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छठ पूजा पर महंगाई का असर: बांस की सूपली और दउरा की जगह पीतल के सामान खरीद रहे हैं लोग

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Published : Oct 27, 2022, 3:32 PM IST

छठ पूजा में बांस की दउरा व सुपली (Soupali and Daura in Chhath Puja) का विशेष महत्व होता है. पहले छठ पर्व पर बांस के सामान की बिक्री बहुत अधिक होती थी, लेकिन आजकल इसकी मांग घट रही है. कारीगर दउरा और सुपली बनाकर ग्राहक का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई ग्राहक आ नहीं रहा है. इनका कहना है कि इस बार दउरा और सुपली नहीं बिकने से उनकी माली हालत खराब हो गई है.

पूजन सामग्री
पूजन सामग्री

बेतियाः छठ पूजा (Chhath Puja 2022) में बांस की सुपली में पूजन सामग्री रखकर अ‌र्घ्य देने का विधान है. बांस को आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध माना जाता है. बदलते दौर में बांस से तैयार दउरा व सुपली गुजरे जमाने की चीज बन कर रह गयी है. बढ़ती मंहगायी के कारण बांस से निर्मित दउरा व सुपली का स्थान पीतल और लोहे की सुपली ने ले लिया. इसकी सबसे बड़ी वजह इनका टिकाऊ होना है. क्योंकि बांस से बनी इन सामग्रियों को हर साल खरीदना पड़ता है, वहीं पीतल से बनी सुपली एक बार खरीद लेने के बाद बार-बार प्रयोग की जा सकती है.

इसे भी पढ़ेंः छठ में लाह लहठी की बढ़ी डिमांड, मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा बनायी लहठी काे पहनती हैं सुहागिन

बांस के सामान का बाजार मंदाः बेतिया के नौरंगाबाद में बांस का दउरा और सुपली (Bamboo Soupli and Daura in Bettiah) बनाने वाले कारीगरों का बाजार मंदा है. कारीगरों का कहना है कि छठी मईया को अर्घ्य बांस के दउरा और सुपली से दिया जाता है. यहीं संस्कृति और परम्परा रही है, लेकिन आज व्रती लोग पीतल की सुपली और लोहे का दउरा खरीद रहे हैं. जिससे बांस का दउरा और सुपली कम बिक रहा है. उनका कहना है कि जो दउरा पांच सौ में बिकना चाहिए वो दो सौ में बिक रहा है.

इसे भी पढ़ेंः छठ की बहुत याद आ रही है, 'आना चाहते हैं बिहार लेकिन मजबूरी ने हमें रोक रखा है'


सुपली और दउरा की बिक्री घटीः छठ में मंहगाई का असर साफ साफ दिख रहा है. व्रती मंगाई के कारण बांस से बनी सुपली और दउरा नहीं खरीद रहे हैं. बाजार में एक दउरे की कीमत 500 से 600 रुपये हैं. ऐसे में छठ व्रती बांस के बने दउरा और सुपली नहीं खरीद रहे हैं. पीतल और लोहे के बने दउरा और सुपली खरीद रहे हैं. जिस कारण से बांस की सुपली और दउरे की बिक्री नहीं हो रही है. कारीगर जो पूंजी लगाए हैं उनका पैसा तक नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में उनकी हालत खराब हो गई है. उनका कहना है कि इस बार कैसे हमारा छठ व्रत बनेगा.

बेतियाः छठ पूजा (Chhath Puja 2022) में बांस की सुपली में पूजन सामग्री रखकर अ‌र्घ्य देने का विधान है. बांस को आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध माना जाता है. बदलते दौर में बांस से तैयार दउरा व सुपली गुजरे जमाने की चीज बन कर रह गयी है. बढ़ती मंहगायी के कारण बांस से निर्मित दउरा व सुपली का स्थान पीतल और लोहे की सुपली ने ले लिया. इसकी सबसे बड़ी वजह इनका टिकाऊ होना है. क्योंकि बांस से बनी इन सामग्रियों को हर साल खरीदना पड़ता है, वहीं पीतल से बनी सुपली एक बार खरीद लेने के बाद बार-बार प्रयोग की जा सकती है.

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बांस के सामान का बाजार मंदाः बेतिया के नौरंगाबाद में बांस का दउरा और सुपली (Bamboo Soupli and Daura in Bettiah) बनाने वाले कारीगरों का बाजार मंदा है. कारीगरों का कहना है कि छठी मईया को अर्घ्य बांस के दउरा और सुपली से दिया जाता है. यहीं संस्कृति और परम्परा रही है, लेकिन आज व्रती लोग पीतल की सुपली और लोहे का दउरा खरीद रहे हैं. जिससे बांस का दउरा और सुपली कम बिक रहा है. उनका कहना है कि जो दउरा पांच सौ में बिकना चाहिए वो दो सौ में बिक रहा है.

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सुपली और दउरा की बिक्री घटीः छठ में मंहगाई का असर साफ साफ दिख रहा है. व्रती मंगाई के कारण बांस से बनी सुपली और दउरा नहीं खरीद रहे हैं. बाजार में एक दउरे की कीमत 500 से 600 रुपये हैं. ऐसे में छठ व्रती बांस के बने दउरा और सुपली नहीं खरीद रहे हैं. पीतल और लोहे के बने दउरा और सुपली खरीद रहे हैं. जिस कारण से बांस की सुपली और दउरे की बिक्री नहीं हो रही है. कारीगर जो पूंजी लगाए हैं उनका पैसा तक नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में उनकी हालत खराब हो गई है. उनका कहना है कि इस बार कैसे हमारा छठ व्रत बनेगा.

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