बगहा: बिहार के बगहा में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार की सभी कोशिशे विफल होती दिखाई दे रही है. आदिवासी बहुल नौरंगिया गांव में एक ऐसा विद्यालय है जिसमें महज 5 कमरों में 12 वर्गों की कक्षा संचालित की जाती है. इस विद्यालय में बच्चे खुले आसमान के नीचे छत पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. राजकीय मध्य सह माध्यमिक विद्यालय नौरंगिया को तीन साल पहले अपग्रेड किया गया था. उसके बाद इसके लिए 2 एकड़ भूमि पंचायत भवन के पीछे अलॉट किया गया है.
पांच कमरों होती है 12 कक्षाओं की पढ़ाई: विद्यालय के लिए जमीन अलॉट करने के बाद उस पर दर्जनों ग्रामीणों ने झोपड़ी बना ली और एक पार्टी का झंडा लगा दिया है. अतिक्रमणकारियों का कहना है कि इस जमीन पर वे वर्षों से खेती करते आ रहे हैं. वहीं विद्यालय के प्रधानाध्यापक का कहना है कि पांच कमरों में 12 कक्षाओं की पढ़ाई किसी तरह एडजस्ट करके कराई जा रही है. यहां 10 वीं में 60 छात्र, 11 वीं में 50 और 12 वीं में 28 छात्र छात्राओं का नामांकन है लेकिन अधिकांश छात्र छात्राएं सिर्फ हाजिरी बनाने आते हैं.
"इस विद्यालय को वर्ष 2019 में अपग्रेड कर 10+2 तक किया गया और 2 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई लेकिन जमीन पर वर्षों से अतिक्रमण है, जिसकी वजह से भवन नहीं बन पा रहा है और किसी तरह एडजस्ट कर शिक्षण कार्य किया जा रहा है."-बेचू राम, प्रधानाध्यापक
छत पर होती है पढ़ाई: बैठने की दिक्कत के कारण अधिकांश बच्चे हाजिरी बनाकर वापस घर चले जाते हैं. मुखिया और स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि विद्यालय का भवन बन जाता तो 10+2 तक की पढ़ाई सुचारू रूप से होती. महज 5 कमरों होने की वजह से उच्च वर्गों में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल में नहीं आते हैं.
"अतिक्रमित भूमि को खाली कराने के लिए विद्यालय प्रबंधन और मेरे स्तर से कई दफा प्रशासन को लिखा गया लेकिन अब तक अतिक्रमण खाली नहीं कराया गया है. जितना जल्दी अतिक्रमण खाली होता वैसे ही यहां भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती."-मुखिया
जमीन खाली करने के लिए भेजा नोटिस: इसे लेकर बगहा अंचलाधिकारी ने बताया कि "अतिक्रमणकारियों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है. यदि नोटिस भेजने के बावजूद जमीन खाली नहीं होगी तो बलपूर्वक अतिक्रमण खाली कराया जाएगा." वहीं जिन छात्र-छात्राओं की क्लास छत पर संचालित होती है उनका कहना है कि छत पर बाउंड्री नहीं होने से उन्हें चलने फिरने पर डर महसूस होता है.
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