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Bagaha Flood : नेपाल में बारिश से पहाड़ी नदियों में उफान, जान हथेली पर लेकर नदी पार कर रहे लोग

नेपाल में बारिश से बगहा की नदियां उफनाई हुई है. नदी पर पुल नहीं होने के कारण लोगों का आना जाना प्रभावित है. लोग अपनी रोजमर्रा के कामों के लिए नदी पार कर आवागमन करते हैं, जिससे जान जाने की खतरा बनी रहती है. पढ़ें पूरी खबर...

नेपाल में बारिश से बगहा की नदियां उफनाई
नेपाल में बारिश से बगहा की नदियां उफनाई
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 27, 2023, 3:44 PM IST

नेपाल में बारिश से बगहा की नदियां उफनाई

बगहाः नेपाल की तराई क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के कारण पश्चिम चंपारण की पहाड़ी नदियां उफना गई है. लिहाजा मसान, द्वारदह, झिकरी और मनोर समेत अन्य नदियों का पानी इलाके में तबाही (flood in Bagaha) मचा रहा है. रामनगर प्रखंड के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे लोगों का जनजीवन प्रभावित हो गया है. लोग अपनी जान बचाने के लिए घरबार छोड़कर जा रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः Bihar Weather Update: 17 जिलों में बारिश का अलर्ट, 31 अगस्त तक मानसून सक्रिय.. नेपाल में बारिश से नदियों में उफान


बगहा में बाढ़ जैसे हालातः रामनगर के मंचगवा, पथरी, चुडीहरवा, डुमरी सहित कई गांवों में बाढ़ का पानी लोगों के घरों तक घुस गया है. इन सभी गांवों में आवागमन भी बाधित हो गया है. इलाके में तीन दिनों से लगतार हो रही बारीश के कारण भलुई, बलोर व मसान नदी समेत सभी पहाड़ी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. कई जगह मवेशियों के साथ लोग घरों में फंसे हुए हैं.

जान माल का नुकसानः इधर, वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के इलाके में भी बाढ़ का पानी जंगली जीव जंतुओं पर कहर बरपा रहा है. लोग जान की बाजी लगाकर मजबूरन दिनचर्या के कामों के लिए रस्सी व चचरी लगाकर पानी के तेज बहाव में आवाजाही कर रहे हैं. पहाड़ी नदियों का पानी कुछ समय के लिए होता है, लेकिन पानी की धारा इतनी तेज़ और भयावह होती है की गलती से इसकी चपेट में कोई आ गए तो जान माल का नुकसान हो सकता है. बाढ़ में घिरे लोग प्रशासन से राहत बचाव की मांग कर रहे हैं.

"हमलोग जान की बाजी लगाकर नदी पार करते हैं. आने जाने के लिए कोई साधन नहीं है. नदी पर पुल नहीं होने के कारण तीन नदी को पार कर जाना होता है. घर के लोग बीमार है. दवा लेने के लिए तीन नदी पार कर आ रहे हैं. मरने से बच गए, नहीं तो तेज धार में बह जाते." - मनोरंजन यादव, बाढ़ पीड़ित

20 से 22 मर्तबा मिलती है नदीः बता दें की वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल और पहाड़ के किनारे बसे आदिवासी बहुल इलाकों में एक ही पहाड़ी नदी 20 से 22 मर्तबा मिलती है. जिसका अलग अलग नाम है. जब किसी व्यक्ति को इलाज करवाना होता है तो इन पहाड़ी नदियों को 22 बार पार करना पड़ता है. इन नदियों पर पूल नहीं है, लिहाजा लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती है.

"पुल नहीं होने के कारण लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है. लोग जान पर खेलकर आवागमन करते हैं. बारिश की मौसम में नदी उफना जाती है, फिर भी पानी को पार कर जाने की मजबूरी है. नहीं जाएंगे तो घर में खाने के लाले पड़ जाएंगे." -रमेश मांझी, स्थानीय

नेपाल में बारिश से बगहा की नदियां उफनाई

बगहाः नेपाल की तराई क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के कारण पश्चिम चंपारण की पहाड़ी नदियां उफना गई है. लिहाजा मसान, द्वारदह, झिकरी और मनोर समेत अन्य नदियों का पानी इलाके में तबाही (flood in Bagaha) मचा रहा है. रामनगर प्रखंड के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे लोगों का जनजीवन प्रभावित हो गया है. लोग अपनी जान बचाने के लिए घरबार छोड़कर जा रहे हैं.

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बगहा में बाढ़ जैसे हालातः रामनगर के मंचगवा, पथरी, चुडीहरवा, डुमरी सहित कई गांवों में बाढ़ का पानी लोगों के घरों तक घुस गया है. इन सभी गांवों में आवागमन भी बाधित हो गया है. इलाके में तीन दिनों से लगतार हो रही बारीश के कारण भलुई, बलोर व मसान नदी समेत सभी पहाड़ी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. कई जगह मवेशियों के साथ लोग घरों में फंसे हुए हैं.

जान माल का नुकसानः इधर, वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के इलाके में भी बाढ़ का पानी जंगली जीव जंतुओं पर कहर बरपा रहा है. लोग जान की बाजी लगाकर मजबूरन दिनचर्या के कामों के लिए रस्सी व चचरी लगाकर पानी के तेज बहाव में आवाजाही कर रहे हैं. पहाड़ी नदियों का पानी कुछ समय के लिए होता है, लेकिन पानी की धारा इतनी तेज़ और भयावह होती है की गलती से इसकी चपेट में कोई आ गए तो जान माल का नुकसान हो सकता है. बाढ़ में घिरे लोग प्रशासन से राहत बचाव की मांग कर रहे हैं.

"हमलोग जान की बाजी लगाकर नदी पार करते हैं. आने जाने के लिए कोई साधन नहीं है. नदी पर पुल नहीं होने के कारण तीन नदी को पार कर जाना होता है. घर के लोग बीमार है. दवा लेने के लिए तीन नदी पार कर आ रहे हैं. मरने से बच गए, नहीं तो तेज धार में बह जाते." - मनोरंजन यादव, बाढ़ पीड़ित

20 से 22 मर्तबा मिलती है नदीः बता दें की वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल और पहाड़ के किनारे बसे आदिवासी बहुल इलाकों में एक ही पहाड़ी नदी 20 से 22 मर्तबा मिलती है. जिसका अलग अलग नाम है. जब किसी व्यक्ति को इलाज करवाना होता है तो इन पहाड़ी नदियों को 22 बार पार करना पड़ता है. इन नदियों पर पूल नहीं है, लिहाजा लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती है.

"पुल नहीं होने के कारण लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है. लोग जान पर खेलकर आवागमन करते हैं. बारिश की मौसम में नदी उफना जाती है, फिर भी पानी को पार कर जाने की मजबूरी है. नहीं जाएंगे तो घर में खाने के लाले पड़ जाएंगे." -रमेश मांझी, स्थानीय

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