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Republic Day 2023: बगहा स्थित कांग्रेसी मंदिर, खुद में समेटे है स्वाधीनता संग्राम की कई यादें

देश आज 74 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है लेकिन जिला के बगहा में जिस मंदिर में आजादी की रणनीति तैयार की जाती थी, वह कांग्रेसी मंदिर आज अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. महात्मा गांधी, भगत सिंह और मंगल पांडे की यादों को समेटे यह कांग्रेसी मंदिर अब ध्वस्त होने के कगार पर है. पढ़ें पूरी खबर..

Republic Day 2023
Republic Day 2023
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Published : Jan 26, 2023, 3:43 PM IST

बगहा का कांग्रेसी मंदिर

बगहा: बिहार के बगहा में स्थित कांग्रेसी मंदिर (Congress temple in Bagaha ) आज गणतंत्र दिवस के दिन अचानक से प्रासंगिक हो गया है. देशभर में आजादी की धूम है, लेकिन चम्पारण के बगहा स्थित बनकटवा में ऐतिहासिक कांग्रेसी मंदिर अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आजादी के पहले जब चम्पारण में निलहों का दमन किया जा रहा था और अंग्रेज यहां नील की खेती कर किसानों व मजदूरों का शोषण कर रहे थे, तब पंडित राजकुमार शुक्ल व पंडित कमलनाथ तिवारी के बुलावे पर यहां महात्मा गांधी पहुंचे थे.

ये भी पढ़ेंः Republic Day: गया का मुस्लिम परिवार 4 पीढ़ियों से छाप रहे तिरंगे पर अशोक चक्र, जुनून है देशभक्ति

यहां बनती थी आजादी की लड़ाई की रणनीतिः यहीं से आजादी के कई रणबांकुरों के साथ इसी कांग्रेसी मंदिर में स्वाधीनता संग्राम की गाथा लिखी गई थी. उस वक्त चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडेय और भगत सिंह सरीखे फ्रीडम फाइटर्स यहां रहकर गुप्त रूप से बैठक कर आजादी की रणनीति तैयार करते थे. तब इस मंदिर में पूजा अर्चना और बैठकों का दौर चलता था और इसी कांग्रेसी मंदिर से तैयार रणनीति के बदौलत गोरों को चम्पारण ही नहीं बल्कि देश छोड़कर जाना पड़ा और हम आजाद हो गए, लेकिन आज यह ऐतिहासिक मंदिर जीर्ण शीर्ण होकर खंडहर में तब्दील हो गई है.

स्वतंत्रता सेनानियों के लिए था गुप्त पनाहगाहः आजादी के पूर्व यह कांग्रेसी शिव मंदिर एक तरफ जहां आस्था का केंद्र था. वहीं दूसरी तरफ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए गुप्त रूप से छुपकर अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति तैयार करने का शरणगाह, लेकिन ऐतिहासिक विरासत होने के बावजूद यह मंदिर आज खंडहर होकर बदहाल हो गई है और अतिक्रमण का भी शिकार हो गई है. देश में कई सरकारें बदली, लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर की ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया.

"कांग्रेसी मंदिर इसका नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम जब तेज हुआ है तो लोगों ने जगह-जगह बैठके शुरू की. ऐसी ही गुप्त मीटिंग यहां होती थी और अंग्रेजों को भगाने की रणनीति बनती थी. यहां के कुछ लोगों को यहां बैठक आयोजित की जिम्मेदारी दी गई थी. यहां भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी जैसे लोग भी आ चुके हैं" - छोटे लाल चौधरी, स्थानीय

मूल रूप से यह है भगवान शंकर का मंदिरः नगर पालिका परिषद बगहा के वार्ड नम्बर 21 स्थित बनकटवा आज शहरी क्षेत्र है ऐसे में शहरी विकास योजना के तहत इस ऐतिहासिक धरोहर का साइन बोर्ड तो लगा दिया गया है, लेकिन इसके कायाकल्प को लेकर स्थानीय स्तर पर भी नजरे इनायत नहीं कि गई है. लिहाजा बनकटवा स्थित कांग्रेसी मंदिर का वजूद अब खतरे में है. एक ओर देश में कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. वहीं कांग्रेसी मंदिर जो शिव मंदिर भी है. इसके जीर्णोद्धार को लेकर न तो किसी जनप्रतिनिधियों ने और न ही प्रशासन की ओर से कोई पहल की गई.

