बगहा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 दिसम्बर को जलजीवन हरियाली यात्रा का आगाज पश्चिम चम्पारण जिला के चम्पापुर गोनौली गांव से किया. यात्रा के दरम्यान गांव में सात निश्चय योजना के तहत गली, सड़क, नालियों का निर्माण कार्य सहित पोखरे और कुओं का जीर्णोद्धार किया गया. लेकिन मुख्यमंत्री के दौरे के समय जितने भी काम हुए थे. उनके जाने के बाद वो सभी काम अब अधूरे पड़े हैं.
'दिखावे के लिए किया गया विकास कार्य'
बता दें कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने पर्यावरण सरंक्षण को लेकर एक विशेष अभियान शुरू किया है. जिसे जलजीवन हरियाली अभियान यात्रा का नाम दिया गया है. इस अभियान के तहत राज्य के पोखरों और कुओं का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. साथ ही भारी संख्या में पेड़ भी लगाए जा रहे हैं. लेकिन इस यात्रा की जमीनी हकीकत चौकाने वाली है. लोगों की शिकायत है कि जो भी विकास के कार्य कराए गए हैं वो सिर्फ सीएम को दिखाने के लिए किए गए हैं. जबकि सच्चाई यह है कि अधिकांश विकास के कार्य अधूरे ही छोड़ दिये गए हैं.
सीएम के जाने के बाद विकास कार्य पड़ा अधूरा
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में नालियों का काम पूरा नहीं हुआ. वहीं, पोखरे के सौंदर्यीकरण के तहत भी महज 150 मीटर तक का ही कार्य किया गया. उन्होंने कहा कि पड़री पोखरा का जीर्णोद्धार किया गया. वहां बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले तो लगाए गए थे. लेकिन उनमें से कई झूले टूट गए. इतना ही नहीं बैठने के लिए बनाए गए चबूतरे पर लगी मूर्तियां भी टूट गई हैं. पोखरे का रख रखाव कर रहे वनपोषक का कहना है कि रोजाना यहां सैकड़ों लोग घूमने के लिए आते हैं. लेकिन सभी की एक ही शिकायत रहती है कि इस पोखरे का सौंदर्यीकरण कर इसे और भी खूबसूरत बनाया जा सकता है.