पश्चिम चंपारण (बगहा): बिहार सरकार और शिक्षा विभाग भले ही सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने की बात करें, लेकिन सरकारी विद्यालयों की शिक्षा और दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है. इन सब के बीच एक ऐसा सरकारी स्कूल है जो निजी स्कूलों के साथ-साथ अन्य सरकारी स्कूलों के लिए नजीर पेश कर रहा है. जो इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित बगहा के वाल्मीकिनगर के रोहुआ टोला का राजकीय प्राथमिक विद्यालय (Government Primary School Rohua Tola) है.
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इस विद्यालय को जिले का एकमात्र ऐसा सरकारी विद्यालय होने का गौरव हासिल है जो आनंदमयी माहौल में शिक्षा के साथ-साथ स्वच्छता और पर्यावरण संतुलन का बेहतर संदेश दे रहा है. दरअसल, इस सरकारी विद्यालय के हेडमास्टर ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय रोहुआ टोला को ऐसा 'स्वर्ग' बनाया है कि बच्चे कभी स्कूल से बंक नहीं करते. दलित बस्ती में बसे इस विद्यालय की अनेक खासियतें हैं जिसका मार्गदर्शन कई सरकारी स्कूल करते हैं. इस विद्यालय में 90 फीसदी छात्र अनुसूचित जाति/जनजाति से आते हैं.
बता दें कि पहले इस विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति कम रहती थी. जिसके बाद प्रधानाध्यापक ने सबसे पहले विद्यालय की सुंदरता पर ध्यान दिया और इसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण किया. साथ ही विद्यालय में चेतना सभा कार्यक्रम का शुरुआत किया.
चेतना सभा कार्यक्रम के तहत जो बच्चों के बढ़े हुए नाखून और बाल होते है, उनका बाल और नाखून खुद हेडमास्टर काटते हैं. इतना ही नहीं जो बच्चे बिना नहाए स्कूल आते हैं उनको विद्यालय प्रबंधन स्कूल में ही नहलाता है और उनके गंदे कपड़े भी साफ किए जाते है. इसके अलावा विद्यालय प्रबंधन बच्चों का जन्मदिन भी सेलिब्रेट करता है. जिससे बच्चे खुश तो होते ही हैं उनके अटेंडेंस में भी इजाफा हुआ है.
विद्यालय के हेडमास्टर ललन प्रसाद बताते हैं कि बच्चों को अनुशासन के साथ नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया जाता है. यही नहीं अधिकांश बच्चों को पता नहीं होता कि उनका बर्थडे कब है. ऐसे में नामांकन रजिस्टर से विद्यालय प्रबंधन ने सभी बच्चों के जन्मदिन का खांका तैयार किया है और बच्चों का जन्मदिन सभी बच्चे मिल हर्षोल्लास पूर्वक मनाते हैं.
बता दें कि शिक्षा विभाग ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय रोहुआ टोला की उत्कृष्टता और अनुकरणीय स्वरूप से प्रभावित होकर विद्यालय को वर्ष 2019-20 का सर्वोत्कृष्ट विद्यालय घोषित किया था. इसके लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने प्रधान शिक्षक लखन प्रसाद को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था.
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