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सोनपुर मेला: आकर्षण का केंद्र बना पेपर मैशी स्टॉल, लोगों के बीच हो रहा पॉपुलर - आर्ट एवं क्राप्ट ग्राम

महिला कलाकार का नाम ललिता देवी है. ये पेपर के माध्यम से गुड़िया, हाथी, डोली, गैंडा, खिलौना, गणपति जैसे जीवंत मूर्ति बना रही हैं. जिसकी कीमत 100 रुपये से लेकर 1000 तक है.

पेपर मैशी स्टॉल
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Published : Nov 20, 2019, 10:56 PM IST

वैशाली: सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला में इस बार आर्ट एंड क्राप्ट ग्राम में दर्जनों स्टॉल लगे हुए हैं. लेकिन, एक स्टॉल ऐसा भी है जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. मधुबनी से आई 70 वर्षीय महिला ने पेपर मैशी स्टॉल लगाया है. जिसमें महिला रद्दी अखबारों से कलाकृतियां बना रही हैं.

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रद्दी अखबारों से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा

इस महिला कलाकार का नाम ललिता देवी है. ये महिला पेपर से गुड़िया, हाथी, डोली, गैंडा, खिलौना, गणपति जैसे जीवंत मूर्ति बना रही है. जिसकी कीमत 100 रुपये से लेकर 1000 तक है. वहीं, गणपति की कीमत 15 हजार बताई गई है. महिला बताती हैं कि वह पिछले 45 सालों से यह काम कर रही हैं.

वैशाली से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इन शहरों में ले चुकी हैं हिस्सा
बता दें कि कलाकार ललिता देवी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, मध्य प्रदेश, नैनीताल, मद्रास सहित कई शहरों से लेकर महानगरों की सैर कर वहां आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा ले चुकी हैं. गौरतलब है कि मधुबनी पेंटिंग पूरी दुनिया में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी है.

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ऑर्ट एंड क्रॉफ्ट जोन

वैशाली: सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला में इस बार आर्ट एंड क्राप्ट ग्राम में दर्जनों स्टॉल लगे हुए हैं. लेकिन, एक स्टॉल ऐसा भी है जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. मधुबनी से आई 70 वर्षीय महिला ने पेपर मैशी स्टॉल लगाया है. जिसमें महिला रद्दी अखबारों से कलाकृतियां बना रही हैं.

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रद्दी अखबारों से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा

इस महिला कलाकार का नाम ललिता देवी है. ये महिला पेपर से गुड़िया, हाथी, डोली, गैंडा, खिलौना, गणपति जैसे जीवंत मूर्ति बना रही है. जिसकी कीमत 100 रुपये से लेकर 1000 तक है. वहीं, गणपति की कीमत 15 हजार बताई गई है. महिला बताती हैं कि वह पिछले 45 सालों से यह काम कर रही हैं.

वैशाली से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इन शहरों में ले चुकी हैं हिस्सा
बता दें कि कलाकार ललिता देवी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, मध्य प्रदेश, नैनीताल, मद्रास सहित कई शहरों से लेकर महानगरों की सैर कर वहां आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा ले चुकी हैं. गौरतलब है कि मधुबनी पेंटिंग पूरी दुनिया में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी है.

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ऑर्ट एंड क्रॉफ्ट जोन
Intro:लोकेशन: वैशाली ।
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा ।

: सोंनपुर के विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला में इस बार आर्ट एवं क्राप्ट ग्राम में दर्जनों स्टॉल लगा हुआ हैं। इसी में से एक स्टॉल मधुबनी से आयी हुई 70 वर्षीया महिला ललिता देवी का पेपर मैशी का हैं। इनके द्वारा हाथों से पेपर (अखबार ) से एक से बढ़कर एक चीज बनाये जानें को देखकर यहा आये लोग इस महिला की कला का कायल हो गए हैं।


Body:सोंनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेला के आर्ट एवं क्राप्ट ग्राम में पेपर मैशी स्टॉल पर भाड़ी भीड़ देखी जा रहीं हैं। मालूम हो कि इस स्टॉल पर मधुबनी से आई एक 70 वर्षीया महिला ललिता देवी हाथों द्वारा अखबार के माध्यम से गुड़िया, हाथी, डोली, गैंडा, खिलौना, गणपति जैसे जीवंत मूर्ति एक से बढ़कर एक बनाने से लोगों को काफी अपनी ओर आकर्षित करने का कार्य किया हैं। यहा दर्शक बिना आये मान नहीं रहे हैं। आपकों बतादें कि पेपर मैशी से बनाया हुआ यहा आपको 100 रुपया से लेकर हजारों रुपये तक कि समान म8ल जाएंगे । यहा गणपति गणेश जी 15000 हजार रुपये में बिक रहे हैं। वो भी पेपर मैशी द्वारा बनाया हुआ ।

