बेतिया: स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के लिए सीबीएसई बोर्ड ने समय-समय पर कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. लेकिन इसका प्रभाव केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गया है. शहर में दर्जनों ऐसे प्राइवेट स्कूल है, जहां सीबीएसई ने जो पाठ्यक्रम निर्धारित किया है, उसकी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है सीधा प्रभाव
प्राइवेट स्कूल में आज भी बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कई गुना अधिक भारी बस्ते लेकर जा रहे हैं. इससे बैग का वजन अधिक हो जाता है. जिसकी वजह से बच्चे हाफने लगते हैं. यही कारण है कि रोजाना स्कूल तक छोड़ने बच्चों के माता-पिता को जाना पड़ता है. यह किसी एक बच्चे की कहानी नहीं हैं. यह स्कूल में पढ़ने वाले हजारों बच्चों की कहानी है, जो भारी-भरकम बैग उठाने को विवश हैं. लेकिन इस पर ना तो शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है और ना ही स्कूल प्रबंधक. लेकिन इस भारी-भरकम बस्ते का सीधा प्रभाव छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है.
हड्डी संबंधित बीमारी के शिकार हो जाते हैं बच्चे
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश कुमार बताते हैं कि कम उम्र में ज्यादा वजन उठाने से बच्चों के कंधे पर बुरा असर पड़ता है. जिसकी वजह से बच्चे हमेशा आगे की तरफ झुके रहते हैं. इसकी वजह से बच्चे हड्डी संबंधित बीमारी के शिकार हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस पर स्कूल प्रबंधक को विचार करना चाहिए. वहीं स्कूल प्रशासन अपनी-अपनी पसंद के अनुरूप अलग-अलग प्रकाशन की महंगी किताबें लागू करते हैं, और मोटी रकम कमीशन के रूप में हर साल डिमांड करते हैं. लेकिन इसका सीधा प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.