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बेतिया मंडल कारा में सजायाफ्ता कैदी की इलाज के दौरान मौत

मृतक कैदी रघुनाथ को 4 दिसंबर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. वह मंडल कारा में सजा काट रहा था. इसी दौरान उसकी तबीयत बिगड़ने के बाद उसकी मौत हो गई.

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Published : Dec 13, 2019, 9:46 AM IST

बेतिया: 2002 में भूमि विवाद में हत्या के एक मामले में मंडल कारा में बंद 80 वर्षीय रघुनाथ रावत की गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई. मृतक कैदी शिकारपुर थाना क्षेत्र के रोआरी नूनिया टोला का रहने वाला था, जिसने बुधवार को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में दम तोड़ दिया.

क्या है पूरा मामला?
मृतक कैदी 29 नवंबर से मंडलकारा में बंद था. वहीं, 4 दिसंबर को कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मंडलकारा के डिप्टी सुपरिटेंडेंट संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि रघुनाथ की तबीयत खराब होने पर 10 दिसंबर को उसे जेल के अस्पताल वार्ड में भर्ती कराया गया था. बुधवार की रात स्थिति खराब होने पर उसे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया.

कैदी की मौत

बीडीओ ने की कागजी कार्रवाई
वहीं, कैदी की मौत के काफी देर बाद बेतिया बीडीओ बसंत कुमार सिंह अस्पताल पहुंचे. कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद मृत कैदी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. पोस्टमार्टम के बाद शव को रघुनाथ के परिजनों के हवाले कर दिया गया.

यह भी पढ़ें- दिल्ली अग्निकांड के मृतक दरभंगा के अखलाक को किया गया सुपुर्द-ए-खाक, गांव में पसरा मातम

बेतिया: 2002 में भूमि विवाद में हत्या के एक मामले में मंडल कारा में बंद 80 वर्षीय रघुनाथ रावत की गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई. मृतक कैदी शिकारपुर थाना क्षेत्र के रोआरी नूनिया टोला का रहने वाला था, जिसने बुधवार को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में दम तोड़ दिया.

क्या है पूरा मामला?
मृतक कैदी 29 नवंबर से मंडलकारा में बंद था. वहीं, 4 दिसंबर को कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मंडलकारा के डिप्टी सुपरिटेंडेंट संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि रघुनाथ की तबीयत खराब होने पर 10 दिसंबर को उसे जेल के अस्पताल वार्ड में भर्ती कराया गया था. बुधवार की रात स्थिति खराब होने पर उसे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया.

कैदी की मौत

बीडीओ ने की कागजी कार्रवाई
वहीं, कैदी की मौत के काफी देर बाद बेतिया बीडीओ बसंत कुमार सिंह अस्पताल पहुंचे. कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद मृत कैदी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. पोस्टमार्टम के बाद शव को रघुनाथ के परिजनों के हवाले कर दिया गया.

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Intro:एंकर----- साल 2002 में भूमि विवाद में हुए एक हत्या के मामले में मंडल कारा में बंद सजायाफ्ता कैदी रघुनाथ रावत 80 वर्ष की गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई है, शिकारपुर थाना क्षेत्र के रोआरी नूनिया टोला निवासी रघुनाथ अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बुधवार की रात्रि दम तोड़ दिया, 29 नवंबर 2019 से वह मंडलकारा में बंद था, 4 दिसंबर 2019 को कोर्ट से उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, मंडलकारा के डिप्टी सुपरिटेंडेंट संजय कुमार गुप्ता की मानें तो रघुनाथ की तबीयत खराब होने पर 10 दिसंबर को उसे जेल के अस्पताल वार्ड में भर्ती कराया गया था। बुधवार की रात्रि साढ़े 10 बजे उसकी स्थिति खराब होने पर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भेजा गया था। जहां रात्रि 11:30 बजे उसकी मौत हो गई।
Body:वहीं कैदी की मौत के काफी देर बाद बेतिया बीडीओ बसंत कुमार सिंह अस्पताल पहुंचे, कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद दोपहर 3 बजे मृत कैदी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जहां पोस्टमार्टम के बाद शव को रघुनाथ के परिजनों के हवाले कर दिया गया, रघुनाथ के दो पुत्र और तीन पुत्रियां है, मौत की सूचना मिलते ही उसके घर में कोहराम मच गया है।

Conclusion:बताया जा रहा है कि आजीवन कारावास की सजा के बाद रघुनाथ काफी शिथिल हो गया था, रघुनाथ के दामाद गौनाहा के निर्मल कुमार चौधरी ने बताया कि पिछले शुक्रवार को वे अपने ससुर से जेल में भेट किए थे, उस समय उनकी स्वास्थ्य काफी सड़क खराब थी, शारीरिक रूप से काफी कमजोर दिख रहे थे, उन्हें आवाज कम सुनाई पड़ रही थी,जेल के कर्मियों ने बताया कि आजीवन कारावास की सजा सुनने के बाद से रघुनाथ काफी शिथिल हो गया था वह किसी से मिलता जुलता नहीं था।


बाइट- निर्मल कुमार चौधरी, मृतक के दमाद

बाइट- रामायण राउत, मृतक का बेटा
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