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वैशाली: विकास से कोसों दूर है जंदाहा प्रखंड के गांव, अब भी चचरी पुल के सहारे आवागमन

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Published : Jun 28, 2020, 6:38 PM IST

लोगों के मुताबिक एक पुल न होने की वजह से लोगों को आने जाने के लिए 2 से 3 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. पुल बन जाने पर महज 500 मीटर की दूरी तय कर बिशनपुर, बिदोंलिया पंचायत से खोपी पंचायत के लोग आ जा सकते हैं. पुल नहीं बनने से यहां की गरीब जनता सबसे ज्यादा परेशान है.

bamboo bridge for transportation
bamboo bridge for transportation

वैशाली: जिले के जंदाहा प्रखंड के विशनपुर बिदोंलिया और खोपी पंचायत के बीच में बया नदी बहती है. आज तक इस नदी पर पुल का निर्माण नहीं हो सका. इस कारण ग्रामीणों ने खुद चंदा इकट्ठा कर बांस का चचरी पुल बनाया और इसी के जरिए आवागमन करते हैं.

जान जोखिम में डालकर करते हैं पुल पार
स्थानीय के लोगों की माने तो जान जोखिम में डालकर पुल से आते जाते हैं. सरकार या जनप्रतिनिधि, जिलाधिकारी किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं गया है. पंचायत की आबादी लगभग 13 हजार है, लेकिन लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. चुनाव के समय जनप्रतिनिधि वादे तो जरूर करते हैं लेकिन चुनाव के बाद इन पंचायतों में आना भी भूल जाते हैं.

bamboo bridge for transportation
बांस का चचरी पुल

सबसे ज्यादा परेशान गरीब जनता
लोगों के मुताबिक एक पुल न होने की वजह से लोगों को आने जाने के लिए 2 से 3 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. पुल बन जाने पर महज 500 मीटर की दूरी तय कर बिशनपुर, बिदोंलिया पंचायत से खोपी पंचायत के लोग आ जा सकते हैं. पुल नहीं बनने से यहां की गरीब जनता सबसे ज्यादा परेशान है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

गांव में डॉक्टर भी आना नहीं चाहते
अगर किसी के बीमार पड़ने पर गांव में डॉक्टर भी आना नहीं चाहते. डॉक्टर कहते हैं कि चचरी पुल के इस पार गाड़ी लगा कर पैदल पुल पार करने के बाद उस पार जाना पड़ता है. जिनको डॉक्टर की जरूरत रहती है वे मोटरसाइकिल या साइकिल से अपने घर ले जाते हैं तब जाकर मरीज का इलाज संभव हो पाता है.

वैशाली: जिले के जंदाहा प्रखंड के विशनपुर बिदोंलिया और खोपी पंचायत के बीच में बया नदी बहती है. आज तक इस नदी पर पुल का निर्माण नहीं हो सका. इस कारण ग्रामीणों ने खुद चंदा इकट्ठा कर बांस का चचरी पुल बनाया और इसी के जरिए आवागमन करते हैं.

जान जोखिम में डालकर करते हैं पुल पार
स्थानीय के लोगों की माने तो जान जोखिम में डालकर पुल से आते जाते हैं. सरकार या जनप्रतिनिधि, जिलाधिकारी किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं गया है. पंचायत की आबादी लगभग 13 हजार है, लेकिन लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. चुनाव के समय जनप्रतिनिधि वादे तो जरूर करते हैं लेकिन चुनाव के बाद इन पंचायतों में आना भी भूल जाते हैं.

bamboo bridge for transportation
बांस का चचरी पुल

सबसे ज्यादा परेशान गरीब जनता
लोगों के मुताबिक एक पुल न होने की वजह से लोगों को आने जाने के लिए 2 से 3 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. पुल बन जाने पर महज 500 मीटर की दूरी तय कर बिशनपुर, बिदोंलिया पंचायत से खोपी पंचायत के लोग आ जा सकते हैं. पुल नहीं बनने से यहां की गरीब जनता सबसे ज्यादा परेशान है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

गांव में डॉक्टर भी आना नहीं चाहते
अगर किसी के बीमार पड़ने पर गांव में डॉक्टर भी आना नहीं चाहते. डॉक्टर कहते हैं कि चचरी पुल के इस पार गाड़ी लगा कर पैदल पुल पार करने के बाद उस पार जाना पड़ता है. जिनको डॉक्टर की जरूरत रहती है वे मोटरसाइकिल या साइकिल से अपने घर ले जाते हैं तब जाकर मरीज का इलाज संभव हो पाता है.

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