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पश्चिमी चंपारण: गंडक के बढ़ते जलस्तर को लेकर प्रशासन सतर्क, 24 घंटे रखी जा रही है निगरानी

मालूम हो कि इंडो-नेपाल बॉर्डर स्थित गण्डक बराज से नदी में शनिवार को 2 लाख 8 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिस वजह से गण्डक नदी अपने ऊफान पर थी.

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Published : Jul 14, 2019, 5:09 PM IST

गण्डक नदी

पश्चिमी चंपारण: पूरा प्रदेश इन दिनों बाढ़ की स्थिति से जूझ रहा है. लगभग सभी नदियां ऊफान पर हैं. ऐसे में गण्डक नदी में बढ़ते जलस्तर के मद्देनजर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. कटाव से प्रभावित होने वाले संवेदनशील स्थानों पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है. वहीं, कुछ अति संवेदनशील स्थानों पर पैकेट स्टैकिंग का कार्य चल रहा है.

फिलहाल गण्डक नदी का वाटर लेवल काफी घटा है. लेकिन, अभियंता का कहना है कि यदि वाटर लेवल खतरे के निशान से ऊपर जाता है तो हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है.

जानकारी देते अभियंता

नेपाल में हो रही लगातार बारिश
मालूम हो कि इंडो-नेपाल बॉर्डर स्थित गण्डक बराज से गण्डक नदी में शनिवार को 2 लाख 8 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिस वजह से गण्डक नदी अपने ऊफान पर थी. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे थे कि यदि ऐसे ही हालात रहें तो गण्डक नदी खतरे के निशान को पार कर जाएगी. फिर बाढ़ और कटाव की स्थिति बन जाएगी.

जल संसाधन विभाग अभियंता ने दी जानकारी
बहरहाल गण्डक नदी का जल स्तर एक बार फिर 80 हजार क्यूसेक तक आ गया है. लेकिन, नेपाल में लगातार हो रही बारिश के कारण से आगे की स्थिति को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. जल संसाधन विभाग के अभियंता संजय कुमार प्रभाकर का कहना है कि स्टैकिंग कार्य कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में मैटेरियल तैयार है. साथ ही कटाव सम्भावित संवेदनशील क्षेत्रों पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है. खासकर मंगलपुर औसानी, मिर्जा टोली, दीनदयाल नगर, पुअर हॉउस पर विभाग के अधिकारियों की पैनी नजर है. यदि गण्डक नदी खतरे के निशान से ऊपर जाती है तो अलर्ट घोषित कर निचले इलाकों या नदी के किनारे बसे लोगों को ऊंचे स्थान पर शरण लेने के लिए भेज दिया जाएगा.

पश्चिमी चंपारण: पूरा प्रदेश इन दिनों बाढ़ की स्थिति से जूझ रहा है. लगभग सभी नदियां ऊफान पर हैं. ऐसे में गण्डक नदी में बढ़ते जलस्तर के मद्देनजर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. कटाव से प्रभावित होने वाले संवेदनशील स्थानों पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है. वहीं, कुछ अति संवेदनशील स्थानों पर पैकेट स्टैकिंग का कार्य चल रहा है.

फिलहाल गण्डक नदी का वाटर लेवल काफी घटा है. लेकिन, अभियंता का कहना है कि यदि वाटर लेवल खतरे के निशान से ऊपर जाता है तो हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है.

जानकारी देते अभियंता

नेपाल में हो रही लगातार बारिश
मालूम हो कि इंडो-नेपाल बॉर्डर स्थित गण्डक बराज से गण्डक नदी में शनिवार को 2 लाख 8 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिस वजह से गण्डक नदी अपने ऊफान पर थी. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे थे कि यदि ऐसे ही हालात रहें तो गण्डक नदी खतरे के निशान को पार कर जाएगी. फिर बाढ़ और कटाव की स्थिति बन जाएगी.

