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वैशाली: नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू, बाजार में चाइनीज चूल्हों पर भारी पड़ रहे 'मिट्टी का चूल्हे'

महिलाओं का कहना है कि परंपरा के अनुसार छठ के प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है. यह परंपरा सदियों पुरानी है.

महापर्व छठ नहाय-खाए के साथ शुरू
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Published : Oct 31, 2019, 9:53 AM IST

Updated : Oct 31, 2019, 10:00 AM IST

वैशाली: लोकआस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया है. नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस महापर्व का समापन 3 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर होगा. प्रदेश का सबसे बड़ा पर्व कहा जाने वाले इस महापावन त्योहार को लेकर जिला समेत पूरे प्रेदश में तैयारियां अंतिम चरण पर हैं.

गंगा घाट ,पहलेजा वैशाली
गंगा घाट ,पहलेजा वैशाली

अपने हाथों से मिट्टी का चूल्हा बना रहीं हैं महिलाएं
जिले के सोनपुर प्रखण्ड क्षेत्र स्थित पहलेजा घाट के पास ग्रामीण महिलाओं का समूह गंगा से मिट्टी लाकर चूल्हा बनाती नजर आई. इस बाबात महिलाओं का कहना है कि परंपरा के अनुसार छठ का प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है. यह परंपरा सदियों पुरानी है. महिलाओं का कहना है कि छठ का महापर्व में ये चूल्हा की कीमत ग्राहकों पर ही छोड़ देती हैं. कई छठ व्रतियों के पास पैसे का अभाव होता है. ऐसे में इस व्रत को पुरा करने में सहयोग के उद्देश्य से उनको मुफ्त में ही चुल्हा बांट देती है. महिलाओं का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें पुण्य मिलता है.

मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाएं
मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाएं

बाजार में चाइनीज से लेकर स्टील के चुल्हों की भरमार
लोक आस्था के इस महापर्व को लेकर जिले के बाजारों में खासा चहल-पहल देखने का मिला. बाजार में चाइनीज से लेकर स्टील के चुल्हों की भरमार है. छठ व्रतियों का कहना है कि यह त्योहार शुद्धता का है ऐसे में चाइनीज चुल्हे का उपयोग हमलोग नहीं करते है. इस व्रत में हमलोग गंगा की मिट्टी से बने हुए चुल्हे पर ही भगवान भास्कर का प्रसाद बनाते है. इस मामले पर मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाओं का कहना है कि महंगाई के इस दौर में मेहनत के आशानुरूप उनको पैसा नही मिलता है. लेकिन इस चुल्हे में ' शुद्धता का भाव है, ग्राहक से कोई मनमानी किमत नही ली जाती' ऐसे में बाजार के चाइनीज चुल्हों पर मिट्टी का यह चुल्हा तो भारी पड़ेगा ही.

लोकआस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ शुरू

देखने को मिल रही है गंगा-जमुनी सौहार्द की मिसाल
आस्था के इस पावन पर्व में मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढ़-चढ़ कर भाग ले रहें हैं.चार दिवसीय इस पर्व को लेकर मुस्लिम लोग सड़क से लेकर गलियों की साफ-सफाई करते दिखे.इस संबंध में मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है की हमारे पर्व-त्योहार में हिन्दू समुदाय के लोग कंघा से कंधा मिलाकर साथ देते है.ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोगों का भी यह फर्ज है कि हिन्दू भाइयों के सबसे बड़े पर्व में कंघा से कंधा मिलाकर खड़ा रहे. लोगों का मानना है कि छठ में साफ-साफाई करने पर छठी मैया खुश होंगी और उनको आशीर्वाद देंगी.

मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाएं
मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाएं

चार दिनों का होता है छठ पर्व
छठ पर्व का प्रारंभ 'नहाय-खाय' से होता है, जिस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करती हैं. इस दिन खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है. नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी के दिनभर व्रती उपवास कर शाम में स्नान कर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की अराधना कर प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस पूजा को 'खरना' कहा जाता है.

छठ में जातियों के आधार पर कहीं कोई भेदभाव नहीं
इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत है कि इस त्योहार में समाज में सभी को बराबरी का दर्जा दिया गया है. सूर्य देवता को बांस के बने सूप और डाले में रखकर प्रसाद अर्पित किया जाता है. इस सूप-डाले को सामा‍जिक रूप से अत्‍यंत पिछड़ी जाति के लोग बनाते हैं. इस त्योहार को बिहार का सबसे बड़ा त्योहार भी कहा जाता है. हालांकि अब यह पर्व बिहार के अलावा देश के कई अन्य स्थानों पर भी मनाया जाने लगा है. इस पर्व में सूर्य की पूजा के साथ-साथ षष्‍ठी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है.

छठ से जुड़ी कथाएं
छठ त्यौहार का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व माना गया है. षष्ठी तिथि (छठ) एक विशेष खगौलीय अवसर होता है. इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं. उसके संभावित कुप्रभावों से रक्षा करने का सामर्थ्य इस परंपरा में रहा है.एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने रावण वध के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की और अगले दिन यानी सप्तमी को उगते सूर्य की पूजा की और आशीर्वाद प्राप्त किया.

