बेतिया: जिले के बगहा अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत भैरोगंज बाजार के कपरधिका स्थित कुष्ठ आश्रम अपनी बदहाली पर रो रहा है. बीमारी की वजह से तमाम रोगियों को उनके घरवालों ने घर से निकाल दिया है. आलम यह है कि इस कुष्ठ आश्रम में रहने वाले सैकड़ों कुष्ठ रोगी बाबा की दवा और दुआ पर निर्भर हैं.
वहीं, सरकार ने भी आज तक इनके दर्द पर मरहम लगाने की जहमत नहीं उठाई है. दुर्दशा यह है कि कुष्ठरोगी परिवार के सदस्य अपने पेट के लिए दिनभर भीख मांगने को मजबूर हैं. ये लोग चटाई पर सोकर अपना जीवन गुजारने को विवश हैं.
क्रिस्टो ही सरकार, क्रिस्टो ही भगवान
कपरधिका में बसे इन कुष्ठ रोगियों के लिए बाबा क्रिस्टो दास ही इनके भगवान और सरकार दोनों हैं. दरअसल इन कुष्ठ रोगियों ने फादर क्रिस्टो को बाबा क्रिस्टो दास की उपाधि दी हुई है.
कौन हैं क्रिस्टो ?
क्रिस्टो एक विदेशी हैं. जिनका एनएलआर फॉउंडेशन नामक एनजीओ संचालित होता है. यह संस्था लम्बे समय से चंपारण के कुष्ठ रोगियों की देखभाल करता आ रहा है. इस संस्था ने ही कुष्ठ रोगियों के लिए आशियाना बनवाया है, जिसमें सैकड़ों कुष्ठ रोगी रहते हैं. वे सुबह से शाम तक भीख मांगकर अपना रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं और शाम को फाउंडेशन की ओर से बनवाए टीना शेड में सो जाते हैं.
बदहाली में जीने को मजबूर
आश्रम का नजारा देख सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन कुष्ठ रोगियों के जीवन मे दर्द और बदहाली के सिवा कुछ भी मयस्सर नहीं है. सिर ढ़कने के लिए घर तो है पर बिस्तर नदारद है. साथ ही यहां फैला गन्दगी का अम्बार भी यहां के बदहाली की गाथा खुद बयां करता है.
नेताओं से खासे नाराज
कुष्ट रोगियों का कहना है कि वे लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भूमिका तो बखूबी निभाते हैं पर सरकार ने आजतक उन्हें कुछ नहीं दिया है. इन सभी कुष्ट रोगियों का एक ही मांग है कि उन्हें इंदिरा आवास व वृद्धा पेंशन जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए.