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5 कमरों में 10+2 तक की पढ़ाई, जमीन पर अतिक्रमण के कारण नहीं बन पा रहा विद्यालय भवन

Encroachment In Bagaha: बगहा का एक ऐसा सरकारी विद्यालय है, जहां 5 कमरों में 12 कक्षाओं की पढ़ाई होती है. जबकि विद्यालय के लिए 2 एकड़ भूमि आवंटित हो गई है लेकिन इस जमीन पर दर्जनों ग्रामीणों का अतिक्रमण है. आलम यह है की इंटर में नामंकित बच्चे सिर्फ हाजिरी बनाकर वापस घर चले जाते हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर.

बगहा में शिक्षा व्यवस्था
बगहा में शिक्षा व्यवस्था
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 11, 2024, 9:37 AM IST

स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण

बगहा: बिहार के बगहा में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार की सभी कोशिशे विफल होती दिखाई दे रही है. आदिवासी बहुल नौरंगिया गांव में एक ऐसा विद्यालय है जिसमें महज 5 कमरों में 12 वर्गों की कक्षा संचालित की जाती है. इस विद्यालय में बच्चे खुले आसमान के नीचे छत पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. राजकीय मध्य सह माध्यमिक विद्यालय नौरंगिया को तीन साल पहले अपग्रेड किया गया था. उसके बाद इसके लिए 2 एकड़ भूमि पंचायत भवन के पीछे अलॉट किया गया है.

एडजस्ट करके होती है पढ़ाई
एडजस्ट करके होती है पढ़ाई

पांच कमरों होती है 12 कक्षाओं की पढ़ाई: विद्यालय के लिए जमीन अलॉट करने के बाद उस पर दर्जनों ग्रामीणों ने झोपड़ी बना ली और एक पार्टी का झंडा लगा दिया है. अतिक्रमणकारियों का कहना है कि इस जमीन पर वे वर्षों से खेती करते आ रहे हैं. वहीं विद्यालय के प्रधानाध्यापक का कहना है कि पांच कमरों में 12 कक्षाओं की पढ़ाई किसी तरह एडजस्ट करके कराई जा रही है. यहां 10 वीं में 60 छात्र, 11 वीं में 50 और 12 वीं में 28 छात्र छात्राओं का नामांकन है लेकिन अधिकांश छात्र छात्राएं सिर्फ हाजिरी बनाने आते हैं.

विद्यालय में सिर्फ पांच कक्षा
विद्यालय में सिर्फ पांच कक्षा

"इस विद्यालय को वर्ष 2019 में अपग्रेड कर 10+2 तक किया गया और 2 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई लेकिन जमीन पर वर्षों से अतिक्रमण है, जिसकी वजह से भवन नहीं बन पा रहा है और किसी तरह एडजस्ट कर शिक्षण कार्य किया जा रहा है."-बेचू राम, प्रधानाध्यापक

छत पर होती है पढ़ाई: बैठने की दिक्कत के कारण अधिकांश बच्चे हाजिरी बनाकर वापस घर चले जाते हैं. मुखिया और स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि विद्यालय का भवन बन जाता तो 10+2 तक की पढ़ाई सुचारू रूप से होती. महज 5 कमरों होने की वजह से उच्च वर्गों में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल में नहीं आते हैं.

ठंड में बच्चे छत पर पढ़ने को मजबूर
ठंड में बच्चे छत पर पढ़ने को मजबूर

"अतिक्रमित भूमि को खाली कराने के लिए विद्यालय प्रबंधन और मेरे स्तर से कई दफा प्रशासन को लिखा गया लेकिन अब तक अतिक्रमण खाली नहीं कराया गया है. जितना जल्दी अतिक्रमण खाली होता वैसे ही यहां भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती."-मुखिया

जमीन खाली करने के लिए भेजा नोटिस: इसे लेकर बगहा अंचलाधिकारी ने बताया कि "अतिक्रमणकारियों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है. यदि नोटिस भेजने के बावजूद जमीन खाली नहीं होगी तो बलपूर्वक अतिक्रमण खाली कराया जाएगा." वहीं जिन छात्र-छात्राओं की क्लास छत पर संचालित होती है उनका कहना है कि छत पर बाउंड्री नहीं होने से उन्हें चलने फिरने पर डर महसूस होता है.

