बेतिया : पश्चिम चंपारण जिले के चनपटिया प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय गोविनापुर के प्रधानाध्यापक विपिन कुमार यादव पर मिड-डे-मील (एमडीएम) में गड़बड़ी का आरोप लगा है. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रारंभिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा अभियान पश्चिमी चंपारण मनीष कुमार सिंह के कार्यालय स्तर से निर्गत पत्र में प्रधानाध्यापक की करतूतों का मामला प्रकाश में आया है. जिसमें बच्चों के निवाले के नाम पर लूट की बात सामने आई है. हैरानी की बात ये है कि अब तक प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई नहीं हुई है और न ही अभी तक हेडमास्टर की ओर से कोई विभागीय स्पष्टीकरण देने के जानकारी मिल रही है.
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निरीक्षण में मिली अनियमितता : जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रारंभिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा अभियान मनीष कुमार सिंह के द्वारा निर्गत पत्र में निरीक्षण के दौरान दिए गए लेटर में लिखा है कि ''विद्यालय में कुल छात्र-छात्राओं का नामांकन 813 है. जबकि विद्यालय की वास्तविक उपस्थित 305 हैं. लेकिन उपस्थिति पंजी में 551 दर्शाई गई है. इस प्रकार विद्यालय नामांकन की इस स्थिति से स्पष्ट है कि प्रधानाध्यापक द्वारा प्रतिदिन 50 प्रतिशत से अधिक नामांकन जान बूझकर दिखाया जा रहा है. जबकि उनके विद्यालय में 37 प्रतिशत उपस्थिति पाई गई है. नामांकन पंजी में 242 बच्चों का अनधिकृत रूप से उपस्थित दर्ज करना प्रधानमंत्री पोषण योजना कार्यक्रम में राशि के गबन को दर्शाता है.''
जिला प्रोग्राम अधिकारी के पत्र से खुलासा : डीपीओ के पत्र में यहाँ तक स्पष्ट है कि विद्यालय में उनके द्वारा संधारित दैनिक पंजी एवं छात्रोंपस्थिति पंजी को देखने से स्पष्ट है कि विद्यालय में 15 दिनों में औसत उपस्थिति 640 दर्ज की गई है. ऐसे में आंकड़ों पर ध्यान दें तो प्रधानाध्यापक के द्वारा 300 से 350 बच्चों की उपस्थिति फर्जी तरीके से बनाकर भारी गबन का आरोप लगाया जा रहा है. वहीं पत्र में प्रधानाध्यापक द्वारा बताया गया कि एमडीएम पंजी घर पर है, जो कि विभागीय नियम के प्रतिकूल है.
हाजिरी रजिस्टर में हेर-फेर करके MDM गबन का खेल : इससे यह भी स्पष्ट है कि प्रधानाध्यापक अपने अनुकूल एमडीएम पंजी को अपडेट करते होंगे. वहीं, इस पत्र से यह भी पता चलता है कि प्रधानाध्यापक विपिन कुमार यादव के पास एक और विद्यालय मध्य विद्यालय बृजवनिया का भी प्रभार है. वहां भी सरकारी राशि गबन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. डीपीओ के द्वारा पत्र में यह भी दर्शाया गया है कि जांच के दौरान मध्य विद्यालय गोविनापुर में मध्य विद्यालय बृजवनिया का पोषाहार पंजी पाया गया. इससे ज्ञात होता है कि उक्त विद्यालय का वित्तीय प्रभार उनके पास है. जबकि उक्त विद्यालय के पंजी को इस विद्यालय में लाकर रखना विभागीय नियम के विरुद्ध है.
1 महीने से पंजी अपडेट नहीं : पंजी के अवलोकन से ज्ञात होता है कि पोषाहार पंजी में जुलाई महीने के बाद कोई अपडेट नहीं हुआ है. लगभग 1 महीने से पोषाहार पंजी अपडेट नहीं किया जाना वित्तीय कदाचार उलंघन हैं. प्रथम दृष्टया मध्याह्न भोजन में राशि के गबन को दर्शाता है. आंकड़ों के माध्यम से देखा जाए तो सरकार द्वारा वर्ग 1 से 5 के छात्रों को भोजन मद 100 ग्राम चावल और 6 से 8 वर्ग के छात्रों को 150 ग्राम चावल दिया जाता है. बाकी सामग्री के मद में 1 से 5 वर्ग के छात्रों पर खाने में 5 रुपए 45 पैसा और 6 से 8 वर्ग के छात्रों पर 8 रुपए 17 पैसा दिया जाता है.
बच्चों का निवाला खा रहे जिम्मेदार : इन आंकड़ों को जोड़ा जाए तो वर्ग 1 से 5 तक के बच्चों पर प्रतिदिन लगभग 200 रुपए खर्च होते हैं. तो वहीं वर्ग 6 से आठ वर्ग तक में 1675 रुपए लगभग खर्च किए जाते हैं. औसतन जोड़ा जाए तो 1 दिन का 1800 से 1900 रुपया है. यदि आंकड़ों पर गौर किया जाए तो महीने में 20 दिन भी अगर विद्यालय चलता है तो करीब 30 से 35 हजार रुपए लगभग गबन एवं चावल का प्रति माह लगभग 7 क्विंटल गबन किया जाता है. यह आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता है.
क्या कहते हैं अधिकारी : जब इस मामले में पश्चिमी चंपारण जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ''डीपीओ के द्वारा जांच किया गया है. अभी अनुशंसा के लिए मेरे पास कोई पत्र नहीं आया है. जब अनुशंसा के लिए मेरे पास पत्र आएगा तो आवश्य कार्रवाई की जाएगी.''
नहीं मिला हेटमास्टर का स्पष्टीकरण? : चनपटिया प्रखंड के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) मनीष कुमार सिंह से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि ''अभी मैंने देखा नहीं है कि प्रधानाध्यापक के द्वारा स्पष्टीकरण दिया गया है या नहीं. उनके द्वारा अगर स्पष्टीकरण दे दिया गया होगा तो अनुशंसा के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास पत्र भेजा जाएगा. उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.''
10 दिन बात भी कार्रवाई नहीं : बहरहाल जो भी हो यह लेटर 2 सितंबर को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) मनीष कुमार सिंह के द्वारा निर्गत किया गया है. आज 10 दिन गुजर जाने के बावजूद भी अभी तक अधिकारियों के द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं मिलना. इससे स्पष्ट है कि सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री पोषण योजना में भारी गबन हुआ हैं. यदि जांच सही से की जाए तो पूरे जिले में सैकड़ों ऐसे विद्यालय मिल जाएंगे जहां बच्चों का निवाला खाने वालों की कमी नहीं है. गबन के इस खेल में अभी कई चेहरे बेनकाब होंगे. अब देखने वाली बात है कि ऐसे भ्रष्ट प्रधानाध्यापक पर विभाग कितनी जल्दी कार्रवाई करता है.