पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी जन सुराज यात्रा (Prashant Kishor Jan Suraj Yatra) की शुरुआत कर दी है. इसी क्रम में वे हाजीपुर (Prashant Kishor in Vaishali) पहुंचे. यहां पर पीके ने चौपाल लगाकर लोगों से संवाद किया और बिहार को लेकर अपना विजन लोगों के सामने रखा. इस मौके पर प्रशांत किशोर ने कहा कि नयी राजनीतिक व्यवस्था के आंदोलन के लिए वैशाली से बेहतर कोई जगह नहीं है. यह विश्व को लोकतंत्र की ज्ञान देने वाली धरती है. इससे बेहतर कोई और जिला नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि वे आगामी 10-15 महीने पदयात्रा करेंगे. इस दौरान समाज के लोगों से मिलने की योजना है. लोगों से मिलूंगा.
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दिमाग में बैठा देते हैं, बिहारी मतलब बेवकूफ: इसी दौरान उन्होंने कहा कि बिहारी मतलब बेवकूफ आप कितने भी बड़े आदमी हों लेकिन लोग आपको बेवकूफ कहते हैं. आपके दिमाग में बैठा दिया गया है कि बिहारी मतलब बेवकूफ होते हैं. जबकि जितनी तकनीकी संस्थाएं हैं उसमें 20 से 25% पढ़ने वाले और पढ़ाने वाले दोनों बिहार के हैं. देश के 40% जिलों में डीएम-एसपी बिहार के हैं. फिर भी लोग ऐसा बताते हैं, दिमाग में बैठा देते हैं कि बिहारी मतलब बेवकूफ.
बदहाली के लिए लालू-नीतीश जिम्मेदार: प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को सुधारने के लिए अगले 15 साल का ब्लू प्रिंट तैयार कर जनता के सामने रखा जाएगा. नए राजनीतिक विकल्प तैयार करूंगा. अगले 5 दिनों तक प्रशांत किशोर वैशाली में अलग-अलग लोगों और समूह से मुलाकात करेंगे. प्रशांत किशोर ने लालू यादव को समाजिक न्याय का मसीहा और नीतीश के विकास मॉडल की सराहना तो की लेकिन बिहार की बदहाली के लिए लालू और नीतीश की नाकामियां भी गिनाईं. इतना ही नहीं पीके ने लोगों को बिहार की राजनीति की नई शुरुआत की पूरी पिक्चर दिखाई. साथ ही लोगों को अपना विजन भी बताया. अपनी यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के परिजनों से मुलाकात करेंगे.
और बदतर हुआ बिहार: प्रशांत किशोर ने कहा कि 1968 के बाद से जितनी भी सरकारें आईं, उसके दौरान बिहार दूसरे राज्यों के मुकाबले पिछड़ता गया. बाद में बिहार देश के सभी राज्यों से पिछड़ा राज्य बन गया. बिहार की बदहाली और दुर्दशा का मुख्य कारण राजनीतिक जड़ता है. यहां 75 के बाद से कोई भी राजनीतिक आंदोलन नहीं हुआ. इसलिए नई लीडरशिप नहीं आई है. इसमें 25 से ज्यादा सीएम जरूर आए लेकिन बिहार जहां था उस से बदतर हो गया. बिहार 50 से 60 के दशक में अग्रणी राज्यों में शामिल था आज देश का सबसे पिछड़ा राज्य है.
'यही बात मैं लोगों को समझाने आया हूं. इसीलिए मैं बिहार में काम करना चाहता हूं क्योंकि इसकी सबसे ज्यादा जरुरत है. बिहार में चाहे जो भी कमियां हो लेकिन यहां के लोगों को राजनीति समझ बहुत है. वह नौकरी करते हो या नहीं. पढ़ते हो या नहीं, व्यवसाय करते हो या नहीं लेकिन उनकी राजनीति समझ बहुत अच्छी है. इसलिए उन सबको जोड़कर उनको सिखाया जा सकता है. एक लोकतांत्रिक दल का गठन किया जा सकता है.'-प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार.
.. तो मोदी को वोट कैसे मिला: उन्होंने आगे कहा कि हौसला बढ़ाकर लोगों को लाना है. यहां 13 करोड़ लोग रहते हैं लेकिन 10 हजार परिवार ही है जो राजनीति करता है. बाकी लोगों को ना तो कोई मौका मिलता है नहीं उनका कोई प्लेटफॉर्म है. हालांकि उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि अन्य राजनीतिक दलों से जो लोग आएंगे, उनका भी स्वागत है. लेकिन उनको इसी व्यवस्था में आना होगा जिसे बनाने की कोशिश की जा रही है. प्रशांत किशोर ने कहा कि यहां सिर्फ जाति के आधार पर लोग वोट पड़ता है. ऐसा कहते हैं तो फिर नरेंद्र मोदी की जात के लोग यहां नहीं हैं फिर उनको वोट कैसे पड़ा.
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