बेतिया: बिहार में पैक्स केंद्रों के माध्यम से धान खरीद को लेकर सरकार भले ही गंभीर दिख रही हो, लेकिन बगहा में जमीनी हकीकत कुछ और ही है. किसानों का आरोप है कि विभाग एक तरफ सुस्त रफ्तार से धान की अधिप्राप्ति करा रहा. तो वहीं, दुसरी तरफ सिर्फ कागजों में ही खरीदारी का दावा किया जा रहा है.
पश्चिमी चंपारण जिला को धान का कटोरा कहा जाता है. ऐसे में यहां धान की पैदावार अधिक मात्रा में होती है और इसी के बलबूते ज्यादातर किसान धान की बिक्री कर अपने बाल बच्चों की पढ़ाई और बेटियों के हाथ पीला करने पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में कई किसानों का कहना है कि रजिस्ट्रेशन करा कर काफी समय से धान बेचने का इंंतजार कर रहे हैं. लेकिन धान की खरीद नहीं हो पा रही है.
व्यापार मंडल पर लटका है ताला
अनुमंडल क्षेत्र के कई पैक्स गोदाम डिफॉल्टर साबित हो चुके हैं. लिहाजा पैक्स गोदामों पर धान अधिप्राप्ति बाधित है. इतना ही नहीं बगहा के व्यापार मंडल पर भी महीनों से ताला लटका हुआ है. ऐसे में इलाके के किसान बिचौलियों के हाथों औने-पौने दामों पर अपना धान बेचने को मजबूर हैं. किसानों का आरोप है कि विभाग सिर्फ कागजी खाना पूर्ति कर रहा है.
सहकारिता पदाधिकारी का कहना है कि रेजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया विलंब से शुरू हुई. इसलिए देरी हो रही है. लेकिन जल्द ही धान अधिप्राप्ति में तेजी लाई जाएगी. उनका कहना है कि शीघ्र ही पैक्स को मिलरों से भी टैग किया जाएगा.