वैशाली: लोकआस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया है. नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस महापर्व का समापन 3 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर होगा. प्रदेश का सबसे बड़ा पर्व कहा जाने वाले इस महापावन त्योहार को लेकर जिला समेत पूरे प्रेदश में तैयारियां अंतिम चरण पर हैं.

गंगा घाट ,पहलेजा वैशाली
गंगा घाट ,पहलेजा वैशाली

अपने हाथों से मिट्टी का चूल्हा बना रहीं हैं महिलाएं
जिले के सोनपुर प्रखण्ड क्षेत्र स्थित पहलेजा घाट के पास ग्रामीण महिलाओं का समूह गंगा से मिट्टी लाकर चूल्हा बनाती नजर आई. इस बाबात महिलाओं का कहना है कि परंपरा के अनुसार छठ का प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है. यह परंपरा सदियों पुरानी है. महिलाओं का कहना है कि छठ का महापर्व में ये चूल्हा की कीमत ग्राहकों पर ही छोड़ देती हैं. कई छठ व्रतियों के पास पैसे का अभाव होता है. ऐसे में इस व्रत को पुरा करने में सहयोग के उद्देश्य से उनको मुफ्त में ही चुल्हा बांट देती है. महिलाओं का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें पुण्य मिलता है.

मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाएं
मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाएं

बाजार में चाइनीज से लेकर स्टील के चुल्हों की भरमार
लोक आस्था के इस महापर्व को लेकर जिले के बाजारों में खासा चहल-पहल देखने का मिला. बाजार में चाइनीज से लेकर स्टील के चुल्हों की भरमार है. छठ व्रतियों का कहना है कि यह त्योहार शुद्धता का है ऐसे में चाइनीज चुल्हे का उपयोग हमलोग नहीं करते है. इस व्रत में हमलोग गंगा की मिट्टी से बने हुए चुल्हे पर ही भगवान भास्कर का प्रसाद बनाते है. इस मामले पर मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाओं का कहना है कि महंगाई के इस दौर में मेहनत के आशानुरूप उनको पैसा नही मिलता है. लेकिन इस चुल्हे में ' शुद्धता का भाव है, ग्राहक से कोई मनमानी किमत नही ली जाती' ऐसे में बाजार के चाइनीज चुल्हों पर मिट्टी का यह चुल्हा तो भारी पड़ेगा ही.

लोकआस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ शुरू

देखने को मिल रही है गंगा-जमुनी सौहार्द की मिसाल
आस्था के इस पावन पर्व में मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढ़-चढ़ कर भाग ले रहें हैं.चार दिवसीय इस पर्व को लेकर मुस्लिम लोग सड़क से लेकर गलियों की साफ-सफाई करते दिखे.इस संबंध में मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है की हमारे पर्व-त्योहार में हिन्दू समुदाय के लोग कंघा से कंधा मिलाकर साथ देते है.ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोगों का भी यह फर्ज है कि हिन्दू भाइयों के सबसे बड़े पर्व में कंघा से कंधा मिलाकर खड़ा रहे. लोगों का मानना है कि छठ में साफ-साफाई करने पर छठी मैया खुश होंगी और उनको आशीर्वाद देंगी.

मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाएं
मिट्टी का चुल्हा बेचने वाली महिलाएं

चार दिनों का होता है छठ पर्व
छठ पर्व का प्रारंभ 'नहाय-खाय' से होता है, जिस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करती हैं. इस दिन खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है. नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी के दिनभर व्रती उपवास कर शाम में स्नान कर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की अराधना कर प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस पूजा को 'खरना' कहा जाता है.

छठ में जातियों के आधार पर कहीं कोई भेदभाव नहीं
इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत है कि इस त्योहार में समाज में सभी को बराबरी का दर्जा दिया गया है. सूर्य देवता को बांस के बने सूप और डाले में रखकर प्रसाद अर्पित किया जाता है. इस सूप-डाले को सामा‍जिक रूप से अत्‍यंत पिछड़ी जाति के लोग बनाते हैं. इस त्योहार को बिहार का सबसे बड़ा त्योहार भी कहा जाता है. हालांकि अब यह पर्व बिहार के अलावा देश के कई अन्य स्थानों पर भी मनाया जाने लगा है. इस पर्व में सूर्य की पूजा के साथ-साथ षष्‍ठी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है.

छठ से जुड़ी कथाएं
छठ त्यौहार का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व माना गया है. षष्ठी तिथि (छठ) एक विशेष खगौलीय अवसर होता है. इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं. उसके संभावित कुप्रभावों से रक्षा करने का सामर्थ्य इस परंपरा में रहा है.एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने रावण वध के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की और अगले दिन यानी सप्तमी को उगते सूर्य की पूजा की और आशीर्वाद प्राप्त किया.

