बगहा: बिहार के महापर्व छठ की गूंज अब देश के साथ साथ विदेशों तक पहुंच गई है. दुनियाभर में छठ की छटा दिख रही है. इंडो-नेपाल सीमा पर पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी धूमधाम से छठ पूजा कर रहे हैं. हिमालय की पहाड़ी से निकली नारायणी गण्डक नदी के संगम तट पर एक तरफ नेपाल के छठ व्रती तो दूसरी तरफ भारतीय छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया.
बगहा में 21 घाट बनाये गये: इंडो नेपाल सीमा से लेकर गांव और शहर हर जगह माहौल भक्तिमय है. बगहा शहर की बात करें तो यहां 21 छठ घाट बनाए गए हैं. जिसमें दर्जनों घाट खतरनाक घोषित किये गये हैं. इन घाटों पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. साथ ही कई छठ घाटों पर ड्रोन कैमरे व सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही है. एसडीआरएफ के साथ प्रशासन की टीम लगातार गंडक नदी में पेट्रोलिंग कर रही है.
तराई क्षेत्र के नेपाली भी छठ करते हैंः बता दें कि आज महापर्व के तीसरे दिन रविवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. सोमवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके साथ ही लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का समापन होगा. नेपाल की छठ व्रती प्रीति बताती हैं कि वह छठ करने के लिए काठमांडू से अपने मायके त्रिवेणी आई हैं. यह महापर्व पहले हिंदू और मधेसी नेपालियों तक सीमित था. लेकिन अब तराई क्षेत्र के नेपाली लोग भी छठ कर अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं.
छठ गीत गुनगुनाना अच्छा लगता है: सोनी थापा ने बताया कि छठ महापर्व काफी पवित्र पर्व है. काफी पहले से इंडो नेपाल बॉर्डर पर छठ पर्व मनाया जाता है. चार दिवसीय इस पर्व को अब मधेसी समेत नेपाली भी पूरे उत्साह से मनाते हैं. ठेकुआ प्रसाद का काफी महत्व होता है. डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर लोग अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते हैं. सोनी ने बताया कि उसे छठ के गीत काफी अच्छे लगते हैं. वो इसे घर में हमेशा गुनगुनाती रहती हैं.
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