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बेतिया: 15 सालों से बंद पड़ा है मथौली जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य

बेतिया में मथौली जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य पिछले 15 सालों से बंद पड़़ा हुआ है. इस परियोजना की देखरेख करने वाले गार्ड का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से निर्माण कार्य में लगी कंपनी को राशि उपलब्ध नहीं कराई गई, जिसकी वजह से काम बंद करना पड़ा.

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निर्माण कार्य बंद
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Published : Dec 15, 2019, 12:43 PM IST

बेतिया: जिला मुख्यालय से सटे संत घाट से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर अधूरे पड़े मथौली जल विद्युत परियोजना का काम पिछले 15 सालों से बंद पड़ा है. 2004 में जब इस परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, उस समय आसपास के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी. इस परियोजना का बंद होना सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर रहा है.

नई कंपनी को मिला जिम्मा
ग्रामीणों के अनुसार एक नई कंपनी को इस परियोजना का काम शुरू करने का जिम्मा दिया गया है. गांववालों को इस नई कंपनी से भी कोई उम्मीद नहीं है. उनलोगों का कहना है कि 15 सालों से यहां कोई न कोई आता रहता है, लेकिन निर्माण कार्य इसी तरह बंद पड़ा हुआ है.

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काम बंद होने की वजह से खराब हो रहे उपकरण

'राज्य सरकार की ओर से नहीं मिली राशि'
वहीं, 15 सालों से इस परियोजना की देखरेख करने वाले गार्ड रामबली महतो ने बताया कि इस परियोजना का काम पूरा करने फरीदाबाद की कंपनी आई थी. शुरुआत में कंपनी को राज्य सरकार की ओर से राशि उपलब्ध कराई गई. लेकिन, काम शुरू होने के बाद बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ. इसी वजह से कंपनी ने काम को रोक दिया. 15 सालों से काम बंद होने की वजह से कई उपकरण सड़ने लगे हैं.

पेश है रिपोर्ट

लोगों ने छोड़ी उम्मीद
बता दें कि पश्चिमी चंपारण जिले की इस जल विद्युत परियोजना से उत्पादित बिजली से आसपास के ग्रामीणों को काफी लाभ मिलने की संभावना थी. 15 साल से काम बंद रहने की वजह से लोगों ने उम्मीद भी छोड़ दी है. वहीं, सरकार पर इस मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ जहां सरकार प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश बनाने का ख्वाब देख रही है, वहीं दूसरी ओर यहां पर काम बंद होने की वजह से उपकरण सड़ रहे हैं.

यह भी देखें- राउर भाषा-राउर खबर, भोजपुरी में देखीं दिनभर के हाल

बेतिया: जिला मुख्यालय से सटे संत घाट से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर अधूरे पड़े मथौली जल विद्युत परियोजना का काम पिछले 15 सालों से बंद पड़ा है. 2004 में जब इस परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, उस समय आसपास के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी. इस परियोजना का बंद होना सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर रहा है.

नई कंपनी को मिला जिम्मा
ग्रामीणों के अनुसार एक नई कंपनी को इस परियोजना का काम शुरू करने का जिम्मा दिया गया है. गांववालों को इस नई कंपनी से भी कोई उम्मीद नहीं है. उनलोगों का कहना है कि 15 सालों से यहां कोई न कोई आता रहता है, लेकिन निर्माण कार्य इसी तरह बंद पड़ा हुआ है.

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काम बंद होने की वजह से खराब हो रहे उपकरण

'राज्य सरकार की ओर से नहीं मिली राशि'
वहीं, 15 सालों से इस परियोजना की देखरेख करने वाले गार्ड रामबली महतो ने बताया कि इस परियोजना का काम पूरा करने फरीदाबाद की कंपनी आई थी. शुरुआत में कंपनी को राज्य सरकार की ओर से राशि उपलब्ध कराई गई. लेकिन, काम शुरू होने के बाद बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ. इसी वजह से कंपनी ने काम को रोक दिया. 15 सालों से काम बंद होने की वजह से कई उपकरण सड़ने लगे हैं.

