वैशाली: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला (world famous Sonepur mela) को एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला होने का गौरव प्राप्त है लेकिन इस पशु मेले में बकरियों की भारी कमीं के कारण लोग काफी परेशान है. बताया जा रहा है कि डेंगू के प्रकोप के कारण बकरी के दूध की मांग बढ़ गई है. जिसके कारण बकरी विक्रेता फिलहाल बकरी बेचने से बच रहे हैं. मेले में बकरी न होने की वजह से दूर दराज के इलाकों से अच्छी नस्ल की बकरी की तलाश में आए ग्राहकों को यहां से निराश होकर लौटना पड़ रहा है.
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किलो के हिसाब से मिल रही है जिंदा बकरी: मौजूदा समय में सोनपुर मेले (world famous Sonepur mela in bihar) में जिंदा बकरी को भी किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है. जो बाजार में चर्चा का विषय बना हुआ है. वहीं बकरी के दूध की कीमत भी आसमान छू रही है. डेंगू के प्रकोप के कारण बकरी के दूध की कीमत 600 रुपए प्रति किलो के भाव से बाजार में बिक रहे हैं.
"मैं यहां बकरी का बच्चा खरीदने आया था. जो अब किलो के भाव से बिक रहा है. जबकि हम लोगों के यहां पूरा बकरी बिकता है. बकरी तो यहां अच्छा है. हम खरीदने के लिए जहानाबाद से आए हैं. लेकिन यहां बकरी नहीं मिला है सब बकरा है".- चंदू पंडित, ग्राहक
"अभी हम बकरी खरीदने आए हैं. यहां बकरी है ही नहीं. घोड़ा, गाय मेले में सबकुछ दिख गया. लेकिन बकरी खरीदने आए तो बकरी है ही नहीं".- जय प्रकाश सहाय, ग्राहक
इन बकरियों की ज्यादा है डिमांड: सोनपुर मेले (Sonepur mela 2022) में तोतापुरी, सिरोही, अजमेरी, नस्ल की बकरियाों की मांग ज्यादा है. सोनपुर में राजस्थानी नस्ल की बकरी बेचने आए चांद बाबू का कहना है कि डेंगू की वजह से बकरी का बहुत डिमांड है. उन्होंने बताया कि मेले में पहुंचते ही उसकी तोतापुरी नस्ल की बकरी तुरंत बिक गई.
"तोतापुरी नस्ल की बकरी का वजन एक साल में एक किलो बढ़ जाता है. सब यहां दूध वाली बकरी खोजते हैं. हम जो बकरी लाए थे वो 29 हजार 3 सौ रुपए में बिक गई. डेंगू के कारण दूध वाली बकरी की ज्यादा डिमांड है. डेंगू में बकरी का दूध अमृत के समान है".- चांद बाबू, बकरी बिक्रेता, उत्तर प्रदेश
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