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बगहा: जल जीवन हरियाली अभियान यात्रा का सच, मुख्यमंत्री के जाने के बाद ठप पड़ा विकास कार्य

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में नालियों का काम पूरा नहीं हुआ. वहीं, पोखरे के सौंदर्यीकरण के तहत भी महज 150 मीटर तक का ही कार्य किया गया. उन्होंने कहा कि जो भी विकास के कार्य कराए गए हैं वो सिर्फ सीएम को दिखाने के लिए किए गए. जबकि सच्चाई यह है कि अधिकांश विकास के कार्य अधूरे ही छोड़ दिये गए हैं.

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सीएम के जाने के बाद विकास के कार्य पड़ा अधूरा
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Published : Dec 17, 2019, 7:01 PM IST

बगहा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 दिसम्बर को जलजीवन हरियाली यात्रा का आगाज पश्चिम चम्पारण जिला के चम्पापुर गोनौली गांव से किया. यात्रा के दरम्यान गांव में सात निश्चय योजना के तहत गली, सड़क, नालियों का निर्माण कार्य सहित पोखरे और कुओं का जीर्णोद्धार किया गया. लेकिन मुख्यमंत्री के दौरे के समय जितने भी काम हुए थे. उनके जाने के बाद वो सभी काम अब अधूरे पड़े हैं.

'दिखावे के लिए किया गया विकास कार्य'
बता दें कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने पर्यावरण सरंक्षण को लेकर एक विशेष अभियान शुरू किया है. जिसे जलजीवन हरियाली अभियान यात्रा का नाम दिया गया है. इस अभियान के तहत राज्य के पोखरों और कुओं का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. साथ ही भारी संख्या में पेड़ भी लगाए जा रहे हैं. लेकिन इस यात्रा की जमीनी हकीकत चौकाने वाली है. लोगों की शिकायत है कि जो भी विकास के कार्य कराए गए हैं वो सिर्फ सीएम को दिखाने के लिए किए गए हैं. जबकि सच्चाई यह है कि अधिकांश विकास के कार्य अधूरे ही छोड़ दिये गए हैं.

सीएम के जाने के बाद विकास कार्य पड़ा अधूरा

सीएम के जाने के बाद विकास कार्य पड़ा अधूरा
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में नालियों का काम पूरा नहीं हुआ. वहीं, पोखरे के सौंदर्यीकरण के तहत भी महज 150 मीटर तक का ही कार्य किया गया. उन्होंने कहा कि पड़री पोखरा का जीर्णोद्धार किया गया. वहां बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले तो लगाए गए थे. लेकिन उनमें से कई झूले टूट गए. इतना ही नहीं बैठने के लिए बनाए गए चबूतरे पर लगी मूर्तियां भी टूट गई हैं. पोखरे का रख रखाव कर रहे वनपोषक का कहना है कि रोजाना यहां सैकड़ों लोग घूमने के लिए आते हैं. लेकिन सभी की एक ही शिकायत रहती है कि इस पोखरे का सौंदर्यीकरण कर इसे और भी खूबसूरत बनाया जा सकता है.

बगहा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 दिसम्बर को जलजीवन हरियाली यात्रा का आगाज पश्चिम चम्पारण जिला के चम्पापुर गोनौली गांव से किया. यात्रा के दरम्यान गांव में सात निश्चय योजना के तहत गली, सड़क, नालियों का निर्माण कार्य सहित पोखरे और कुओं का जीर्णोद्धार किया गया. लेकिन मुख्यमंत्री के दौरे के समय जितने भी काम हुए थे. उनके जाने के बाद वो सभी काम अब अधूरे पड़े हैं.

'दिखावे के लिए किया गया विकास कार्य'
बता दें कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने पर्यावरण सरंक्षण को लेकर एक विशेष अभियान शुरू किया है. जिसे जलजीवन हरियाली अभियान यात्रा का नाम दिया गया है. इस अभियान के तहत राज्य के पोखरों और कुओं का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. साथ ही भारी संख्या में पेड़ भी लगाए जा रहे हैं. लेकिन इस यात्रा की जमीनी हकीकत चौकाने वाली है. लोगों की शिकायत है कि जो भी विकास के कार्य कराए गए हैं वो सिर्फ सीएम को दिखाने के लिए किए गए हैं. जबकि सच्चाई यह है कि अधिकांश विकास के कार्य अधूरे ही छोड़ दिये गए हैं.

