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Pearl Farming In Bihar: PM मोदी की प्रेरणा से शिव आनंद बने आत्मनिर्भर, मोती की खेती कर करते हैं लाखों की कमाई

बिहार के बेतिया में पीएम नरेंद्र मोदी के प्रेरणा से नरकटियागंज के किसान ने मोती की खेती शुरू कर दी. किसानों की आय दोगुनी हो इसके लिए वह दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं और आज मोती की खेती से प्रतिवर्ष 7 से 8 लख रुपये की आमदनी हो रही है. ईटीवी भारत संवाददाता जितेंद्र कुमार ने उनसे बातचीत की और मोती की खेती के बारे में जानकारी ली. पढ़ें पूरी खबर..

मोती की खेती
मोती की खेती
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 1, 2023, 6:41 AM IST

बेतिया में मोती की खेती

बेतिया: कुछ करने की लगन हो तो हर चीज संभव है. जी हां, नरकटियागंज प्रखंड के भसुरारी पंचायत के तरहरवा के रहने वाले किसान शिव आनंद साह ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. शिव आनंद शाह ने मोती की खेती कर आत्मनिर्भरता की तरफ एक बड़ा कदम उठाया है. इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी का आभार व्यक्त कर रहे हैं. क्योंकि पीएम मोदी की बातों से प्रेरित होकर ही उन्होंने मोती की खेती की शुरुआत की है.

ये भी पढ़ें : मोती की खेती: कोरोना काल में नौकरी गई तो गांव लौटकर शुरू की पर्ल फार्मिंग, 1 कट्ठे में लाखों की कमाई

एक साल में 7 से 8 लाख की आमदनी : किसान शिव आनंद शाह बताते हैं कि वह अभी 4000 सीपियों में मोती तैयार कर रहे हैं. यह मोती 18 महीने में अगर बढ़िया वातावरण हो तो तैयार हो जाता है. एक सीपी में दो मोती तैयार किए जाते हैं. एक मोती की लागत कीमत 7 से 8 रुपए की होती है और बाजार में यह मोती 100 से लेकर 300 रुपये में बिकती है. अगर मोती की उत्पादन की गुणवत्ता अच्छी हो तो अच्छे दाम मिलते हैं. मोती की खेती से प्रतिवर्ष 7 से 8 लख रुपए की आमदनी होती है.

सीप में उपजा मोती
सीप में उपजा मोती

"जब मोती की खेती होती है तो जितने मोती के बीज होते हैं जिसको न्यूक्लियस कहते हैं. वह 30 से 50 प्रतिशत मर जाता है और जो बचता है वह मोती बनकर तैयार होता है. सीप और मोती के बीज कोलकाता और बनारस से लेकर आता हूं. 2022 में BHU बनारस से इसकी ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग में सीप का ऑपरेशन, जाल बनाना, सीप का रखरखाव, मोती की कटिंग, पॉलिशिंग, सीप का हैंडीक्राफ्ट का पूरा ज्ञान प्राप्त किया".- शिव आनंद शाह, किसान

दूसरे किसानों को भी सिखाते हैं हुनर : शिव आनंद ने किसानों की आय दोगुनी हो इसके लिए कृषि पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि किसानों को आय दोगुनी करने के लिए गाय रखनी चाहिए. जिससे गोबर तैयार होता है. वह गोबर खाद के रूप में काम आता है. गोबर गैस तैयार होता है. जो घरेलू उपयोग में आता है. उन्होंने बताया कि 1 साल में गोबर गैस लग जाने से उनके घर में मात्र दो एलपीजी सिलेंडर ही खर्च होता है. उन्होंने बताया कि गौपालन, दूध डेरी, अजोला उत्पादन, मोती की खेती, मछली पालन, सुपरनेपेयर, बत्तख पालन से किसानों की आय दोगुनी होगी.

