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Fire In Bagaha: VTR के जंगल में लगी आग, वनकर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद पाया काबू - वीटीआर जंगल में आग

पश्चिम चंपारण जिले के बगहा में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में आग लग गई (forest fire in valmiki tiger reserve). वन कर्मियों को लोगों ने आग लगने की सूचना दी. जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया. करीब 20 एकड़ क्षेत्र में आग फैल गई थी. जिसपर काबू पा लिया गया.

वीटीआर के जंगल में लगी आग
वीटीआर के जंगल में लगी आग
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Published : Feb 10, 2023, 8:19 PM IST

वीटीआर के जंगल में लगी आग

बगहा: बिहार के बगहा में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में अचानक आग (VTR Forest Caught Fire) लगने से अफरातफरी मच गई. लोगों ने घटना की जानकारी वन विभाग की टीम को दी. संभावना जताई जा रही है की जंगल क्षेत्र में गए चरवाहों द्वारा कोई ज्वलनशील पदार्थ फेंके जाने पर आग लगी होगी. हालंकि सूचना मिलने के बाद वनकर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया और उसे बुझा दिया.

ये भी पढ़ें- वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में आग, इलाके में मची अफरा-तफरी

वीटीआर के जंगल में लगी आग: वाल्मीकी टाइगर रिजर्व अंतर्गत नौरंगिया के पास जंगल में आग लगने से बड़ा भूभाग वीरान हो गया. बगहा वाल्मीकि नगर पथ के किनारे नौरंगिया वन परिसर के जंगल में आग से अफरा-तफरी मच गई. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस आगलगी की घटना में करीब 20 एकड़ जंगल क्षेत्र जल गया. लोगों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद उस क्षेत्र में पहुंचे वन कर्मी पहुंचे और आग पर काबू पाया. वन कर्मियों को आग बुझाने के लिए पेड़ के झाड़ियों का सहारा लेना पड़ा.

कड़ी मशक्कत के बाद पाया गया काबू: दरअसल, गर्मी की आहट के साथ ही वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती है. अलग-अलग हिस्सों में आए दिन आग लगाती रहती है. आग लगने के बाद आसपास के इलाकों में उसका राख उड़कर गिरने लगा है, जिससे लोगों में भी बेचैनी का आलम रहता है. बता दें की वन विभाग के पास फिलहाल आग पर काबू पाने का कोई समुचित संसाधन नहीं है, जिसके कारण झाड़ियों के सारे आग बुझाई जाती है. वैसे तो वन विभाग को आग लगने के कारणों की जानकारी नहीं है. लेकिन प्रत्येक साल जंगल में आग लगने की घटनाएं घटती हैं.

आग लगने के पीछ कई तरह की संभावनाएं: ऐसा माना जाता है की जंगल में मवेशी चराने वाले चरवाहों द्वारा बीड़ी या सिगरेट जलाकर फेंकने की वजह से सुखी पत्तियों में आग लग जाता है और फिर यह विकराल रूप ले लेती है. इतना हीं नहीं नया हरा चारा के लिए भी मवेशी पलकों द्वारा जंगल में आग लगाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इस बात की भी आशंका जताई जाती है की वन तस्कर भी आग लगा देते हैं. आग लगाने के पीछे लकड़ी तस्करों की मंशा यह होती है की जो पेड़ हल्का सुख रहे होंगे वे पूरी तरह जल जाएंगे और फिर मौका देख लकड़ी तस्कर पेड़ों को आसानी से काट लेंगे. ऐसे में वन विभाग की सुस्ती भारी पड़ सकती है.

वीटीआर के जंगल में लगी आग

बगहा: बिहार के बगहा में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में अचानक आग (VTR Forest Caught Fire) लगने से अफरातफरी मच गई. लोगों ने घटना की जानकारी वन विभाग की टीम को दी. संभावना जताई जा रही है की जंगल क्षेत्र में गए चरवाहों द्वारा कोई ज्वलनशील पदार्थ फेंके जाने पर आग लगी होगी. हालंकि सूचना मिलने के बाद वनकर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया और उसे बुझा दिया.

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वीटीआर के जंगल में लगी आग: वाल्मीकी टाइगर रिजर्व अंतर्गत नौरंगिया के पास जंगल में आग लगने से बड़ा भूभाग वीरान हो गया. बगहा वाल्मीकि नगर पथ के किनारे नौरंगिया वन परिसर के जंगल में आग से अफरा-तफरी मच गई. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस आगलगी की घटना में करीब 20 एकड़ जंगल क्षेत्र जल गया. लोगों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद उस क्षेत्र में पहुंचे वन कर्मी पहुंचे और आग पर काबू पाया. वन कर्मियों को आग बुझाने के लिए पेड़ के झाड़ियों का सहारा लेना पड़ा.

कड़ी मशक्कत के बाद पाया गया काबू: दरअसल, गर्मी की आहट के साथ ही वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती है. अलग-अलग हिस्सों में आए दिन आग लगाती रहती है. आग लगने के बाद आसपास के इलाकों में उसका राख उड़कर गिरने लगा है, जिससे लोगों में भी बेचैनी का आलम रहता है. बता दें की वन विभाग के पास फिलहाल आग पर काबू पाने का कोई समुचित संसाधन नहीं है, जिसके कारण झाड़ियों के सारे आग बुझाई जाती है. वैसे तो वन विभाग को आग लगने के कारणों की जानकारी नहीं है. लेकिन प्रत्येक साल जंगल में आग लगने की घटनाएं घटती हैं.

आग लगने के पीछ कई तरह की संभावनाएं: ऐसा माना जाता है की जंगल में मवेशी चराने वाले चरवाहों द्वारा बीड़ी या सिगरेट जलाकर फेंकने की वजह से सुखी पत्तियों में आग लग जाता है और फिर यह विकराल रूप ले लेती है. इतना हीं नहीं नया हरा चारा के लिए भी मवेशी पलकों द्वारा जंगल में आग लगाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इस बात की भी आशंका जताई जाती है की वन तस्कर भी आग लगा देते हैं. आग लगाने के पीछे लकड़ी तस्करों की मंशा यह होती है की जो पेड़ हल्का सुख रहे होंगे वे पूरी तरह जल जाएंगे और फिर मौका देख लकड़ी तस्कर पेड़ों को आसानी से काट लेंगे. ऐसे में वन विभाग की सुस्ती भारी पड़ सकती है.

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