2 एकड़ भूमि पर ग्रामीणों का कब्जा
2 एकड़ भूमि पर ग्रामीणों का कब्जा

पढ़ें-बक्सर में बच्चों को मिली राहत, ठंड में साढ़े नौ बजे से चलेगी क्लास

स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण

बगहा: बिहार के बगहा में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार की सभी कोशिशे विफल होती दिखाई दे रही है. आदिवासी बहुल नौरंगिया गांव में एक ऐसा विद्यालय है जिसमें महज 5 कमरों में 12 वर्गों की कक्षा संचालित की जाती है. इस विद्यालय में बच्चे खुले आसमान के नीचे छत पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. राजकीय मध्य सह माध्यमिक विद्यालय नौरंगिया को तीन साल पहले अपग्रेड किया गया था. उसके बाद इसके लिए 2 एकड़ भूमि पंचायत भवन के पीछे अलॉट किया गया है.

एडजस्ट करके होती है पढ़ाई
एडजस्ट करके होती है पढ़ाई

पांच कमरों होती है 12 कक्षाओं की पढ़ाई: विद्यालय के लिए जमीन अलॉट करने के बाद उस पर दर्जनों ग्रामीणों ने झोपड़ी बना ली और एक पार्टी का झंडा लगा दिया है. अतिक्रमणकारियों का कहना है कि इस जमीन पर वे वर्षों से खेती करते आ रहे हैं. वहीं विद्यालय के प्रधानाध्यापक का कहना है कि पांच कमरों में 12 कक्षाओं की पढ़ाई किसी तरह एडजस्ट करके कराई जा रही है. यहां 10 वीं में 60 छात्र, 11 वीं में 50 और 12 वीं में 28 छात्र छात्राओं का नामांकन है लेकिन अधिकांश छात्र छात्राएं सिर्फ हाजिरी बनाने आते हैं.

विद्यालय में सिर्फ पांच कक्षा
विद्यालय में सिर्फ पांच कक्षा

"इस विद्यालय को वर्ष 2019 में अपग्रेड कर 10+2 तक किया गया और 2 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई लेकिन जमीन पर वर्षों से अतिक्रमण है, जिसकी वजह से भवन नहीं बन पा रहा है और किसी तरह एडजस्ट कर शिक्षण कार्य किया जा रहा है."-बेचू राम, प्रधानाध्यापक

छत पर होती है पढ़ाई: बैठने की दिक्कत के कारण अधिकांश बच्चे हाजिरी बनाकर वापस घर चले जाते हैं. मुखिया और स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि विद्यालय का भवन बन जाता तो 10+2 तक की पढ़ाई सुचारू रूप से होती. महज 5 कमरों होने की वजह से उच्च वर्गों में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल में नहीं आते हैं.

ठंड में बच्चे छत पर पढ़ने को मजबूर
ठंड में बच्चे छत पर पढ़ने को मजबूर

"अतिक्रमित भूमि को खाली कराने के लिए विद्यालय प्रबंधन और मेरे स्तर से कई दफा प्रशासन को लिखा गया लेकिन अब तक अतिक्रमण खाली नहीं कराया गया है. जितना जल्दी अतिक्रमण खाली होता वैसे ही यहां भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती."-मुखिया

जमीन खाली करने के लिए भेजा नोटिस: इसे लेकर बगहा अंचलाधिकारी ने बताया कि "अतिक्रमणकारियों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है. यदि नोटिस भेजने के बावजूद जमीन खाली नहीं होगी तो बलपूर्वक अतिक्रमण खाली कराया जाएगा." वहीं जिन छात्र-छात्राओं की क्लास छत पर संचालित होती है उनका कहना है कि छत पर बाउंड्री नहीं होने से उन्हें चलने फिरने पर डर महसूस होता है.

2 एकड़ भूमि पर ग्रामीणों का कब्जा
2 एकड़ भूमि पर ग्रामीणों का कब्जा

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