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औसत से चार गुणा ज्यादा बारिश से धान की फसल तबाह, किसानों ने की मुआवजे की मांग

बेतिया जिले में भारी बारिश से धान व सब्जी के फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. बारिस ने किसानों को कमर तोड़कर रख दी है. किसानो ने फसल मुआवजे की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर..

धान की फसल
धान की फसल
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Published : Oct 21, 2021, 8:03 PM IST

पश्चिमी चंपारणः बिहार में इन दिनों लगातार बेमौसम बारिश (Rainfall) हो रही है. पश्चिमी चंपारण में इस वर्ष औसत से चार गुणा ज्यादा बारिस हुई है, जिस कारण 20 वर्षों का रिकॉर्ड टूटा है. बारिश से धान सहित अन्य फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. किसानों नुकसान हुए फसलों के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है.

इन्हें भी पढ़ें- अररिया के मदनेश्वर धाम मंदिर में घुसा बाढ़ का पानी, कई घर नदी में विलीन

जिले में बारिश से लगभन 20 फीसदी धान की फसल खराब हो चुकी है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार जिले में करीबन 1 लाख 25 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई है. जून, जुलाई और अगस्त में भारी बारिश हुई है. बारिश के कारण 38000 हेक्टेयर में लगी धान व गन्ने की फसल अब तक बर्बाद हो गई है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष औसत से चार गुणा ज्यादा बारिश हुई है.

इन्हें भी पढ़ें- नैनीताल भूस्खलन में बेतिया के 8 मजदूरों की मौत, बिहार के मंत्री ने शवों को सौंपने के लिए लिखा पत्र

एक तरफ महंगे डीजल, खाद-बीज से खेती दूसरी तरफ मौसम की बेरुखी ने किसानों की कमरतोड़ दी है. किसान नूर आलम ने बताया की काफी मुश्किल से हम किसानों ने धान की खेती बोया था. इस बार बिचड़ा बर्बाद हो जाने के बाद दोबारा बिचड़ा गिराना पड़ा था. धान की फसलें जब तैयार हुई और कटाई से पहले आई बारिश ने धान की फसलों को ही बर्बाद कर दिया.

पश्चिमी चंपारणः बिहार में इन दिनों लगातार बेमौसम बारिश (Rainfall) हो रही है. पश्चिमी चंपारण में इस वर्ष औसत से चार गुणा ज्यादा बारिस हुई है, जिस कारण 20 वर्षों का रिकॉर्ड टूटा है. बारिश से धान सहित अन्य फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. किसानों नुकसान हुए फसलों के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है.

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जिले में बारिश से लगभन 20 फीसदी धान की फसल खराब हो चुकी है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार जिले में करीबन 1 लाख 25 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई है. जून, जुलाई और अगस्त में भारी बारिश हुई है. बारिश के कारण 38000 हेक्टेयर में लगी धान व गन्ने की फसल अब तक बर्बाद हो गई है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष औसत से चार गुणा ज्यादा बारिश हुई है.

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एक तरफ महंगे डीजल, खाद-बीज से खेती दूसरी तरफ मौसम की बेरुखी ने किसानों की कमरतोड़ दी है. किसान नूर आलम ने बताया की काफी मुश्किल से हम किसानों ने धान की खेती बोया था. इस बार बिचड़ा बर्बाद हो जाने के बाद दोबारा बिचड़ा गिराना पड़ा था. धान की फसलें जब तैयार हुई और कटाई से पहले आई बारिश ने धान की फसलों को ही बर्बाद कर दिया.

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