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बेतिया: दर्जनों गांव में मंडरा रहा बाढ़ का खतरा, ग्रामीण में भय का माहौल

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Published : Jul 19, 2020, 8:58 PM IST

बेतिया में भापसा नदी विकराल रूप धारण करने लगी है. जिसकी वजह से दर्जनों गांव में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. वहीं इससे ग्रामीण में भय का माहौल है.

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दर्जनों गांव में मंडरा रहा बाढ़ का खतरा

बेतिया(वाल्मीकिनगर): वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों से निकलने वाली पहाड़ी नदियां बरसात की शुरुआत से ही विकराल रूप धारण कर लेती है. इससे इन नदियों के पास बसे गांव के लोग बरसात में चैन की नींद नहीं ले पाते हैं. कहीं घर में पानी घुसने की संभावना रहती है, तो कहीं सड़क मार्ग अवरुद्ध होने की बात उन्हें परेशान करती है.

गांव में बाढ़ का खतरा
गनौली स्थित भापसा नदी भी प्रत्येक साल की तरह इस साल अपनी रौद्र रूप को धारण करने लगी है. इस कारण दर्जनों गांव में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. नदी पर पुल ना होने के कारण दर्जनों गांव के लोग जान जोखिम में डाल कर नदी को पार करते हैं या तो घंटो पानी घटने का इंतजार करते हैं. इसके साथ ही गांव का कनेक्शन कई दिनों तक जिला मुख्यालय, प्रखंड अथवा शहरों से कट जाता है.

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गनौली में स्थित भापसा नदी

चरवाहे की डूबने से मौत
नक्सल प्रभावित इस इलाके में गश्त करने आई पिछले साल एसटीएफ टीम के जवान भी नदी में बहने लगे थे. जिन्हें स्थानीय ग्रामीणों ने बचाया था. दो वर्ष पूर्व नदी में एक चरवाहे की डूबने से मौत भी हो गई थी. अगर पुल होता तो लोगों को काफी सहूलियत होती.

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दर्जनों गांव में मंडरा रहा बाढ़ का खतरा

क्या कहते हैं ग्रामीण
इस बाबत ग्रामीण कहते हैं कि इस ओर ना ही सरकार ध्यान देती है. ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधि, जो सिर्फ चुनाव के समय दिखते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही इस इलाके में नजर आना मुनासिफ नहीं समझते. समाजसेवी नितेश कुमार ने बताया कि इस बाढ़ से भथोहियाटोला, मलकौली, पिपरा, धुमुवाटार, सखुआनवा आदि गांव प्रभावित हैं.

बेतिया(वाल्मीकिनगर): वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों से निकलने वाली पहाड़ी नदियां बरसात की शुरुआत से ही विकराल रूप धारण कर लेती है. इससे इन नदियों के पास बसे गांव के लोग बरसात में चैन की नींद नहीं ले पाते हैं. कहीं घर में पानी घुसने की संभावना रहती है, तो कहीं सड़क मार्ग अवरुद्ध होने की बात उन्हें परेशान करती है.

गांव में बाढ़ का खतरा
गनौली स्थित भापसा नदी भी प्रत्येक साल की तरह इस साल अपनी रौद्र रूप को धारण करने लगी है. इस कारण दर्जनों गांव में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. नदी पर पुल ना होने के कारण दर्जनों गांव के लोग जान जोखिम में डाल कर नदी को पार करते हैं या तो घंटो पानी घटने का इंतजार करते हैं. इसके साथ ही गांव का कनेक्शन कई दिनों तक जिला मुख्यालय, प्रखंड अथवा शहरों से कट जाता है.

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गनौली में स्थित भापसा नदी

चरवाहे की डूबने से मौत
नक्सल प्रभावित इस इलाके में गश्त करने आई पिछले साल एसटीएफ टीम के जवान भी नदी में बहने लगे थे. जिन्हें स्थानीय ग्रामीणों ने बचाया था. दो वर्ष पूर्व नदी में एक चरवाहे की डूबने से मौत भी हो गई थी. अगर पुल होता तो लोगों को काफी सहूलियत होती.

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दर्जनों गांव में मंडरा रहा बाढ़ का खतरा

क्या कहते हैं ग्रामीण
इस बाबत ग्रामीण कहते हैं कि इस ओर ना ही सरकार ध्यान देती है. ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधि, जो सिर्फ चुनाव के समय दिखते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही इस इलाके में नजर आना मुनासिफ नहीं समझते. समाजसेवी नितेश कुमार ने बताया कि इस बाढ़ से भथोहियाटोला, मलकौली, पिपरा, धुमुवाटार, सखुआनवा आदि गांव प्रभावित हैं.

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