वैशाली: कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन ने प्राइवेट नौकरी और इंस्टीट्यूट चलाने वालों को दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज बना दिया. इससे सीख लेते हुए होनहार युवकों ने स्वयं का रोजगार शुरु कर प्रतिमाह 60 से 70 हजार आय अर्जित कर बेरोजगार युवकों के लिए उदाहरण पेश किया है. उन्हीं में से एक हैं पंकज कुमार तिवारी.
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मछली पालन से हो रही अच्छी आमदनी
वैशाली जिले के दयालपुर तिवारी टोला निवासी स्वर्गीय राम पुकार के बड़े पुत्र पंकज कुमार तिवारी की इन दिनों इलाके में चर्चा का विषय बने हुए हैं. पंकज बायोफ्लेक्स तकनीक से मछली पालन कर प्रतिदिन 2 से 3 घंटे काम करके 6 माह में 4 से 5 लाख कमा कर बेरोजगार युवाओं के लिए मिसाल कायम किया है.
बायोफ्लेक्स तकनीक से मछली पालन
इतना ही नहीं पंकज तिवारी अब वैशाली. मुजफ्फरपुर जिले के कई बेरोजगार युवकों को बायोफ्लेक्स तकनीक का प्रशिक्षण देकर घर बैठे रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं. पंकज कुमार तिवारी लॉकडाउन से पूर्व महाराष्ट्र के पुणे में एमएनसी कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर इंजीनियर थे. पिता के निधन के बाद घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने पर नौकरी के साथ साथ पुणे में ही खुद का सॉफ्टवेयर इंस्टीट्यूट खोल दिया. जैसे जैसे समय गुजरा इंस्टीट्यूट से प्रति माह 25 से 30 हजार रुपया कमाई होने लगी. लेकिन बाद में इन्होंने काम छोड़ दिया.
'मत्स्य पालन विभाग से कोई सहयोग नहीं मिलने पर सबसे ज्यादा बाधा पूंजी की थी. नौकरी से बचे पूंजी से इंस्टीट्यूट खोलने के कुछ माह बाद ही लॉकडाउन लग गया था. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. बायोफ्लेक्स तकनीक से मछली पालन करने में बड़ी रकम की जरूरत थी. महीनों मत्स्य विभाग हाजीपुर कार्यालय का चक्कर काटने के बाद भी लोन उपलब्ध नहीं हुआ. तो निजी समिति से सूद पर लोन लिया.और मछली पालन का काम शुरू किया.'- पंकज कुमार तिवारी, मछली पालक
बढ़े रोजगार के अवसर
बहरहाल पंकज ने बताया कि बायोफ्लेक्स के माध्यम से दो से तीन प्रजाति के मछली को छोड़कर सभी तरह की मछली पालन किया जा सकता है जिसमें कैमन क्राफ्ट, अमूल क्राफ्ट, बिग हेड, कैटफिश प्रजाति में जासर, झींगा, टेंगरा, कबई, तिलोपिया, रूपचंदा मछली बड़ी आसानी से टैंक में ग्रोथ करता है. उन्होंने बताया कि एक टैंक में तीन प्रजाति की मछली का भी पालन किया जा सकता है. महज 4 से 5 माह में टैंक में मछली तैयार हो जाती है.