वैशाली: हाजीपुर के कोनहारा घाट पर चैत्र दशहरा (chaitra navratri in Vaishali) के मौके पर बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ता है. इस दौरान अंधविश्वास की जड़ें किस हद तक समाज के अदर तक घुसी हैं, इसकी बानगी भी देखने को मिली. यहां सीआईडी अधिकारी की तरह फिल्मी स्टाइल में सिगरेट के कश लेते हुए ओझा भूतों से सवाल जवाब करते आसानी से देखा जा सकता है. चैत्र दशहरे को नारायणी तट के किनारे अंधविश्वास (bhoot kheli in Konhara Ghat in Vaishali) का नाच देखने को मिला. ओझा लोगों के भीतर घुसे भूत को भगाने के दावे करते हुए भूतों से कई सवाल करता दिखा. इस दौरान भूत भगाने के लिए ढोल की थाप पर ओझा लोक गीत भी गाता नजर आया.
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ओझा ऐसे भगाता है भूत: बताया जाता है कि कोनहारा घाट पर गज और ग्राह की जबरदस्त लड़ाई हुई थी. जिसमें घमंड रूपी ग्राह से प्रभु पर यकीन करने वाले गज यानी हाथी की रक्षा के लिए स्वयं भगवान विष्णु अवतरित हुए थे. उन्होंने हाथी की रक्षा की थी. लेकिन आज उसी कोनहारा घाट पर अंधविश्वास का गीत गाया जा रहा है. सिगरेट के छल्ले को उड़ाते हुए ओझा उस व्यक्ति से सवाल जवाब कर रहा है, जिसके ऊपर भूत होने का कथित आरोप है.
भूत खेली में बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग: चैत्र माह के दशहरे को नारायणी के तट पर उपस्थित दो दर्जन से ज्यादा लोग भूत खेली में शामिल होने आए हैं. हाजीपुर के कोनहारा घाट पर यह भूत खेली का कार्यक्रम रखा गया है. वीडियो में साफ तौर से देखा जा सकता है कि भूत भगाने वाला ओझा किस तरीके से सिगरेट के कश लगा रहा है और भूत भगाने वाला गाना भी गा रहा है. उसके दो सहयोगी ढोल और झाल बजाकर उसे गाने की धुन पर मदद कर रहे हैं.
फिल्मी स्टाइल में भूतों का इलाज: कई तरह के भाव भंगिमा को प्रस्तुत कर ओझा अपना उल्लू साधने में लगा है. कभी वह बैठकर अजीब तरीके से कुछ बोलता है तो कभी खड़े होकर कुछ गाने लगता है. वीडियो को देखकर साफ तौर से पता चलता है कि ओझा के चेले भी कितने प्रशिक्षित और माहिर हैं. जो ओझा के हर इशारे पर ढोल पर थपकी देने लगते हैं. भीड़ में शामिल एक व्यक्ति कथित तौर पर भूत खेला रहा है. उसके बगल में उसके परिजन में एक महिला और एक पुरुष हाथ जोड़े बैठे हुए हैं. भूत खिलाने वाले व्यक्ति के सामने फल और प्रसाद सजा कर रखी गई है.
विश्वास या अंधविश्वास?: इस पूरे प्रकरण में मजेदार बात यह है कि कथित ओझा भूत पकड़े हुए व्यक्ति से सीआईडी इंस्पेक्टर की तरह सवाल जवाब कर रहा है. वह कई बार एक ही तरह के सवाल को घूमा फिराकर पूछता है. इतना ही नहीं पुलिस की तरह यह ओझा भी बार-बार भूत पकड़े हुए व्यक्ति से कई बातों को कंन्फर्म करता है. जवाब भी लगभग एक तरह का ही आता है. बावजूद यह खेल चलता रहता है. कई घंटों तक कोनहारा घाट पर चलने वाले इस खेल को देखने के लिए काफी लोग यहां इकट्ठे हो जाते हैं. लेकिन कोई भी न तो इसका विरोध करता है और ना ही कोई सवाल जवाब करता है. ईटीवी भारत ने जब ओझा से बात करनी चाहिए तो उसने पहले इशारे में मना कर दिया और फिर हाथ जोड़ लिया. जाहिर है ओझा समझदार है. उसको पता है कि जब एक रिपोर्टर उससे सवाल जवाब करेगा तो उसका भेद खुल सकता है.
प्रशासन नहीं करता कार्रवाई: भूत खेली के नाम पर भोले भाले लोगों को ठगने का व्यापक गोरखधंधा सरेआम चलता है.आस्था का नाम देकर लोगों की भावनाओं से खेलने वाला यह बेहद ही घिनौना काम है. बावजूद न तो जिला प्रशासन इसके खिलाफ कोई कार्रवाई करता है और ना ही कोई समाजसेवी संस्था ही लोगों को जागरूक करने के लिए आगे आती है. सब कुछ इसी तरीके से चलता रहता है. ऐसे में यह कहना कि हम वैज्ञानिक युग में हैं और हर विषय को प्रामाणिकता के साथ देखते हैं कहीं ना कहीं गलत साबित हो रहा है.
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