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स्वास्थ्य विभाग को आइना, इस अस्पताल की सुविधाएं देख आप भी हो जाएंगे हैरान

अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. साथ ही जन्मजात बच्चों के लिए ऑक्सीजन के साथ-साथ अन्य उपकरण भी लगे हैं. यही वजह है कि यहां आने वाले मरीज पूरी तरह से संतुष्ट होकर जाते हैं.

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Published : Dec 17, 2019, 3:30 AM IST

बेतिया: बगहा अनुमंडल का सरकारी अस्पताल स्वास्थ्य विभाग को आइना दिखाने का काम कर रहा है. यहां कर्मियों की कमी होने के बावजूद बेहतर चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है. बिहार-यूपी की सीमा पर स्थित ठकराहा प्रखण्ड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व्यवस्थाओं के मामले में किसी भी प्राइवेट अस्पताल से कम नहीं है. यहां उपलब्ध तमाम सुविधाएं इसको अन्य सरकारी अस्पतालों की तुलना में सबसे अलग बनाती हैं.

चमकता रहता है अस्पताल
बता दें कि प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की हालत किसी से छिपी नहीं है. बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. इसके बावजूद जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठकराहा के इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में निजी अस्पतालों को टक्कर दे रहा है. इस अस्पताल में वो तमाम सुविधाएं मौजूद हैं. जो शायद ही जिले के किसी अस्पताल में देखने को ना मिलें. इस अस्पताल में साफ-सुथरा वेटिंग रूम, दवा की बेहतर उपलब्धता है. खास बात तो यह है कि यह सरकारी अस्पताल अन्य अस्पतालों की तुलना में ज्यादा साफ रहता है.

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अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा

सीसीटीव कैमरों से लैस है अस्पताल
बता दें कि यह अस्पताल पूरी तरह सीसीटीवी कैमरों से लैस है. साथ ही जन्मजात बच्चों के लिए ऑक्सीजन के साथ ही अन्य उपकरण भी लगे हुए हैं. यही वजह है कि यहां आने वाले मरीज पूरी तरह से संतुष्ट होकर जाते हैं. मरीजों का कहना है कि अस्पताल में बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं.

पेश है रिपोर्ट

अस्पताल में कर्मियों की भारी कमी
बता दें कि तमाम सुविधाओं से लैस होने के बावजूद भी इस अस्पताल में कर्मियों की भारी कमी है. चिकित्सकों का कहना है कि अस्पताल में ना तो कंपाउंडर हैं और ना ही ड्रेसर और नर्स हैं. चिकित्सकों का कहना है कि सर्जिकल कार्य एएनएम और एम्बुलेंस पर रहने वाले कर्मियों से कराते हैं, जिनके पास कोई सर्टिफिकेट नहीं है.

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स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस अस्पताल

अवधि समाप्त होने के बाद भी इलाज कर रहे डॉक्टर
इस अस्पताल के दो चिकित्सकों में एक चिकित्सक संविदा पर बहाल है, जिनकी संविदा अवधि भी समाप्त हो चुकी है. इसके बावजूद भी जनभावना और सेवा विस्तार की आस लगाकर अपनी सेवा लगातार जारी रखे हैं. संविदा पर बहाल चिकित्सक कृष्णा नंद वर्मा का कहना है कि एक साल पहले ही उनकी सेवा समाप्त हो गई है. इसके बाद विभागीय अधिकारियों को सेवा विस्तार संबंधित पत्र अनेकों बार लिखा गया है, लेकिन विभाग ने अब तक कोई सुनवाई नहीं की है.

बेतिया: बगहा अनुमंडल का सरकारी अस्पताल स्वास्थ्य विभाग को आइना दिखाने का काम कर रहा है. यहां कर्मियों की कमी होने के बावजूद बेहतर चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है. बिहार-यूपी की सीमा पर स्थित ठकराहा प्रखण्ड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व्यवस्थाओं के मामले में किसी भी प्राइवेट अस्पताल से कम नहीं है. यहां उपलब्ध तमाम सुविधाएं इसको अन्य सरकारी अस्पतालों की तुलना में सबसे अलग बनाती हैं.

चमकता रहता है अस्पताल
बता दें कि प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की हालत किसी से छिपी नहीं है. बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. इसके बावजूद जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठकराहा के इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में निजी अस्पतालों को टक्कर दे रहा है. इस अस्पताल में वो तमाम सुविधाएं मौजूद हैं. जो शायद ही जिले के किसी अस्पताल में देखने को ना मिलें. इस अस्पताल में साफ-सुथरा वेटिंग रूम, दवा की बेहतर उपलब्धता है. खास बात तो यह है कि यह सरकारी अस्पताल अन्य अस्पतालों की तुलना में ज्यादा साफ रहता है.