"वैसे तो यहां भगवान शंकर जी का मंदिर है, लेकिन यह कांग्रेसी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यहां स्वाधीनता संग्राम को लेकर स्वतंत्रता सेनानी गुप्त बैठक करते थे. यहां भगत सिंह, महात्मा गांधी जैसे महान लोग भी आकर रहे रहे हैं और बैठक कर रणनीतियां बनाई है" - उमेश गुप्ता, पूर्व वार्ड पार्षद

बगहा का कांग्रेसी मंदिर

बगहा: बिहार के बगहा में स्थित कांग्रेसी मंदिर (Congress temple in Bagaha ) आज गणतंत्र दिवस के दिन अचानक से प्रासंगिक हो गया है. देशभर में आजादी की धूम है, लेकिन चम्पारण के बगहा स्थित बनकटवा में ऐतिहासिक कांग्रेसी मंदिर अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आजादी के पहले जब चम्पारण में निलहों का दमन किया जा रहा था और अंग्रेज यहां नील की खेती कर किसानों व मजदूरों का शोषण कर रहे थे, तब पंडित राजकुमार शुक्ल व पंडित कमलनाथ तिवारी के बुलावे पर यहां महात्मा गांधी पहुंचे थे.

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यहां बनती थी आजादी की लड़ाई की रणनीतिः यहीं से आजादी के कई रणबांकुरों के साथ इसी कांग्रेसी मंदिर में स्वाधीनता संग्राम की गाथा लिखी गई थी. उस वक्त चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडेय और भगत सिंह सरीखे फ्रीडम फाइटर्स यहां रहकर गुप्त रूप से बैठक कर आजादी की रणनीति तैयार करते थे. तब इस मंदिर में पूजा अर्चना और बैठकों का दौर चलता था और इसी कांग्रेसी मंदिर से तैयार रणनीति के बदौलत गोरों को चम्पारण ही नहीं बल्कि देश छोड़कर जाना पड़ा और हम आजाद हो गए, लेकिन आज यह ऐतिहासिक मंदिर जीर्ण शीर्ण होकर खंडहर में तब्दील हो गई है.

स्वतंत्रता सेनानियों के लिए था गुप्त पनाहगाहः आजादी के पूर्व यह कांग्रेसी शिव मंदिर एक तरफ जहां आस्था का केंद्र था. वहीं दूसरी तरफ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए गुप्त रूप से छुपकर अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति तैयार करने का शरणगाह, लेकिन ऐतिहासिक विरासत होने के बावजूद यह मंदिर आज खंडहर होकर बदहाल हो गई है और अतिक्रमण का भी शिकार हो गई है. देश में कई सरकारें बदली, लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर की ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया.

"कांग्रेसी मंदिर इसका नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम जब तेज हुआ है तो लोगों ने जगह-जगह बैठके शुरू की. ऐसी ही गुप्त मीटिंग यहां होती थी और अंग्रेजों को भगाने की रणनीति बनती थी. यहां के कुछ लोगों को यहां बैठक आयोजित की जिम्मेदारी दी गई थी. यहां भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी जैसे लोग भी आ चुके हैं" - छोटे लाल चौधरी, स्थानीय

मूल रूप से यह है भगवान शंकर का मंदिरः नगर पालिका परिषद बगहा के वार्ड नम्बर 21 स्थित बनकटवा आज शहरी क्षेत्र है ऐसे में शहरी विकास योजना के तहत इस ऐतिहासिक धरोहर का साइन बोर्ड तो लगा दिया गया है, लेकिन इसके कायाकल्प को लेकर स्थानीय स्तर पर भी नजरे इनायत नहीं कि गई है. लिहाजा बनकटवा स्थित कांग्रेसी मंदिर का वजूद अब खतरे में है. एक ओर देश में कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. वहीं कांग्रेसी मंदिर जो शिव मंदिर भी है. इसके जीर्णोद्धार को लेकर न तो किसी जनप्रतिनिधियों ने और न ही प्रशासन की ओर से कोई पहल की गई.

"वैसे तो यहां भगवान शंकर जी का मंदिर है, लेकिन यह कांग्रेसी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यहां स्वाधीनता संग्राम को लेकर स्वतंत्रता सेनानी गुप्त बैठक करते थे. यहां भगत सिंह, महात्मा गांधी जैसे महान लोग भी आकर रहे रहे हैं और बैठक कर रणनीतियां बनाई है" - उमेश गुप्ता, पूर्व वार्ड पार्षद

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