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स्कूल के बस्ते के बोझ से हांफ रहे बच्चे, सेहत पर पड़ रहा है बुरा प्रभाव

हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश कुमार बताते हैं कि कम उम्र से ज्यादा वजन उठाने वाले बच्चों के कांधे पर बुरा असर पड़ता है. जिसकी वजह से बच्चे हमेशा आगे की तरफ झुके रहते हैं

स्कूल के बस्ते के बोझ से हाफ रहे बच्चे
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Published : Aug 23, 2019, 10:33 AM IST

बेतिया: स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के लिए सीबीएसई बोर्ड ने समय-समय पर कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. लेकिन इसका प्रभाव केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गया है. शहर में दर्जनों ऐसे प्राइवेट स्कूल है, जहां सीबीएसई ने जो पाठ्यक्रम निर्धारित किया है, उसकी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

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बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ा रहा है प्रभाव


बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है सीधा प्रभाव
प्राइवेट स्कूल में आज भी बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कई गुना अधिक भारी बस्ते लेकर जा रहे हैं. इससे बैग का वजन अधिक हो जाता है. जिसकी वजह से बच्चे हाफने लगते हैं. यही कारण है कि रोजाना स्कूल तक छोड़ने बच्चों के माता-पिता को जाना पड़ता है. यह किसी एक बच्चे की कहानी नहीं हैं. यह स्कूल में पढ़ने वाले हजारों बच्चों की कहानी है, जो भारी-भरकम बैग उठाने को विवश हैं. लेकिन इस पर ना तो शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है और ना ही स्कूल प्रबंधक. लेकिन इस भारी-भरकम बस्ते का सीधा प्रभाव छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है.

स्कूल के बस्ते के बोझ से हाफ रहे बच्चे


हड्डी संबंधित बीमारी के शिकार हो जाते हैं बच्चे
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश कुमार बताते हैं कि कम उम्र में ज्यादा वजन उठाने से बच्चों के कंधे पर बुरा असर पड़ता है. जिसकी वजह से बच्चे हमेशा आगे की तरफ झुके रहते हैं. इसकी वजह से बच्चे हड्डी संबंधित बीमारी के शिकार हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस पर स्कूल प्रबंधक को विचार करना चाहिए. वहीं स्कूल प्रशासन अपनी-अपनी पसंद के अनुरूप अलग-अलग प्रकाशन की महंगी किताबें लागू करते हैं, और मोटी रकम कमीशन के रूप में हर साल डिमांड करते हैं. लेकिन इसका सीधा प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.

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स्कूल जाते बच्चे

बेतिया: स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के लिए सीबीएसई बोर्ड ने समय-समय पर कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. लेकिन इसका प्रभाव केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गया है. शहर में दर्जनों ऐसे प्राइवेट स्कूल है, जहां सीबीएसई ने जो पाठ्यक्रम निर्धारित किया है, उसकी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

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बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ा रहा है प्रभाव


बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है सीधा प्रभाव
प्राइवेट स्कूल में आज भी बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कई गुना अधिक भारी बस्ते लेकर जा रहे हैं. इससे बैग का वजन अधिक हो जाता है. जिसकी वजह से बच्चे हाफने लगते हैं. यही कारण है कि रोजाना स्कूल तक छोड़ने बच्चों के माता-पिता को जाना पड़ता है. यह किसी एक बच्चे की कहानी नहीं हैं. यह स्कूल में पढ़ने वाले हजारों बच्चों की कहानी है, जो भारी-भरकम बैग उठाने को विवश हैं. लेकिन इस पर ना तो शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है और ना ही स्कूल प्रबंधक. लेकिन इस भारी-भरकम बस्ते का सीधा प्रभाव छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है.

स्कूल के बस्ते के बोझ से हाफ रहे बच्चे


हड्डी संबंधित बीमारी के शिकार हो जाते हैं बच्चे
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश कुमार बताते हैं कि कम उम्र में ज्यादा वजन उठाने से बच्चों के कंधे पर बुरा असर पड़ता है. जिसकी वजह से बच्चे हमेशा आगे की तरफ झुके रहते हैं. इसकी वजह से बच्चे हड्डी संबंधित बीमारी के शिकार हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस पर स्कूल प्रबंधक को विचार करना चाहिए. वहीं स्कूल प्रशासन अपनी-अपनी पसंद के अनुरूप अलग-अलग प्रकाशन की महंगी किताबें लागू करते हैं, और मोटी रकम कमीशन के रूप में हर साल डिमांड करते हैं. लेकिन इसका सीधा प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.

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स्कूल जाते बच्चे
Intro:बेतिया: स्कूल के बस्ते के बोझ से हाफ रहे बच्चे, नर्सरी, केजी, वन, टू की कक्षाओं का पुस्तक सिलेबस से अधिक, बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ा है इसका प्रभाव।


Body: स्कूल में छोटे-छोटे कक्षाओं के बस्ते का बोझ कम करने के लिए सीबीएसई बोर्ड द्वारा समय-समय पर कई दिशा-निर्देश जारी किए गए जाते हैं, लेकिन इसका प्रभाव केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गया है, शहर में दर्जनों ऐसे नीजि विद्यालय हैं जहां सीबीएसई द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम और नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, वहीं निजी विद्यालय में आज भी भारी भरकम बस्ते के साथ बच्चे उम्र के हिसाब से कई गुना अधिक लेकर जा रहे हैं। इससे बैग का वजन अधिक हो जाता है, उस स्कूल बैग उठा कर चलने से बच्चे हाफ जाते हैं, यही कारण है कि रोजाना स्कूल तक छोड़ने बच्चों के माता-पिता को जाना पड़ता है। यह किसी एक बच्चे की कहानी नहीं हैं, स्कूल में पढ़ने वाले हजारों बच्चों की हैं। जो भारी-भरकम बैग उठाने को विवश हो रहे हैं।लेकिन इस पर ना तो शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है और ना ही स्कूल प्रबंधक, लेकिन इस भारी-भरकम बस्ते का सीधा प्रभाव छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश कुमार ने कहा कि कम उम्र से ज्यादा वजन उठाने वाले बच्चों के कांधे पर बुरा असर पड़ता है और बच्चे हमेशा आगे की तरफ झुके रहते हैं, जिस कारण बच्चे हड्डी संबंधित बीमारी के शिकार हो जाते हैं, इस पर स्कूल प्रबंधक को भी विचार करना चाहिए।

बाइट- डॉ उमेश कुमार, हड्डी रोग विशेषज्ञ


Conclusion:स्कूल प्रशासन अपनी अपनी पसंद के अनुरूप अलग-अलग प्रकाशन की महंगी किताबें लागू करते हैं और मोटी रकम कमीशन के रूप में हर साल डिमांड करते हैं ,लेकिन इसका सीधा प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, यह एक सोचने वाली बात है कि आखिर छोटे-छोटे बच्चे पर इतना बोझ क्यों?

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत, बेतिया
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