बगहा: बीपीएससी की परीक्षा में पश्चिम चंपारण की लड़कियों ने भी परचम लहराया है. तीन बेटियों समेत एक युवक ने सफलता अर्जित कर जिले का नाम रौशन किया है. बगहा में स्वतंत्रता सेनानी की पोती रिचा प्रियदर्शिनी ने 393वां रैंक लाकर पूरे परिवार का मान बढ़ाया है. रिजल्ट आने के बाद से रिचा के पूरे परिवार में जश्न का माहौल है.
![बगहा की रिचा प्रियदर्शिनी बनी BDO](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-10-2023/bh-bgh-1-grand-daughter-of-freedom-fighter-cracked-bpsc-vis-byte-bh10036_30102023072927_3010f_1698631167_722.jpg)
साधारण किसान परिवार से आती हैं रिचा: रिचा प्रियदर्शिनी एक साधारण किसान परिवार की बेटी हैं. पटखौली वार्ड नम्बर 3 निवासी पिता वेदप्रकाश पाठक अपनी बेटी की सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं. रिचा ने बीपीएससी की परीक्षा में 393वां रैंक हासिल किया है और बीडीओ के पद पर कब्जा करने में सफलता मिली है.
![रिचा प्रियदर्शिनी अपने परिवार के साथ](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-10-2023/bh-bgh-1-grand-daughter-of-freedom-fighter-cracked-bpsc-vis-byte-bh10036_30102023072927_3010f_1698631167_332.jpg)
"तैयारी के दौरान कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं. तीन स्टेज में परीक्षा होती है. तीनों स्टेज के अलग-अलग डिमांड को मीट करना होता है. इसके लिए रणनीति बनाकर तैयारी करनी पड़ती है. मैंने कोचिंग की थी लेकिन ज्यादातर सेल्फ स्टडी ही किया. सेल्फ स्टडी से ही मैंने परीक्षा की तैयारी की थी. मैं यूपीएससी की भी तैयारी कर रही थी."- रिचा प्रियदर्शिनी, सफल अभ्यर्थी
स्वतंत्रता सेनानी की पोती बनी बीडीओ: स्वतंत्रता सेनानी की पोती रिचा बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान को मजबूत करने का संदेश भी दे रही हैं. रिचा ने कहा कि मेरे दादा हरिराज पाठक स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं और मेरे पिता वेदप्रकाश पाठक किसान सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं. परिवार में बेटियों की पढ़ाई को काफी गंभीरता से लेने का परिणाम मेरी सफलता है. लड़कों से भी ज्यादा मेरे घर में लड़कियों की पढ़ाई पर ध्यान दिया जाता है.
'सेल्फ स्टडी से मिली सफलता': खास बात यह है कि रिचा की पढ़ाई लिखाई स्थानीय स्तर पर हुई है. मैट्रिक में प्रथम स्थान लाकर आईएससी की पढ़ाई बगहा से ही कंप्लीट किया. समस्तीपुर पूसा कृषि विश्वविद्यालय से बीएससी एग्रीकल्चर करने के बाद रिचा ने सिविल सेवा की तैयारी शुरू की. रिचा का सपना है कि वह IAS बने. बीपीएससी की तैयारी के लिए रिचा ने ऑनलाइन तैयारी की और सेल्फ स्टडी से यह सफलता अर्जित की है.
'परिवार से मिला भरपूर सपोर्ट': रिचा ने अपनी सफलता का श्रेय दादी, पिता और मां को देते हुए कहा कि हर मोड़ पर परिवार ने हिम्मत दी और उनकी प्रेरणा से ही आज यह मुकाम हासिल कर पाई हूं. माता पिता का आशीर्वाद और गुरुजनों के दिशा निर्देशन के बदौलत ही जिंदगी में कोई मुकाम मिलता है. रिचा ने कहा कि मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मुझे ऐसे परिवार में जन्म मिला, जहां अपनों का भरपूर प्यार और विश्वास मिला.
रिचा की बड़ी अपील: ईटीवी भारत से बात करते हुए रिचा ने विशेष तौर पर बेटियों के लिए बड़ा संदेश दिया है. उन्होंने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही बेटियों के अभिभावकों से कहा है कि आप अपनी बेटी पर विश्वास करें. BPSC या UPSC की परीक्षा बहुत बड़ी और कठिन परीक्षा है. इसके लिए धैर्य रखने की जरूरत है.
रिचा ने कविता के जरिए बेटियों की हौसला अफजाई की है. उन्होंने कहा कि बेटियों को भी अपने माता पिता के विश्वास को कायम रखते हुए खुद पर विश्वास रखना होगा. इसके लिए रिचा ने एक कविता की लाइनों से इस विश्वास को कायम रखने का उदाहरण दिया है. रिचा कहती हैं 'हम राणा के वंशज हैं और हमे हिम्मत से अपना भाला फेंकना है निश्चित जीत हमारी होगी.'
'मुझे मेरी बेटी पर पूरा विश्वास था': वहीं रिचा के पिता का कहना है कि मुझे मेरी बेटी पर पूरा विश्वास था. बीपीएससी यूपीएससी की परीक्षा काफी टफ होती है. रिचा ने तैयारी के दौरान धैर्य का परिचय दिया जिसके कारण आज मेरी बेटी को यह सफलता मिली है. कभी किसी को घबराना नहीं चाहिए.
"हम सब बहुत खुश हैं. बेटी को सफलता मिलने से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. धैर्य रखने से सब कुछ संभव है."- वेदप्रकाश पाठक,रिचा प्रियदर्शिनी के पिता
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