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Covid-19 Vaccination In Bihar: टारगेट पूरा करने के लिए नाबालिग बच्चों को कर रहे Target

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के एक से एक कारनामे सामने आ रहे हैं. कभी कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा (fraud in name of corona investigation) सामने आता है तो कभी बगैहर वैक्सीन लिए ही सर्टीफिकेट जारी हो जाता है. कुछ ऐसा ही मामला पश्चिम चंपारण में देखने को मिला है. यहां टारगेट पूरा करने के लिए नाबालिगों को ही कोरोना का टीका लगा दिया गया है. इससे एक बच्ची की तबीयत बिगड़ गयी है. पढ़ें पूरी खबर.

पश्चिम चंपारण में नाबालिगों को कोरोना का टीका
पश्चिम चंपारण में नाबालिगों को कोरोना का टीका
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Published : Jan 24, 2022, 8:10 AM IST

बगहा: पश्चिम चंपारण जिले के रामनगर (Ramnagar in West Champaran district) में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही (negligence of health department) सामने आई है. टार्गेट पूरा करने के उद्देश्य से दर्जनों नाबालिगों को कोविड का टीका (corona vaccine to minors in West Champaran) लगा दिया गया है. इसके बाद एक बच्ची की तबीयत बिगड़ गई है. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बच्ची के परिजनों ने इस मामले की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. बच्ची की पहचान 14 साल की काजल कुमारी के रूप मे हुई है.

सूबे में 15 से 18 वर्ष के बच्चों का कोविड वैक्सीनेशन अभियान (Children's covid vaccination campaign) चल रहा है. इसी क्रम में टारगेट पूरा करने के उद्देश्य से बगहा के रामनगर में स्वास्थ्य विभाग का एक बड़ा खेल सामने आया है. दरअसल, रामनगर के महुआ गांव में 15 साल से कम उम्र के दर्जनों बच्चों को कोरोना का टीका लगा दिया गया है. इसमें एक बच्ची की तबीयत काफी बिगड़ गई है. बीती शाम से ही बच्ची के परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल है.

पश्चिम चंपारण में नाबालिगों को कोरोना का टीका

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यह सूचना के बाद पीएचसी के कर्मचारी हरकत में आए. बच्ची के घर पहुंचकर उसका ब्लड सैंपल लिया गया. अब स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से इसकी जांच करा रहा है. पूरा मामला रामनगर थाना क्षेत्र के महुई पंचायत का है. बताया जा रहा है कि बीते दिनों टारगेट पूरा करने के चक्कर मे स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा आनन-फानन में काजल समेत दर्जनों बच्चों को कोरोना का वैक्सीन लगाया गया था. फिर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी इस गलती को छिपाने का बढ़िया तरीका खोज लिया.

स्वास्थ्यकर्मियों ने उस बच्ची के आधार कार्ड में अंकित जन्म वर्ष 2008 को ही बदल दिया. जिससे उसकी उम्र कम हो गई है. उसके बदले स्वास्थ्य विभाग के रजिस्टर में 2007 लिखकर मामलें को भी रफा दफा कर दिया गया है. हालांकि रामनगर पीएचसी प्रभारी डॉ. चंद्रभूषण ने ऑफ द रिकॉर्ड बताया कि बच्ची को बुखार है. प्राथमिक उपचार कर दवा दी गयी है.

ये भी पढ़ें: बेतिया: नाव हादसे में अब तक 2 शव बरामद, तीन अभी भी लापता, रेस्क्यू जारी

दूसरी ओर बच्ची के परिजन और मुखिया इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला बता रहे हैं. वे इस मामले में जांच और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से आगे इस मामले में क्या कार्रवाई की जाती है. फिलहाल कोई कैमरे के सामने बोलना नहीं चाहता है.

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बगहा: पश्चिम चंपारण जिले के रामनगर (Ramnagar in West Champaran district) में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही (negligence of health department) सामने आई है. टार्गेट पूरा करने के उद्देश्य से दर्जनों नाबालिगों को कोविड का टीका (corona vaccine to minors in West Champaran) लगा दिया गया है. इसके बाद एक बच्ची की तबीयत बिगड़ गई है. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बच्ची के परिजनों ने इस मामले की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. बच्ची की पहचान 14 साल की काजल कुमारी के रूप मे हुई है.

सूबे में 15 से 18 वर्ष के बच्चों का कोविड वैक्सीनेशन अभियान (Children's covid vaccination campaign) चल रहा है. इसी क्रम में टारगेट पूरा करने के उद्देश्य से बगहा के रामनगर में स्वास्थ्य विभाग का एक बड़ा खेल सामने आया है. दरअसल, रामनगर के महुआ गांव में 15 साल से कम उम्र के दर्जनों बच्चों को कोरोना का टीका लगा दिया गया है. इसमें एक बच्ची की तबीयत काफी बिगड़ गई है. बीती शाम से ही बच्ची के परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल है.

पश्चिम चंपारण में नाबालिगों को कोरोना का टीका

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यह सूचना के बाद पीएचसी के कर्मचारी हरकत में आए. बच्ची के घर पहुंचकर उसका ब्लड सैंपल लिया गया. अब स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से इसकी जांच करा रहा है. पूरा मामला रामनगर थाना क्षेत्र के महुई पंचायत का है. बताया जा रहा है कि बीते दिनों टारगेट पूरा करने के चक्कर मे स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा आनन-फानन में काजल समेत दर्जनों बच्चों को कोरोना का वैक्सीन लगाया गया था. फिर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी इस गलती को छिपाने का बढ़िया तरीका खोज लिया.

स्वास्थ्यकर्मियों ने उस बच्ची के आधार कार्ड में अंकित जन्म वर्ष 2008 को ही बदल दिया. जिससे उसकी उम्र कम हो गई है. उसके बदले स्वास्थ्य विभाग के रजिस्टर में 2007 लिखकर मामलें को भी रफा दफा कर दिया गया है. हालांकि रामनगर पीएचसी प्रभारी डॉ. चंद्रभूषण ने ऑफ द रिकॉर्ड बताया कि बच्ची को बुखार है. प्राथमिक उपचार कर दवा दी गयी है.

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दूसरी ओर बच्ची के परिजन और मुखिया इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला बता रहे हैं. वे इस मामले में जांच और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से आगे इस मामले में क्या कार्रवाई की जाती है. फिलहाल कोई कैमरे के सामने बोलना नहीं चाहता है.

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