Intro:लोकेशन: वैशाली ।
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा ।

लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा कल यानी गुरुवार से नहाय -खाय के साथ शुरू हो रहा हैं। इस बाबत सोंनपुर प्रखण्ड क्षेत्र में स्थित पहलेजा घाट इलाके में छठ व्रती ग्रामीण महिलाएँ गंगा से मिट्टी लाकर समूह बनाकर मिट्टी की चूल्हा बनाती नजर आई ।इनकी मानें तो बाजारों में रेडीमेड चिनीमिट्टी का चूल्हा से कही शुद्ध होता हैं उनके द्वारा बनायी गयी गंगा की मिट्टी का चूल्हा ।


Body:छठ त्यौहार को लेकर पुराणों में भी चर्चा हैं। इस पर्व की महत्ता अपरंपार हैं। बिहार का यह लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा गुरुवार से नहाय- खाय के साथ शुरू हो रहा हैं ।मालूम हो कि सोंनपुर प्रखण्ड के पहलेजा घाट गांव में रहने वाली दर्जनों ग्रामीण महिलायें छठ करती भी हैं साथ ही पूर्ण कमाने के लिये गंगा से मिट्टी लाकर खुद खरना के लिये कई चूल्हा बनाती हैं। बतादें कि ये चूल्हा की कीमत ग्राहकों पर ही छोड़ देती हैं। कई लोगों को चेहरों पर छठी मैया के लिये आया भाव पर बिना पैसे लिए हुए ही ये दे देती हैं। पूछने पर छठ पूजा में मनमानी पैसे से परहेज हैं। आगें कहती हैं। सब छठ मैया अच्छा करेंगी ।

छठ का महा पर्व के पहले दिन सभी छठ व्रतियों द्वारा पवित्र गंगा में स्नान करने की पारंपरिक रिवाज हैं। इसके बाद इसी पानी को पीतल के बर्तन में भर कर घर लाया जाता हैं । यहा इसी पानी से खरना के प्रसाद के लिये अनाज गेंहू, चावल को धोने के वाद इसे धूप में सुखाने के बाद खरना की प्रसाद में चावल की खीर और रोटी खाने की रिवाज हैं ।मालूम हो कि छठ व्रती द्वारा चूल्हा पर बनाया गया खीर आम की लकड़ी जलाकर शुद्ध बर्तन में खीर के लिये दूध, गंगा का जल, गुण (मीठा) से बनाया जाता हैं।

चूल्हा बनाने वाली ग्रामीण महिला निर्धन तो हैं पर इस छठ पूजा के प्रति इनका गजब का आस्था हैं। ये अपने द्वारा बनाये गए गंगा की मिट्टी का चूल्हा शुद्ध मन से खुशी खुशी बनाती हैं। मन देखिए एक दम पवित्र । तभी तो ये ग्राहक से इस चूल्हा का कोई मोल भाव नहीं करना पसंद करती हैं। यह भी इनका इस त्योहार के प्रति सेवा भाव हैं। इनकी मानें तो छठ मैया खुश होंगी तो आशीर्वाद देंगी ।

बाजारों में चाइनीज से लेकर चीनी मिट्टी की रेडीमेड चूल्हा बिक रहा हैं। यह बात इनसे पूछने पर इनका कहना हैं कि गंगा की मिट्टी से बनाया हुआ यह चूल्हा खुद छठ पूजा करती हैं ।इसमे शुद्ध भाव हैं और ग्राहक से कोई मनमानी भाव नही ली जाती ।सवालिया लहजे में ये कहती कि ....तो ?? फिर बाजार में रेडीमेड चूल्हा पर हमारा बनाया हुआ चूल्हा उनपर भारी पड़ेगा न ..??

सोंनपुर प्रखण्ड क्षेत्र में दर्जनों कुम्हार भी इस लोक आस्था का पर्व को लेकर महीने पूर्व ही चूल्हा से लेकर हाथी, पूजा की सामग्रिया , कलस, दिया, इत्यादि बनाने का कार्य करते हैं।
इनकी मानें बदलते परिवेश में महंगाई भी उनके धंधे पर असर डालती हैं। इससे आशानुरूप उनके मेहनत का पैसा नहीं के बराबर मिलता हैं।

लोकआस्था की इस पर्व में छठ पुजा को लेकर सभी समुदायों के लोगों में आस्था देखने को मिलता हैं। मुस्लिम भाइयों द्वारा भी इस त्योहार के दिन सड़क से लेकर गलियों की साफ-सफाई करते दिखते हैं। उनकी मानें तो छठी मैया खुश होकर आशीर्वाद देंगी ।


Conclusion:बहरहाल, इस छठ को लेकर बाजारो में खूब खरीदारी भी बढ़ गई हैं।

खबर की विजुअल्स
OPEN PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
बाईट्स: ग्रामीण छठ व्रती महिलाएं ।
ग्रामीण महिलाएं द्वारा छठ की गीत गाती हुई ।

CLOSE PTC: संवाददाता, राजीव , वैशाली ।
Last Updated : Oct 31, 2019, 10:00 AM IST
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