सीएम के जाने के बाद विकास कार्य पड़ा अधूरा

सीएम के जाने के बाद विकास कार्य पड़ा अधूरा
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में नालियों का काम पूरा नहीं हुआ. वहीं, पोखरे के सौंदर्यीकरण के तहत भी महज 150 मीटर तक का ही कार्य किया गया. उन्होंने कहा कि पड़री पोखरा का जीर्णोद्धार किया गया. वहां बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले तो लगाए गए थे. लेकिन उनमें से कई झूले टूट गए. इतना ही नहीं बैठने के लिए बनाए गए चबूतरे पर लगी मूर्तियां भी टूट गई हैं. पोखरे का रख रखाव कर रहे वनपोषक का कहना है कि रोजाना यहां सैकड़ों लोग घूमने के लिए आते हैं. लेकिन सभी की एक ही शिकायत रहती है कि इस पोखरे का सौंदर्यीकरण कर इसे और भी खूबसूरत बनाया जा सकता है.

Intro:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 दिसम्बर को जलजीवन हरियाली यात्रा का आगाज पश्चिम चम्पारण जिला के चम्पापुर गोनौली गांव से किया था। उस यात्रा के दरम्यान गांव में सात निश्चय योजना के तहत नली गली, सड़क , नालियों का निर्माण कार्य सहित पोखरे व कुँओं का जीर्णोद्धार कार्य भी किया गया। लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा इस यात्रा के शुभारम्भ के बाद जितने कार्य हुए थे वो सभी अब अधूरे पड़े हुए हैं। ग्रामीणों की शिकायत है कि न तो पोखरे का पूर्ण रूप से सौंदर्यीकरण कार्य हुआ और ना ही गांव की नालियां ही बनी। जिस वजह से पहली ही हल्की बरसात में गांव की मुख्य सड़क पर जलजमाव हो गया है।


Body:सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने पर्यावरण सरंक्षण को लेकर एक विशेष अभियान शुरू किया है। जिसको जलजीवन हरियाली अभियान यात्रा का नाम दिया गया है। इस अभियान के तहत राज्य के पोखरों और कुँओं का जीर्णोद्धार कार्य किया जा रहा है साथ ही भारी संख्या में पेड़ भी लगाए जा रहे हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री इस यात्रा के तीसरे चरण में कैमूर पंहुँचे हैं। लेकिन इस यात्रा की जमीनी हकीकत चौकाने वाली है। जी हां, मुख्यमंत्री ने जहां से अपने इस यात्रा का शुरुवात किया वही के लोग अब इस यात्रा का माखौल उड़ा रहे हैं। लोगो की शिकायत है कि जो भी विकास के कार्य कराए गए हैं वो सिर्फ मुख्यमंत्री को दिखाने के लिए किए गए हैं। जबकि सच्चाई यह है कि अधिकांश विकास के कार्य अधूरे ही छोड़ दिये गए हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि गांव में नालियों का काम पूरा नही हुआ और ना ही फेबर ब्लॉक का उपयोग कर गालियां ही बन पाई। पोखरा के सौंदर्यीकरण के तहत भी महज 150 मीटर तक का ही कार्य किया गया जबकि इसको चारो तरफ से सीढ़ीनुमा पक्कीकरण किया जाता तो इसकी सुंदरता में चार चांद लग जाता।
बाइट- मोहक काजी, ग्रामीण
बाइट- नारायण महतो, ग्रामीण
बाइट- धरीक्षण महतो, वनपोषक


Conclusion:बता दें कि पड़री पोखरा जिसका जीर्णोद्धार कार्य किया गया वहां बच्चों के मनोरंजन के लिए झूला लगा था कई झूले असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिए हैं। इतना ही नही बैठने के लिए बनाए गए चबूतरे पर लगी हुई प्रतिमाओं को भी तोड़ दिया गया है। पोखरे का रख रखाव कर रहे वनपोषक का कहना है कि प्रतिदिन यहां सैकड़ो लोग भ्रमण के लिए आते हैं सभी की एक ही शिकायत रहती है कि इस पोखरे का सौंदर्यीकरण कर और भी खूबसूरत बनाया जा सकता है।
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