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बेतिया: मनोर नदी के बढ़े जलस्तर से कटाव शुरू, किसानों के दर्जनों एकड़ फसल बर्बाद

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Published : Sep 26, 2020, 3:34 PM IST

बेतिया में कटाव की वजह से किसानों के दर्जनों एकड़ फसल बर्बाद हो गये हैं. किसानों ने इसको लेकर सरकार से मदद की गुहार लगायी है.

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मनोर नदी

बेतिया (वाल्मीकिनगर): जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां उफान पर है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के गोनौली वन क्षेत्र से निकलने वाली पहाड़ी मनोर नदी ने रौद्र रुप धारण कर लियाा है. इससे लगभग दर्जनों एकड़ में लगे धान और गन्ना की फसल पूरी तरह से नदी में विलीन हो गई. इससें किसानों की बेचैनी बढ़ गई है.

सरकार से मदद की गुहार
फसलों के नदी विलीन होने से किसान परेशान हैं. वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. थरुहट के ज्यादातर किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं और फसल तैयार होने के समय का इंतजार करते हैं. ताकि उनका भरण-पोषण हो सके. साथ ही कर्ज भी चुकता हो जाए. लेकिन कुदरत के कहर ने किसानों की कमर तोड़ दी है.

ग्रामीणों में बाढ़ का खौफ
गोनौली मनोर नदी प्रत्येक साल अपनी विनाशलीला के लिए जानी जाती है. नदी के तट पर बसे भथोहिया टोला गांव के किसानों और ग्रामीणों में बाढ़ का खौफ दिख रहा है.

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मनोर नदी में शुरू हुआ कटाव

क्या कहते हैं किसान
किसान बद्री राम, ललन राम, रामजी राम, लक्ष्मण राम, क्षवन राम, जंगली यादव, रामावतार साह, प्रेम राम, रामेश्वर राव, हरेंद्र राम आदि ने बताया कि मनोर पर लगभग 400 मीटर की दूरी पर बनी बांध को अगर दो किलोमीटर और आगे तक बढ़ा दिया जाए तो, बाढ़ घुसने का खतरा पूरी तरह खत्म हो जाएगा. साथ ही किसानों के फसल की कटाव भी नहीं होगी.

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किसानों के दर्जनों एकड़ फसल हुए बर्बाद

किसानों के फसल बर्बाद
ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष संजय साह और वार्ड सदस्या सुमित्रा देवी ने बताया कि किसानों के फसल और मेहनत पूरी तरह बर्बाद होने से उनमें आक्रोश और दर्द है. हालांकि हमारी ग्राम विकास समिति की तरफ से पुरजोर कोशिश की जाती है कि बाढ़ से बर्बादी कम हो.

लेकिन सरकार के ठोस कदम बगैर इसे पूरा नहीं किया जा सकता. इसको लेकर बैठक कर एक प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. जिसमें ठोस कदम उठाने की मांग की गई है.

बेतिया (वाल्मीकिनगर): जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां उफान पर है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के गोनौली वन क्षेत्र से निकलने वाली पहाड़ी मनोर नदी ने रौद्र रुप धारण कर लियाा है. इससे लगभग दर्जनों एकड़ में लगे धान और गन्ना की फसल पूरी तरह से नदी में विलीन हो गई. इससें किसानों की बेचैनी बढ़ गई है.

सरकार से मदद की गुहार
फसलों के नदी विलीन होने से किसान परेशान हैं. वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. थरुहट के ज्यादातर किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं और फसल तैयार होने के समय का इंतजार करते हैं. ताकि उनका भरण-पोषण हो सके. साथ ही कर्ज भी चुकता हो जाए. लेकिन कुदरत के कहर ने किसानों की कमर तोड़ दी है.

ग्रामीणों में बाढ़ का खौफ
गोनौली मनोर नदी प्रत्येक साल अपनी विनाशलीला के लिए जानी जाती है. नदी के तट पर बसे भथोहिया टोला गांव के किसानों और ग्रामीणों में बाढ़ का खौफ दिख रहा है.

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मनोर नदी में शुरू हुआ कटाव

क्या कहते हैं किसान
किसान बद्री राम, ललन राम, रामजी राम, लक्ष्मण राम, क्षवन राम, जंगली यादव, रामावतार साह, प्रेम राम, रामेश्वर राव, हरेंद्र राम आदि ने बताया कि मनोर पर लगभग 400 मीटर की दूरी पर बनी बांध को अगर दो किलोमीटर और आगे तक बढ़ा दिया जाए तो, बाढ़ घुसने का खतरा पूरी तरह खत्म हो जाएगा. साथ ही किसानों के फसल की कटाव भी नहीं होगी.

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किसानों के दर्जनों एकड़ फसल हुए बर्बाद

किसानों के फसल बर्बाद
ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष संजय साह और वार्ड सदस्या सुमित्रा देवी ने बताया कि किसानों के फसल और मेहनत पूरी तरह बर्बाद होने से उनमें आक्रोश और दर्द है. हालांकि हमारी ग्राम विकास समिति की तरफ से पुरजोर कोशिश की जाती है कि बाढ़ से बर्बादी कम हो.

लेकिन सरकार के ठोस कदम बगैर इसे पूरा नहीं किया जा सकता. इसको लेकर बैठक कर एक प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. जिसमें ठोस कदम उठाने की मांग की गई है.

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