाबा के दवा व दुआवों पर निर्भर हैं। सरकार ने आज तक इनके दर्द पर मरहम लगाने की जहमत नही उठाई है। आलम यह है कि कुष्ठरोगी परिवार के सदस्य अपने पेट के लिए दिन भर भीख मांगते हैं और रात में चटाई पर सोकर अपना जीवन गुजारने को विवश हैं।


Body:कपरधिका में बसे कुष्ठ रोगियों के लिए बाबा क्रिस्टो दास भगवान भी हैं और सरकार भी। दरअसल कुष्ठ रोगी फादर क्रिस्टो को बाबा क्रिस्टो दास का नाम दिए हुए हैं। क्रिस्टो एक विदेशी हैं और उनका एक NLR फॉउंडेशन नामक एनजीओ संचालित होता है जिसके तहत यह संस्था लम्बे समय से चंपारण के कुष्ठ रोगियों की देखभाल करता आ रहा है। इस संस्था ने ही कुष्ठ रोगियों के लिए यह आशियाना बनवाया है जिसमे सैकड़ो कुष्ठ रोगी रहते हैं। सुबह से शाम तक भीख मांगकर अपना रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं और शाम को इसी टीना शेड में अपनी जिंदगी गुजारते हैं। आश्रम का नजारा देख सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन कुष्ठ रोगियों के जीवन मे दर्द और बदहाली के सिवा कुछ भी मयस्सर नही। रहने को घर तो है पर बिस्तर नदारद है। जमीन पर हीं चटाई और प्लास्टिक बिछा कर बच्चे , बूढ़े व जवान सभी पुरुष व महिलाओं को सोना पड़ता है। साथ ही यहां फैला गन्दगी का अम्बार भी यहां के बदहाली की गाथा खुद बयाँ कर दे रहा। कुष्ट रोगियों का कहना है कि वे लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भूमिका तो बखूबी निभाते हैं पर सिर्फ वोट के लिए। क्योंकि सरकार ने आजतक उन्हें कुछ नही दिया। सभी कुष्ट रोगियों का एक ही मांग है कि उन्हें इंदिरा आवास व वृद्धा पेंशन जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए।


Conclusion:कहा जाता है कि जिनका कोई अपना न हो तो दुनिया भी पराया समझने लगती है। बीमारी की वजह से जिन जिन रोगियों को घर वालों ने घर से निकाल दिया उनके लिए न तो समाज सहारा बना न ही सरकार। यहाँ के कुष्ठ रोगी बस बाबा के भभूत के भरोसे बदहाली में ही सही अपना जीवन तो गुजार ही रहे हैं, अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इनके बदहाली पर कब मरहम लगाती है।
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