जल संसाधन विभाग अभियंता ने दी जानकारी
बहरहाल गण्डक नदी का जल स्तर एक बार फिर 80 हजार क्यूसेक तक आ गया है. लेकिन, नेपाल में लगातार हो रही बारिश के कारण से आगे की स्थिति को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. जल संसाधन विभाग के अभियंता संजय कुमार प्रभाकर का कहना है कि स्टैकिंग कार्य कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में मैटेरियल तैयार है. साथ ही कटाव सम्भावित संवेदनशील क्षेत्रों पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है. खासकर मंगलपुर औसानी, मिर्जा टोली, दीनदयाल नगर, पुअर हॉउस पर विभाग के अधिकारियों की पैनी नजर है. यदि गण्डक नदी खतरे के निशान से ऊपर जाती है तो अलर्ट घोषित कर निचले इलाकों या नदी के किनारे बसे लोगों को ऊंचे स्थान पर शरण लेने के लिए भेज दिया जाएगा.

Intro:गण्डक नदी में बढ़ते जलस्तर के मद्देनजर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और कटाव से प्रभावित होने वाले संवेदनशील स्थानों पर 24 घण्टे निगरानी रखी जा रही है। कुछ अतिसंवेदनशील स्थानों पर पैकेट स्टैकिंग का कार्य चल रहा है। हालांकि फिलहाल गण्डक नदी का वाटर लेवल काफी घटा है लेकिन अभियंता का कहना है कि यदि वाटर लेवल खतरे के निशान से ऊपर जाती है तो हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाएगा। और इस तरह के भी चुनौतियों से निपटने के लिए जलसंसाधन विभाग व प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है।


Body:इंडो नेपाल बॉर्डर स्थित गण्डक बराज से गण्डक नदी में कल दोपहर तक 2 लाख 8 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जिस वजह से गण्डक नदी अपने उफान पर थी। कयास ये लगाया जा रहा था कि यदि ऐसे ही हालात रहे तो गण्डक नदी खतरे के निशान को पार कर जाएगा और फिर बाढ़ व कटाव की स्थिति बन जाएगी। बहरहाल गण्डक नदी का जल स्तर एक मर्तबा फिर 80 हजार क्यूसेक तक आ गया है। लेकिन नेपाल में लगातार हो रही बारिश की वजह से यह कहना जल्दीबाजी होगी कि अब दुबारा नदी का जलस्तर नही बढ़ेगा। हालांकि किसी भी तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह चौकस है। और गण्डक नदी के किनारे वाले दर्जनों इलाकों को संवेदनशील की श्रेणी में रख वहां स्टैकिंग का कार्य कर रही है। खासकर मंगलपुर औसानी, मिर्जा टोली, दीनदयाल नगर, पुअर हॉउस पर विभाग के अधिकारियों की पैनी नजर है। जलसंसाधन विभाग के अभियंता संजय कुमार प्रभाकर का कहना है कि स्टैकिंग कार्य कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में मैटेरियल तैयार है साथ ही कटाव सम्भावित संवेदनशील क्षेत्रों पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है। यदि गण्डक नदी खतरे के निशान से ऊपर जाती है तो अलर्ट घोषित कर निचले इलाकों या नदी के किनारे बसे लोगों को उच्चे स्थान पर शरण लेने के लिए भेज दिया जाएगा।


Conclusion:बता दें कि बगहा 2 प्रखंड अंतर्गत मंगलपुर औसानी घाट पर एक पखवारा पहले गण्डक नदी का काफी दबाव बना हुआ था। जिसको समय रहते स्टैकिंग का कार्य करा प्रशासन ने दुरुस्त कर दिया था। अब अभियंता सहित दो गार्ड 24 घण्टे गण्डक नदी के किनारे पूरी चौकसी कर रहे हैं। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि यदि गण्डक रौद्र रूप अपनाती है तो प्रशासन इस चुनौती से निपटने के लिए कितना ठोस कदम उठा पाता है।
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