वैशाली: बिहार के वैशाली के हाजीपुर स्थित गंगा और गंडक का संगम स्थल कौनहारा घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. मान्यता है कि मलमास की समाप्ति के बाद राजगीर गए 33 कोटि देवी देवता वापस आते हैं. ऐसे में गंगा और गंडक में स्नान के बाद ही पवित्र मन से श्रद्धालु फिर से पूजा पाठ में जुट जाते हैं.
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कौनहारा घाट पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़: 2023 में श्रावण मास में मलमास अर्थात पुरुषोत्तम मास लगा है, यही कारण है कि सावन का महीना 2 महीने का हो गया है. जिसका पहला एक पख और अंतिम एक पख पूर्णतया सावन माना गया. जबकि बीच एक महीना पुरुषोत्तम मास अर्थात मलमास माना गया था. मलमास को अधिक मास भी कहते हैं. हालांकि, इस दौरान कुछ तिथियों को विशेष पूजा पाठ करने का भी महत्व है.
राजगीर से लौटते हैं 33 कोटि देवी-देवता: ऐसी मान्यता है कि मलमास के दौरान 33 कोटि देवी देवता राजगीर में वास करते हैं और फिर मलमास समाप्ति के बाद पुनः वापस लौट जाते हैं. यही कारण है कि देवी देवताओं के वापस लौटने पर आज श्रद्धालु बड़ी संख्या में हाजीपुर के कोनहारा घाट, सीढ़ी घाट, क्लब घाट, इमली घाट, सहित दर्जनों घाटों पर डुबकी लगाई और मां गंगा की पूजा अर्चना की. अहले सुबह से ही स्त्री, पुरुष और बच्चे तमाम श्रद्धालु बड़ी संख्या में घाटों पर स्नान के लिए जमा हुए थे.
एसडीआरएफ को करनी पड़ी विशेष चौकसी: मलमास समाप्ति के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ तमाम घाटों पर जमा हुई थी. वही गंडक का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. यही कारण है कि एसडीआरएफ की टीम को विशेष चौकसी बरतनी पड़ी. सुबह से ही 2 बोटों में आधे दर्जन के करीब एसडीआरएफ के अधिकारी और कर्मी घाटों की निगरानी में जुटे हुए थे.
घाट पर एसडीआरएफ की टीम तैनात: एसडीआरएफ के एसआई हरेंद्र सिंह के नेतृत्व में रमेश कुमार, मिथिलेश कुमार, अरविंद कुमार यादव, चंद्र कुमार व रिंकू गुप्ता यह सभी दो वोटो पर जीवन रक्षक पूरा समाज के साथ सुबह से ही घाटों पर निगरानी करते रहें. वहीं एसडीआरएफ के आधे दर्जन के करीब अधिकारी और कर्मी सीढ़ी घाट और कौनहारा घाट पर विशेष चौकसी के लिए तैनात रहे. साथ ही लोगों को आवश्यक जानकारी भी देते रहे, जिससे कोई हादसा ना हो सके.
"बड़ी संख्या में घाटों पर श्रद्धालुओं का आगमन हुआ था. मलमास समाप्ति के बाद कोनहारा घाट, सीढ़ी घाट सहित अन्य घाटों पर सुबह से ही लोगों की भीड़ स्नान दान के लिए उमड़ी थी. नदियों का जलस्तर ज्यादा होने के कारण एसडीआरएफ की ओर से विशेष चौकसी बरती गई है. 2 बोट लगातार घाटों की निगरानी में लगे हैं. दोनों बोटों पर जीवन रक्षक सामग्रियां रखी गई थी. स्नान करने वाले लोगों को भी लगातार सावधानी बरतने की हिदायत दी जाती रही थी." - हरेंद्र सिंह, सब इंस्पेक्टर, एसडीआरएफ, हाजीपुर
कोनहारा घाट पर स्नान का विशेष महत्व: मान्यता है कि हाजीपुर के कौन हारा घाट पर गज और ग्राह की लड़ाई हुई थी. जिसमें गज अर्थात हाथी के पुकारने पर श्री हरि विष्णु अवतरित हुए थे और उन्होंने गज अर्थात हाथी की रक्षा ग्राह अर्थात घड़ियाल से की थी. यह वही स्थल है, जहां गंगा और गंडक का संगम होता है. पौराणिक काल में यहां दो और नदियों का संगम होने की बात भी सामने आई है. लेकिन मुख्य रूप से गज और ग्राह की लड़ाई का संगम स्थल कौन हारा घाट को विशेष तौर से श्रद्धालु स्नान दान के लिए पसंद करते हैं. यही कारण है कि दूरदराज से भी लोग यहां अब स्नान करने आते हैं.
यहां मिलती है विष्णु और शिव की कृपा: शास्त्र पुराणों में मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ की प्रिया नदी गंगा है और श्री हरि विष्णु की प्रिया नदी नारायणी अर्थात गंडक है. ऐसे में लोगों की मान्यता है कि शिव और विष्णु की प्रिय नदी के संगम स्थल पर स्नान करने से तमाम पापों का नाश तो होता ही है. सुख समृद्धि में भी काफी वृद्धि होती है, यही कारण है कि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए दूर दराज इलाकों से आते हैं. मान्यता है कि गंडक में शालिग्राम पत्थर की प्राप्ति होती है जिसे साक्षात श्री हरि विष्णु माना जाता है.