मधुबनी से आयी ललिता देवी यहा कुछ दिनों से इस स्टॉल पर अपना डेमो चला रहीं हैं। इन्हें पटना के उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान केंद्र द्वारा यह स्टॉल दिया गया हैं ।वो भी निःशुल्क तौर पर । आपको बतादें कि ललिता देवी सोंनपुर मेला में तीसरी बार आईं हैं। ये पेपर मैशी, मधुबनी पेंटिंग्स की विधा पिछले 45 वर्षों से करने का कार्य कर रहीं हैं।

ललिता देवी की जीवन एक संघर्ष के तौर पर बिता हैं। उंसने Etv भारत से अपना दर्द शेयर किया ।उंसने आगें बताया कि किस तरह उसके जिंदगी में खुशी वाला भरा परिवार पर आफत आने से बिखर गया। उंसने बताया कि उसके दो बेटा में से एक बेटा सड़क दुर्घटना में मौत हो गयीं, किसान पति की असमय मौत होने से सभी बोझ उसपर आ गया था । गरीबी से पाला पड़ने के साथ - साथ वह अशिक्षित थी ।इसको लेकर उसे अपने परिवार में एक बेटा और दो बिटियां को शिक्षित करने में बहुत पापड़ बेलने पड़े। कहा कि मधुबनी जिला में होने के चलते उंसने पेंटिग्स सीखी हुई थी ।पेपर मैशी की बारीकियां भी सिखी ।

70 वर्षीया ललिता ने आगें बताया कि मधुबनी पेंटिग्स और पेपर मैशी उंसने सिख तो जरूर लिया था पर उसने अपने घर के अंदर ही अपनी कलाकारी का कार्य करती थी। वह लोक लाज के चलते घर के चौखट से बाहर अपना पैर नहीं निकालती थी। पर उसकी बनायीं हुई चीजें को गलत आदमी द्वारा बाजार , मेला में बिक्री कर उसे उचित कीमत नहीं देता था। फिर भी ललिता देवी अपना हुनर को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थी ।उसे खुद पर भरोषा और अपने ईश्वर पर अटूट विश्वास था ।

एक दिन उसे किसी ने एक संस्थान के बारे में बताया साथ ही उसे यह भी आश्वस्त किया कि उसकी हुनर की पूछ और कीमत सम्मान के साथ जरूर मिलेगा ..!
यहीं से यह ललिता देवी का जिंदगी का टर्निंग पॉइंट था ।उंसने अपनी ईश्वरीय दिखाए रास्ते को समझ घर कस चौखट से खुद को निकाला । वह बताती है कि उसे संस्थान जाने से उसका हुनर कमाल दिखाने लगा। जल्दी ही उसे समय - समय पर संस्थान द्वारा शिविर लगाए जानें से जल्दी ही उसे पेपर मैशी का कार्ड भी बन गया । अंततः एक दिन उसे देश के कई मेट्रो शहर जानें का शौभाग्य प्राप्त हुआ।

उंसने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, मध्य प्रदेश, नैनीताल, मद्रास सहित कई शहरों से लेकर महानगरों की सैर कर वहां आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा ली ।

ललिता देवी ने बताया कि आज उसे हुनर के चलते महीने में दस हजार से पन्द्रह हजार रुपये तक घर मे बैठे -बैठे कमाई कर लेती हैं। उसे 2012 में पटना के उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान केंद्र में अवार्ड भी मिल चुका हैं। आज वह कहती हैं कि वह समाज मे सम्मान, प्रेम मिलने से अभिभूत हैं। उंसने आगें बताया कि उसकी जिंदगी अब ठीक ठाक कट रही हैं। उसकी बेटी कि शादी कर चुकी हैं और बेटा पढ़ लिख कर बाहर प्राइवेट पर अच्छा जॉब करता हैं ।

उंसने बताया कि पेपर मैशी से वह हाथी, खिलौना, डोली, भगवान गणेश का मूर्ति बनाती हैं। उंसने बताया कि उसके स्टॉल पर रखा हुआ गणेश की मूर्ति बनाने में दस दिन लग गए हैं। अभी कुछ दिन और लगेंगे ।उंसने बताया कि कोई चीज़ बनाने में बहुत मेहनत लगता हैं। उसे इस बात की गर्व हैं कि कोई भी शख्स को यह हुनर आ जायेगा तो वह कुछ ही दिनों में हजारों लाखों में खेलने लगेगा।

मधुबनी पेंटिग्स पूरी दुनिया मे अपना कला का लोहा बनवा चुका हैं। कहते हैं कि उम्र कुछ सीखने के लिये बाधा नही बन सकता ।सिर्फ सिखने की जज्बा होना चाहिए ।


Conclusion:बहरहाल, मधुबनी में अधिकतर लोग पेंटिग्स सीखे रहते हैं। शायद उन्हें विरासत में यह सीखने को मोल जाती हैं।

स्टोरी विज़ुअल्स से शुरू होती हैं।
पेपर मैशी का स्टॉल पर पेपर से बना हुआ हाथी, डोली, खिलौना, भगवान गणेश की मूर्ति

01.बाइट: लड़की आरती ।
92. बाइट : रणवीर साधु (अयोध्या से ।
ओपन : PTC - संवाददाता, राजीव,
बाइट: ललिता देवी कलाकार मधुबनी (पेपर मैशी)
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