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बेतिया में गंडक नदी का कहर, बाढ़ में कई गांव डूबे, प्रशासनिक मदद के इंतजार में ग्रामीण - Flood In Gandak River

बेतिया में गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि (Rise in water level of Gandak river in Bettiah) हो रही है. जिसके चलते नदी किनारे के गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है. लोग ऊंचे स्थान पर पलायन करने लगे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

बेतिया में कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
बेतिया में कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
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Published : Aug 3, 2022, 8:24 PM IST

बेतिया: गंडक (Flood In Gandak River) बराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद पश्चिम चंपारण (Flood In West Champaran) जिले के कई इलाके में बाढ़ का पानी प्रवेश करने लगा है. जिले के नौतन प्रखंड के मंगलपुरकला, बिसम्भरपुर और भगवानपुर पंचायत के कई गांव टापू में तब्दील हो गये हैं. पूरा गांव जलमग्न हो गया है. लगभग सात सौ की आबादी वाला गांव सरकार की राह देख रहा है. गांव से लोग पलायन कर ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं.

ये भी पढ़ें-बढ़ते नदी के जलस्तर के साथ बढ़ी दियरावासियों की मुश्किलें, बिरहा गाकर सुना रहे अपना दुखड़ा

बाढ़ की चपेट में कई गांव: गांव से पलायन कर चुके लोग प्रशासनिक अधिकारियों का इंतजार कर रहें हैं. वाल्मीकिनगर स्थित गंड़क बराज से करीब तीन लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ है और दो दिन से लगातार डिस्चार्ज लेवल तीन लाख के आस पास है. जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हलात हो गए हैं. बाढ़ पीड़ित प्रशासन से मिलने वाले राहत सामग्री का इंतजार कर रहें है. गांव में लोग नाव का इंतजार कर रहें है. बाढ़ की हालात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने बाढ़ से प्रभावित इलाकों का जायजा लिया.

ऊंचे स्थान पर पलायन को लोग मजबूर: वीडियो में जो तस्वीरें दिख रही है, वो नौतन प्रखंड के मंगलपुर काला पंचायत का गांव है. बाढ़ के पानी में घर और चापाकल डूब गए हैं. घरों में पानी घुस जाने के कारण लोग गांव से निकलकर ऊंचे स्थान पर पलायन कर चुके हैं. मंगलपुर कला गांव के लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका को झेलने को मजबूर हैं. मंगलवार की देर रात गंड़क नदी का पानी गांव में घुस गया.

सीओ ने ग्रामीणों को दी थी बाढ़ की सूचना: नौतन प्रखंड के सीओ भाष्कर कुमार ने गांव में आकर लोगों को सुचना दी थी की पानी आने वाला है. आपलोग ऊंचे स्थानों पर चले जाएं. नाव पर सवार गया मांझी और युवक ने बताया की हर साल वे लोग बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर है. इसका कोई स्थाई निदान सरकार नहीं निकाल पा रही है. ग्रामीण सरकारी सहायता का इंतजार कर रहे हैं.

गांव में नाव के इंतजार में लोग: नाव से सफर करते हुए ईटीवी भारत के संवाददाता जब गांव के अगले हिस्से पहुंची तो वहां एक परिवार मिला जो नाव का इंतजार कर रहे थे. उन्हें भी ऊंचे स्थान पर जाना है. उनके घर का सामान और मवेशी अभी भी गांव में ही है. उनके पास नाव नहीं है. परिवार के लोग सरकार से गांव में एक नाव चलाने की मांग कर रहें है ताकि, वो अपने सामान और मवेशी को लेकर गांव से बाहर निकल सकें. ग्रामीणों को राशन और तम्बू के लिए प्लास्टिक की भी जरूरत है. जिसकी मांग ग्रामीण सरकार से कर रहें हैं.

गांव में नहीं काटी गई है बिजली: बाढ़ में डूब चुके मंगलपुर काला गांव में प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. गांव जलमग्न है, लेकिन गांव में अभी तक बिजली नहीं काटी गई है. ग्रामीणों की मांग है की जल्द से जल्द प्रशासन बिजली काट दें. ताकि, कोई हादसा न हो पाए. यही नहीं ग्रामीण सरकारी मदद की राह देख रहें हैं. लोग प्रशासन द्वारा चूड़ा-मिठ्ठा का इंतजार कर रहें. जिससे बच्चों की भूख मिटाया जा सके.