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अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा

सीसीटीव कैमरों से लैस है अस्पताल
बता दें कि यह अस्पताल पूरी तरह सीसीटीवी कैमरों से लैस है. साथ ही जन्मजात बच्चों के लिए ऑक्सीजन के साथ ही अन्य उपकरण भी लगे हुए हैं. यही वजह है कि यहां आने वाले मरीज पूरी तरह से संतुष्ट होकर जाते हैं. मरीजों का कहना है कि अस्पताल में बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं.

पेश है रिपोर्ट

अस्पताल में कर्मियों की भारी कमी
बता दें कि तमाम सुविधाओं से लैस होने के बावजूद भी इस अस्पताल में कर्मियों की भारी कमी है. चिकित्सकों का कहना है कि अस्पताल में ना तो कंपाउंडर हैं और ना ही ड्रेसर और नर्स हैं. चिकित्सकों का कहना है कि सर्जिकल कार्य एएनएम और एम्बुलेंस पर रहने वाले कर्मियों से कराते हैं, जिनके पास कोई सर्टिफिकेट नहीं है.

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स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस अस्पताल

अवधि समाप्त होने के बाद भी इलाज कर रहे डॉक्टर
इस अस्पताल के दो चिकित्सकों में एक चिकित्सक संविदा पर बहाल है, जिनकी संविदा अवधि भी समाप्त हो चुकी है. इसके बावजूद भी जनभावना और सेवा विस्तार की आस लगाकर अपनी सेवा लगातार जारी रखे हैं. संविदा पर बहाल चिकित्सक कृष्णा नंद वर्मा का कहना है कि एक साल पहले ही उनकी सेवा समाप्त हो गई है. इसके बाद विभागीय अधिकारियों को सेवा विस्तार संबंधित पत्र अनेकों बार लिखा गया है, लेकिन विभाग ने अब तक कोई सुनवाई नहीं की है.

Intro:बगहा अनुमंडल अंतर्गत गण्डक दियारा पार स्थित एक सरकारी अस्पताल कर्मियों की कमी के बावजूद बेहतर चिकित्सा व्यवस्था मुहैया करा रहा है। बिहार-यूपी सीमा पर अवस्थित ठकराहा प्रखण्ड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व्यवस्थाओं के मामले में किसी भी प्राइवेट अस्पताल से कम नही है। यहां उपलब्ध तमाम सुविधाएं इसको अन्य सरकारी अस्पतालों से बिल्कुल अलग करती है।


Body:बिहार में स्वास्थ्य महकमे की हालत किसी से छुपी नही है। सूबे की लचर सास्थ्य व्यवस्था पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं बावजूद इसके जिला का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठकराहा इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में निजी अस्पतालों को टक्कर दे रहा है। इस अस्पताल में वो तमाम सुविधाएं मौजूद हैं जो शायद ही जिले के किसी अस्पताल में देखने को मिले। इस अस्पताल में शानदार वेटिंग रूम, दवा की बेहतर उपलब्धता खासकर अस्पताल की साफ सफाई इसको अन्य अस्पतालों से काफी अलग थलग करता है। इतना ही नही अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे तो लगे ही हैं, जन्मजात बच्चो के लिए ऑक्सिजन के साथ साथ अन्य उपकरण भी लगे हैं। यही वजह है कि यहां आने वाले मरीज पूरी तरह से संतुष्ट होकर जाते हैं। मरीजो का कहना है कि पहले के वनिस्पत अब अस्पताल में बेहतर सुविधा मिल रही है।
तमाम सुविधाओं से लैश होने के बावजूद इस अस्पताल में कर्मियों की भारी कमी है। चिकित्सक का कहना है कि अस्पताल में न तो कंपाउंडर और ड्रेसर है, ना ही नर्स और महज दो चिकित्सको के भरोसे हमलोग बेहतर सुविधा देने को बाध्य हैं। उनका यह भी कहना है कि सर्जिकल कार्य एएनएम व एम्बुलेंस पर रहने वाले कर्मी से कराते हैं जिनके पास कोई सर्टिफिकेट नही है।
बाइट- नीलू देवी, मरीज का परिजन
बाइट- चिकित्सक
बाइट- कृष्णा नंद वर्मा, संविदा चिकित्सक लाल शर्ट में


Conclusion:यही नहीं दो चिकित्सको में एक चिकित्सक संविदा पर बहाल हैं जिनकी संविदा अवधि भी समाप्त हो चुकी है। बावजूद इसके जनभावना व सेवा विस्तार का आस लगाकर अपनी सेवा लगातार जारी रखे हैं। संविदा पर बहाल चिकित्सक कृष्णा नंद वर्मा का कहना है कि एक साल पहले ही उनकी सेवा समाप्त हो गई है जिसके बाद विभागीय अधिकारियों को सेवा विस्तार संबंधित पत्र अनेकों बार लिखा गया है लेकिन विभाग ने अब तक कोई सुनवाई नही की है।
ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद सरकारी अस्पताल कर्मियों की कमी से जूझते हुए भी अब तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराते आ रहा है जो कि अन्य सरकारी अस्पतालों के लिए एक मिसाल ही कहा जाएगा।
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