बगहा: बिहार के बगहा में मगरमच्छ का झुंड (Herd of Crocodiles in Bagaha) देखने के बाद से हड़कंप मच गया है. रामनगर के कुड़िया बैरी टोला समेत कई गांवों के पास मगरमच्छों को देखा गया है. गण्डक नदी से भटककर कई मगरमच्छ रामनगर के मसान नदी और त्रिवेणी नहर पर डेरा डाले हुए हैं. वह धूप होते हीं नहर के पटरी पर निकल कर बैठ जाते हैं. लिहाजा नदी और नहर तट पर बसे हुए लोगों में भय व्याप्त है. ग्रामीणों का कहना है कि मसान नदी और त्रिवेणी नहर में आस पास के गांव के लोग स्नान करने के अलावा अपने पशुओं को नहलाने आते हैं ऐसे में ये मगरमच्छ उनके लिए खतरा बन सकते हैं.
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VTR प्रशासन से मगरमच्छों को रेस्क्यू करने की अपील: ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी के दिनों में बच्चे नहर में स्नान करने जाते हैं साथ हीं कई मवेशी पालक अपने पशुओं को नदी में नहलाने और पानी पिलाने ले जाते हैं. इस देखते हुए किसी अनहोनी या हादसे का डर लोगों को सत्ता रहा है. यही वजह है कि रामनगर के ग्रामीण और किसान वन विभाग और वीटीआर प्रशासन से इन मगरमच्छों का सफल रेस्क्यू कर गण्डक नदी में छोड़ने की मांग कर रहे हैं. ताकि समय रहते कोई अनहोनी ना हो और जान माल का बचाव हो सके. बता दें कि रामनगर के मसान नदी और त्रिवेणी नहर के पास कुडीया टोला, फुलवरीया और बैकुंठपुर गांवों के लोग बता रहे हैं की मगरमच्छ कई बार नदी और नहर से निकलकर बाहर घूमने और धूप निकलने पर मेड़ या खेतों में भी आ जा रहे हैं. इस दौरान मगरमच्छ उनपर हमला भी कर सकते हैं.
गण्डक नदी है मगरमच्छों का ठिकाना: भारत में चंबल के बाद गण्डक नदी में भारी संख्या में मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं. जिनका बेहतर अधिवास क्षेत्र भी है लेकिन संभावना जताई जा रही है कि गण्डक नदी के जलस्तर में कमी और गिरावट के कारण मगरमच्छ झुंड में निकलकर आस पास के नहरों और अन्य सहायक नदियों में चले आए हैं. जो अब लोगों के लिए नई मुसीबत बन गया है. ऐसे में जरूरत है कि समय रहते वन विभाग की ओर से इस पर जरूरी कदम उठाया जाए और इन मगरमच्छों को पकड़ने के लिए एक्सपर्ट टीम बुलाकर इनका रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाए. इतना ही नहीं इन्हें सुरक्षित गण्डक नदी में छोड़ा जाए तभी जाकर आम लोगों के जान माल की सुरक्षा के साथ ही इस अति संरक्षित जलप्राणि की भी रक्षा सुनिश्चित होगी.
"गर्मी के दिनों में बच्चे नहर में स्नान करने जाते हैं साथ हीं कई मवेशी पालक अपने पशुओं को नदी में नहलाने और पानी पिलाने ले जाते हैं. इस दौरान किसी अप्रिय घटना या हादसा हो सकता है. वीटीआर प्रशासन से इन मगरमच्छों का सफल रेस्क्यू कर गण्डक नदी में छोड़ने की मांग कर रहे हैं. ताकि समय रहते कोई अनहोनी ना हो और जान माल का बचाव हो सके."- जाकिर, स्थानीय ग्रामीण