पेश है रिपोर्ट

लोगों ने छोड़ी उम्मीद
बता दें कि पश्चिमी चंपारण जिले की इस जल विद्युत परियोजना से उत्पादित बिजली से आसपास के ग्रामीणों को काफी लाभ मिलने की संभावना थी. 15 साल से काम बंद रहने की वजह से लोगों ने उम्मीद भी छोड़ दी है. वहीं, सरकार पर इस मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ जहां सरकार प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश बनाने का ख्वाब देख रही है, वहीं दूसरी ओर यहां पर काम बंद होने की वजह से उपकरण सड़ रहे हैं.

यह भी देखें- राउर भाषा-राउर खबर, भोजपुरी में देखीं दिनभर के हाल

Intro:बेतिया जिला मुख्यालय से सटे संत घाट से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर अधूरे पड़े मथौली जल विद्युत परियोजना अगर शुरू हो जाती तो आसपास के गांव की में रोशनी पहुंच थी, लेकिन 15 वर्षों से इस परियोजना का काम बंद पड़ा हुआ है, मथौली जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य जब शुरू हुआ था तो आसपास के क्षेत्रों में खुशी की लहर दौड़ गई थी,इसके पूरा हो जाने पर विद्युत आपूर्ति में काफी सुधार होता, लेकिन इतनी लागत के बावजूद यह परियोजना को बंद कर देना सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है, और इससे जिले के लोगों में काफी निराशा का माहौल है, लेकिन जिम्मेदार विभाग की लापरवाही के कारण यह परियोजना खुद उजाले की इंतजार कर रही है, कई सालों से बंद पड़ी इस परिजनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है और आज यह परियोजना मकड़जाल और झाड़ियों के बीच धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।


Body:ग्रामीणों की मानें तो फिर से दूसरी नई कंपनी ने इस परियोजना का काम शुरू करने जा रही है लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं कि काम पूरा हो पाएगा, उनका कहना है कि 15 वर्षों से कोई ना कोई आता ही रहता है और उम्मीद जगा कर चला जाता है और फिर अधूरे में ही काम बंद हो जाता है।

बाइट- नंदू महतो, ग्रामीण
बाइट- छोटेलाल पटेल, ग्रामीण


वही 15 वर्षों से इस परियोजना की देखरेख करने वाले गार्ड रामबली महतो का कहना है कि इस परियोजना का कार्य पूरा करने के लिए फरीदाबाद की कंपनी आई थी, कंपनी को शुरू में राज्य सरकार की ओर से राशि तो उपलब्ध कराई गई लेकिन जब काम शुरू हुआ तो शेष राशि कंपनी को उपलब्ध नहीं कराई गई, इसके बावजूद कंपनी ने काम शुरू किया उसके बाद भी राशि का भुगतान नहीं हुआ, तो निर्माण कंपनी को काम रोक देना पड़ा, 15 वर्षों से काम रोक दिए जाने एवं इसका देखभाल सही से नहीं होने के कारण कई उपकरण सड़ने लगे हैं ।

बाइट - रामबली महतो, गार्ड


Conclusion:इस जल विद्युत परियोजना से उत्पादित बिजली से आसपास के ग्रामीणों को लाभ मिलने की संभावना थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं, ऐसे में सवाल उठता है कि एक तरफ प्रदेश राज्य में लघु जल विद्युत परियोजना के माध्यम से राज्य को ऊर्जा प्रदेश बनाने का ख्वाब देख रहे हैं ताकि विद्युत ऊर्जा मिलने के साथ ही राज्य में पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचे, लेकिन सरकारी तंत्र की उपेक्षा सरकार के मंसूबों पर किस तरह पानी फिरती है इसका सबसे अच्छा उदाहरण मथौली जल विद्युत परियोजना के अलावा और क्या हो सकता है ।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत बेतिया
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