मोती की खेती के लिए लगाए गए सीप के जाल
मोती की खेती के लिए लगाए गए सीप के जाल

मोती की खेती के अलावा करते हैं मछली पालन : शिव आनंद शाह मोती की खेती की के अलावा बत्तख पालन और मछली पालन भी खूब करते हैं. उन्होंने मोती की खेती का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को मोती की खेती करनी चाहिए. थोड़ी सी जगह में भी मोती की खेती हो सकती है और थोड़ी सी लागत से आय दोगुनी हो सकती है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि शिव आनंद शाह नरकटियागंज व जिले के किसानों के लिए एक उदाहरण बने हुए हैं. उनकी मोती की खेती देखने के लिए किसान दूर-दूर से आते हैं और उनसे उसका हुनर सीखते हैं.

बेतिया में मोती की खेती

बेतिया: कुछ करने की लगन हो तो हर चीज संभव है. जी हां, नरकटियागंज प्रखंड के भसुरारी पंचायत के तरहरवा के रहने वाले किसान शिव आनंद साह ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. शिव आनंद शाह ने मोती की खेती कर आत्मनिर्भरता की तरफ एक बड़ा कदम उठाया है. इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी का आभार व्यक्त कर रहे हैं. क्योंकि पीएम मोदी की बातों से प्रेरित होकर ही उन्होंने मोती की खेती की शुरुआत की है.

ये भी पढ़ें : मोती की खेती: कोरोना काल में नौकरी गई तो गांव लौटकर शुरू की पर्ल फार्मिंग, 1 कट्ठे में लाखों की कमाई

एक साल में 7 से 8 लाख की आमदनी : किसान शिव आनंद शाह बताते हैं कि वह अभी 4000 सीपियों में मोती तैयार कर रहे हैं. यह मोती 18 महीने में अगर बढ़िया वातावरण हो तो तैयार हो जाता है. एक सीपी में दो मोती तैयार किए जाते हैं. एक मोती की लागत कीमत 7 से 8 रुपए की होती है और बाजार में यह मोती 100 से लेकर 300 रुपये में बिकती है. अगर मोती की उत्पादन की गुणवत्ता अच्छी हो तो अच्छे दाम मिलते हैं. मोती की खेती से प्रतिवर्ष 7 से 8 लख रुपए की आमदनी होती है.

सीप में उपजा मोती
सीप में उपजा मोती

"जब मोती की खेती होती है तो जितने मोती के बीज होते हैं जिसको न्यूक्लियस कहते हैं. वह 30 से 50 प्रतिशत मर जाता है और जो बचता है वह मोती बनकर तैयार होता है. सीप और मोती के बीज कोलकाता और बनारस से लेकर आता हूं. 2022 में BHU बनारस से इसकी ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग में सीप का ऑपरेशन, जाल बनाना, सीप का रखरखाव, मोती की कटिंग, पॉलिशिंग, सीप का हैंडीक्राफ्ट का पूरा ज्ञान प्राप्त किया".- शिव आनंद शाह, किसान

दूसरे किसानों को भी सिखाते हैं हुनर : शिव आनंद ने किसानों की आय दोगुनी हो इसके लिए कृषि पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि किसानों को आय दोगुनी करने के लिए गाय रखनी चाहिए. जिससे गोबर तैयार होता है. वह गोबर खाद के रूप में काम आता है. गोबर गैस तैयार होता है. जो घरेलू उपयोग में आता है. उन्होंने बताया कि 1 साल में गोबर गैस लग जाने से उनके घर में मात्र दो एलपीजी सिलेंडर ही खर्च होता है. उन्होंने बताया कि गौपालन, दूध डेरी, अजोला उत्पादन, मोती की खेती, मछली पालन, सुपरनेपेयर, बत्तख पालन से किसानों की आय दोगुनी होगी.

मोती की खेती के लिए लगाए गए सीप के जाल
मोती की खेती के लिए लगाए गए सीप के जाल

मोती की खेती के अलावा करते हैं मछली पालन : शिव आनंद शाह मोती की खेती की के अलावा बत्तख पालन और मछली पालन भी खूब करते हैं. उन्होंने मोती की खेती का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को मोती की खेती करनी चाहिए. थोड़ी सी जगह में भी मोती की खेती हो सकती है और थोड़ी सी लागत से आय दोगुनी हो सकती है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि शिव आनंद शाह नरकटियागंज व जिले के किसानों के लिए एक उदाहरण बने हुए हैं. उनकी मोती की खेती देखने के लिए किसान दूर-दूर से आते हैं और उनसे उसका हुनर सीखते हैं.

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