हर साल बाढ़ की चपेट में आता है मंगलपुर कला गांव: बता दें कि हर साल नौतन प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ की चपेट में आते हैं. नौतन प्रखंड में बाढ़ हर साल तबाही लेकर आती है. लेकिन अब तक इसका कोई भी स्थाई निदान नहीं निकाला गया है. जिस कारण हर साल लोगों के घर पानी में डूब जाते हैं और लोग फिर से अपना घर बनाने को मजबूर होते हैं.

ये भी पढ़ें-बगहा: गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के बाद कांटी में बाढ़

बेतिया: गंडक (Flood In Gandak River) बराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद पश्चिम चंपारण (Flood In West Champaran) जिले के कई इलाके में बाढ़ का पानी प्रवेश करने लगा है. जिले के नौतन प्रखंड के मंगलपुरकला, बिसम्भरपुर और भगवानपुर पंचायत के कई गांव टापू में तब्दील हो गये हैं. पूरा गांव जलमग्न हो गया है. लगभग सात सौ की आबादी वाला गांव सरकार की राह देख रहा है. गांव से लोग पलायन कर ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं.

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बाढ़ की चपेट में कई गांव: गांव से पलायन कर चुके लोग प्रशासनिक अधिकारियों का इंतजार कर रहें हैं. वाल्मीकिनगर स्थित गंड़क बराज से करीब तीन लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ है और दो दिन से लगातार डिस्चार्ज लेवल तीन लाख के आस पास है. जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हलात हो गए हैं. बाढ़ पीड़ित प्रशासन से मिलने वाले राहत सामग्री का इंतजार कर रहें है. गांव में लोग नाव का इंतजार कर रहें है. बाढ़ की हालात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने बाढ़ से प्रभावित इलाकों का जायजा लिया.

ऊंचे स्थान पर पलायन को लोग मजबूर: वीडियो में जो तस्वीरें दिख रही है, वो नौतन प्रखंड के मंगलपुर काला पंचायत का गांव है. बाढ़ के पानी में घर और चापाकल डूब गए हैं. घरों में पानी घुस जाने के कारण लोग गांव से निकलकर ऊंचे स्थान पर पलायन कर चुके हैं. मंगलपुर कला गांव के लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका को झेलने को मजबूर हैं. मंगलवार की देर रात गंड़क नदी का पानी गांव में घुस गया.

सीओ ने ग्रामीणों को दी थी बाढ़ की सूचना: नौतन प्रखंड के सीओ भाष्कर कुमार ने गांव में आकर लोगों को सुचना दी थी की पानी आने वाला है. आपलोग ऊंचे स्थानों पर चले जाएं. नाव पर सवार गया मांझी और युवक ने बताया की हर साल वे लोग बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर है. इसका कोई स्थाई निदान सरकार नहीं निकाल पा रही है. ग्रामीण सरकारी सहायता का इंतजार कर रहे हैं.

गांव में नाव के इंतजार में लोग: नाव से सफर करते हुए ईटीवी भारत के संवाददाता जब गांव के अगले हिस्से पहुंची तो वहां एक परिवार मिला जो नाव का इंतजार कर रहे थे. उन्हें भी ऊंचे स्थान पर जाना है. उनके घर का सामान और मवेशी अभी भी गांव में ही है. उनके पास नाव नहीं है. परिवार के लोग सरकार से गांव में एक नाव चलाने की मांग कर रहें है ताकि, वो अपने सामान और मवेशी को लेकर गांव से बाहर निकल सकें. ग्रामीणों को राशन और तम्बू के लिए प्लास्टिक की भी जरूरत है. जिसकी मांग ग्रामीण सरकार से कर रहें हैं.

गांव में नहीं काटी गई है बिजली: बाढ़ में डूब चुके मंगलपुर काला गांव में प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. गांव जलमग्न है, लेकिन गांव में अभी तक बिजली नहीं काटी गई है. ग्रामीणों की मांग है की जल्द से जल्द प्रशासन बिजली काट दें. ताकि, कोई हादसा न हो पाए. यही नहीं ग्रामीण सरकारी मदद की राह देख रहें हैं. लोग प्रशासन द्वारा चूड़ा-मिठ्ठा का इंतजार कर रहें. जिससे बच्चों की भूख मिटाया जा सके.

हर साल बाढ़ की चपेट में आता है मंगलपुर कला गांव: बता दें कि हर साल नौतन प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ की चपेट में आते हैं. नौतन प्रखंड में बाढ़ हर साल तबाही लेकर आती है. लेकिन अब तक इसका कोई भी स्थाई निदान नहीं निकाला गया है. जिस कारण हर साल लोगों के घर पानी में डूब जाते हैं और लोग फिर से अपना घर बनाने को मजबूर होते हैं.

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